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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, September 16, 2014

ट्रेन माँ मौत (एक Laghu नाटक )

डी  . ऍम  . लारसन

अनुवाद - भीष्म कुकरेती
ट्रेन का डब्बा खाली च अर धीरे धीरे लोग आणा छन अपण अपन सीटूँ मा बैठणा छन। लोग आपस माँ बात करणा  छन कि अच्काल मंहगाई बढ़ गे ट्रेन से सफर करण कठण ह्वे गे भूक लगीं च आदि आदि। 
तीन दगड्या बैठ्याँ छन की एक अजीब मनिख दूर किनारा पर बैठ जांद।
पाराशर गौड़ - क्या वी त नि ह्वाल ?
जगमोहन बिष्ट - शायद वी च पाराशर गौड़ - स्यु  यीं ट्रेन मा क्या करणु च ?
चन्द्र शेखर टम्टा - पर तुम कनकै बोलि सकदा कि स्यु वी च ?पाराशर गौड़ - मौत हमेशा मर्दाना भेष मा हूंद
चन्द्र शेखर टम्टा - हमेशा ?
पाराशर - सैत ! शायद !  हमेशा !
चन्द्र शेखर - पर वैक त कपड़ा पैर्यां छन।
जगमोहन - पर वैक अजीब अजीब
पाराशर - हाँ यु एक लम्बो घाघरा सी    … मर्द घाघरो बि पैर सकुद 
चन्द्र शेखर - नयाणो बाद
जगमोहन - जन जज पैरदन
चंद्रशेखर - मौत वास्तव माँ न्याय ही त हूंद
पाराशर - सत्य  …मि त्यार मतबल समझी ग्यों
जगमोहन - जु  शान्ति कु न्याय कारो वो ही मौत !
चंद्रशेखर - बढ़िया च हाँ
जगमोहन - धन्यवाद
चन्द्र शेखर - आपक स्वागत !
जगमोहन - पर स्यु करणु क्या च ?
चन्द्र शेखर - मै लगद वु अपण ग्राहक ढुंढणो अयुं होलु
पाराशर - हम मादे एक ?
चन्द्र शेखर - नै भै ! उ कखि जाणु होलु
जगमोहन - उन मौत तैं मर्द बथाणा छंवां अर हमर व्याकरणाचार्योंन मौत तैं स्त्री बताइ पर हम मौत तैं पुल्लिंग मानिक चलला चन्द्र शेखर - मि बुलणु छौ बल  उ कखि जाणु होलु
जगमोहन - पर मौत ट्रेन से किलै जाणी च या जाणु च ?
पाराशर - शायद ! वैक ब्याला बुड्या ह्वे गे होलु अर भैंसा से कठण जगा नि जाए जांद होलु क्योंकि जैक हड़का दिख्यांद ह्वावन वु कठण जगा नि जै सकुद   ....
चन्द्र शेखर - जै जोक तैं समझाणो जरूरत ह्वाऊ वु जोक नि हूंद
पाराशर - तो ठीक च जगमोहन जोक सुणाल
चन्द्र शेखर - बढ़िया धन्यवाद
पाराशर - स्वागत है
चन्द्र शेखर - अरे बाबा पर मौत रेल से किलै जाणु च या जाणि च ?क्वी तुक नि बैठणु च कि मौत ट्रेन से चलणी  च । रेल से अबेर नि हूंद। क्या मौत तैं जल्दी नि ह्वेली ?
जगमोहन - शायद मौत तैं क्वी जल्दी नि होलि।  अच्काल मेडिकल फैसिलिटी ह्वे गेन त लोग देरी से मरदन।  इन मा मौत तैं क्यांक जल्दी?
पाराशर -शायद ! मौत तैं आण जाणो भत्ता कम हवालु।  रिसेसन कु प्रभाव जिंदगी अर मौत पर बि ह्वे गे।
चन्द्र शेखर - मि तैं जगमोहन कु सिद्धांत पसंद आई
पाराशर - हूँ !
चंद्रशेखर - आजकाल दवायिओं कारण लोग पैल  से ज्यादा साल ज़िंदा रौणा छन
पाराशर -त मतबल च मौत भत्ता बचाँद अर ट्रेन से आंद -जांद
जगमोहन - मौत पर्यावरण बचाणो काम बि करद।  ट्रेन से प्रदूषण कम हूंद।  चलो भलो च बल मौत पृथ्वी बचाण मा संलग्न बि च।
पाराशर - क्या मौत तैं प्रदूषण पसंद नि आंद ?
चन्द्र शेखर -नै जरूरी नी च। शायद मौत तैं प्राकृतिक गंध पसंद आंद होलु . ह्वे सकद  च मौत प्रदुषण अर प्रकृति बीच सामंजस्य का प्रति संजीदा हो !
जगमोहन - सै बात हाँ !
चंद्रशेखर - थैंक यूं  वेरी मच !
जगमोहन -यार यूं मौत मनिखों तैं कख लिजांद होल ?
पाराशर - शायद नरक ! जु लोग बदजात ह्वाल त
चंद्रशेखर - अर जु भला लोग ह्वाल तो !
पाराशर - सोरग अर कख ?
जगमोहन - मतबल च कि मौत देवदूत च
चंद्रशेखर - हम सब अंदाज लगौंदा कि स्वरग च
जगमोहन - म्यार विचार से सोरग छैं च।
पाराशर - इन  सै च कि जु भला करदन वु सोरग जांदन अर जु बुरा काम करदन वु नरक जांदन
चंद्रशेखर - पर यु निर्णय कु करद कि कु काम निकम च अर कु काम भलो च ?
पारशर - भगवान
चंद्रशेखर - पर यदि तू भगवान पर विश्वास ही नि कौर तो ?
पाराशर - फिर बि ठीक च।  तबि बि भगवान त्वे पर विश्वास करद
चंद्रशेखर -यदि हम तैं मौत का बारा मा पता च जाव तो जिंदगी समझण मा सफलता मिल जाली
जगमोहन - मौत तैं तखम दिखण से  एक बात त साफ़ च कि अासा बढ़ जांद।
चंद्रशेखर - तो बात कर ले मौत से
जगमोहन - यदि मौत मै  से बात कारल तो मीन मृत्यु का बाद क्या हूंद पुछण अर पुछण कि भलु क्या हूंद अर बुरु क्या हूंद ?
पाराशर - यार उ बातूनी मनिख नि लगद भै। अर जु वु तमिल या बर्मीज  मा ब्वालल तो ?
चंद्रशेखर -बर्मीज ?
पाराशर - मि त उन्नी अंदाज से बुलणु छौं
चंद्रशेखर - बर्मीज से त तेलगु ही ठीक च।
जगमोहन - ह्वे सकुद च वु सबि भाषा जाणदु हो
चंद्रशेखर - हाँ यीं बात मा दम च।
पाराशर - अरे पर यांसे पैल हम मादे कैन बि मौत नि द्याख।
चंद्रशेखर - सही मीन बि कबि मौत नि देखि
पाराशर - अरे आशावादी क्या ह्वे ?
जगमोहन - वु ट्रेन का दगड कुछ करणु च
चंद्रशेखर - क्या उ हमर बान अयुं छौ ?
जगमोहन - हम सब तैं लीणो बान ?
उ सब मौत तैं दिखणा छा सब चुप छा पराशरन चुइंग गम खाई अर फुलाई अर फट फोड़ि दे।  सब उचकी गेन

पाराशर क्या ट्रेन क्रैश होली या इनसि कुछ ?
जगमोहन - मै लगद इनि मा इ हमन मोरण
 चंद्रशेखर - क्या गार्ड तैं मौत की सूचना दिए जावु ?
पाराशर - कख लग्यां छा हैक स्टेसनम उतरि जौला
जगमोहन - या मौत का सामना निडरता से कर लीन्दां
जगमोहन खड़ो हूंद .  लोग डरी जांदन अर एक हैंकाक पास ऐ जांदन । जगमोहन मौत का पास जांद पर जनि मौत का नजीक जांद वैक चल धीरे ह्वे  जांद। वैक सांस बंद ह्वे जांद अर वु भ्युं पोड़ जांद। 
बकै सब वैम जांदन अर उठण मा वैकि सहायता करदन अर अपर तरफ लांदन ।
पाराशर - क्या ह्वे ?
चंद्रशेखर - इन लगणु च जन बुल्यां वु सांस नि ले सकणु हो
जगमोहन मुंड हलांद।
चन्द्रशेखर - कि जन वैक आस पास वातावरण ही मौत हो
जगमोहन मुंड हलांद।
चंद्रशेखर - जगमोहन तू ठीक छे ना ?
जगमोहन मुंड हलांद
पाराशर - क्या ह्वे क्या मौत से बात करिक इन ह्वे क्या मौतन जीब खैंचि दे ?
चंद्रशेखर - मजाक ना हाँ !
पाराशर - क्या म्यार मजाक इथगा बुरु च ?
चंद्रशेखर - बस इन बोल कि हम खिजे गेवां
पाराशर (व्यंग्यात्मक ) - हूँ ! अजीब !
चंद्रशेखर - जलन हुणि च ?
पाराशर -ना
जगमोहन - ये हैंक दैं मि तैं वैक पास जाणो नि बुलिन हाँ !
चंद्रशेखर - वैन क्या कार त्यार दगड़ ?
जगमोहन - उन त सही मामला मा वैन कुछ नि कार पर वैक पास अजीब  दुर्गन्ध  
पाराशर -ह्वे सकद च कि मौतन पाद दे हो !
चंद्रशेखर - तीन सुंगणाइ ?
 
पाराशर - छोड़ ना   …… अच्छा अब क्या करे जावु ?
चंद्रशेखर - अगला स्टेसन कथगा दूर च हम अगला स्टेसनम उतरी जाँदा !
पाराशर - अच्छा जु हम मर्यां हुवाँ अर मौत गार्ड का रूप माँ हो तो ?
चंद्रशेखर - छोड़ ! ये सिद्धांत तैं अगला स्टेसन मा जाँची ल्योला।  अबी अगला स्टेसन मा उतरणो तयारी कारो !
 जगमोहन - तुम तैं उतरणाइ त उतर जावो।  मीन त नि उतरण।  मीन कखि ख़ास जगा जाण।  म्यार उख जाण महत्वपूर्ण इ ना आवश्यक बि च।
चंद्रशेखर - अर जु मौत ट्रेन मा तेरी इन्तजार करणु हो तो उनि बि तीन उख नि पौंछ सकण !
जगमोहन -अर यदि मौत हमर बान ट्रेन मा नि अयुं हो तो बेकार मा दुसर स्टेसनम उतरिक समय बर्बाद करला
चंद्रशेखर -  मौत से बेहतर  त दुसर स्टेसन मा उतरिक समय बर्बाद हूण ठीक च की ना ?
पाराशर - येले ! दुसर स्टेसन ऐ गे।
पाराशर खड़ु हूंद कि ट्रेन रुक जांद अर पाराशर धक्का से भ्युं पड़ी जांद
चंद्रशेखर - अबै ! ट्रेन रुकणो  इन्तजार त कौर !
पाराशर - मि मोर त नि छौं ना !
चंद्रशेखर - बची गए तू !
चंद्रशेखर पाराशर तैं उठांद
जांद जांद चंद्रशेखर -ये जगमोहन ! ऐजा रे।  मौत से बची जैली तो वो महत्वपूर्ण अर आवश्यक काम बि ह्वे जाल अर बच्युं नि रैल तो क्यांक अर्जेंट अर इम्पोर्टेंट काम ?
जगमोहन - अरे मि तैं अपण बेटीक जन्मदिन मा शामिल हूण जरूरी च।
चंद्रशेखर - अच्छा ! जगमोहन ध्यान से हाँ !
जगमोहन - हाँ ठीक च पाराशर अर चंद्रशेखर द्वी ट्रेन से  भैर ह्वे जांदन
डब्बा मा जगमोहन अर मौत हि रै जांदन।
चंद्रशेखर - हाँ तो मौत साहिब ! क्या  हाल छन ?
मौत खड़ु हूंद ट्रेन से उतरद अर पाराशर अर चंद्रशेखर का ठीक पैथर चलण लग जांद।
जगमोहन जल्दी जल्दी खिड़की पास आंद अर मौत तैं दुयुं ठीक पैथर दिखुद अर वैक मुख पर आश्चर्य दुःख अर पीड़ा !


सर्वाधिकार डी  . ऍम  . लारसन 16/9/2014


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