चबोड़्या - भीष्म कुकरेती
परस्यूं मि गौं जाणु छौं त मीन ड्यार सब्युं कुण रैबार भेजी याल छौ कि मि ड्यार आणु छौं त कै तैं कुछ चयेणु हो त बतै देन।
गां बटें सुंदरा बौक फोन आई," ये भीषम ! जरा बम्बै बिटेन एक नकचुंडी लये। "
मीन पूछ - पर नकचुंडी त गढ़वाळ मा इ मिल्दन तो मुम्बै बिटेन नकचुंडी ?
बौक जबाब छौ -मीन सरा कोटद्वार बजार ढूंढ वा नकचुंडी नि मील ज्वा मि तैं चयाणी छे।
मि - क्वी ख़ास नकचुंडी चयाणि च क्या ?
सुंदरा बौ -हाँ ! मीन पता लगै याल बल स्या ख़ास नकचुंडी बम्बै मा कालबादेवी बजारम 'टीवी सीरियल प्रोडक्ट सप्लायर ' दुकानिम मिलदी।
मि - यां पर यीं नकचुंडिक नाम क्या च ?
सुंदरा बौ - नकचुंडिक नाम त मि नि बोल सकुद पर 'खत्ता धरेन तैं सासुक " टीवी सीरियल मा वा हरामखोर , बदजात , पातर खलनायिका किरतुली नी च ? वा जब बि अपण ससुर या कक्या ससुर तैं डरांदि तो ख़ास 'नकचुंडी' दिखैक डरांदि। मीन बि अपण ससुर जी अर कक्या ससुर जी तैं बि नकचुंडी दिखै दिखैक डराण। वीं हरामखोर , बदजात , पातर वळि नकचुंडी लाण नि बिसरी हाँ !
सतपुळी बटें छमनाक फोन आयि - अब इख गढ़वाळम इन क्वी चीज नी च जू बम्बै मिल्द हो अर इख नि मिल्दी हो। पर एक उ रुमाल इख नि मिल्द। पता च मि कन रुमाल की बात करणु छौं ?
मि - ना ये छमना।
छमना - अरे 'कर देंगे कभी भी बहू का कतल ' टीवी सीरियल नी च ?
मि - मि इ सासु -ब्वारी सीरियल नि दिखुद।
छमना - हैं ! सीरियल नि दिखदा त मुंबई मा झख मारणा छवां ?
मि -अच्छा लाण क्या च ?
छमना - यां उनि रुमाल लाण जन 'कर देंगे कभी भी बहू का कतल 'सीरियल की खलनायिका हर समय एक ख़ास रुमाल लेकि अपण नणदक गौळ दबाणै फिराक मा रौंदि। मि तैं वु हत्यारा रुमाल भौत पसंद च। मि वै रुमाल से अपण बौ तैं डरौंलु।
गुदमा काकीक फोन आइ अर बुलण मिस्याई - बल ये भीषम ! जरा एक विशेष बिछुवा लए। छ त बिछुवा च पर दिख्यांणम यु बिछुवा खतरनाक बिषैला सांप दिखेंद बस द्वी जोड़ी बिषैला सम्पोला छाप बिछुवा लये।
मि -विषैला सम्पोला छाप बिछुवा ?
गुदमा काकी - हाँ ' कक्या ससुर को जीने नहीं देंगे " सीरियल नी च ? उखमा वा खलनायिका नी च ? वा कमीनी, कुत्ती , खबेशण खलनायिका बिषैला सम्पोला छाप बिछुवा पैरिक अपण सासु अर कक्या सासु की हत्या की साजिस रचदी। वु सीरियल त उथ्गा प्रसिद्द नि ह्वे पर वींक डरौण्या बिछुवा इख भौत प्रसिद्ध ह्वे गेन। बस द्वी जोड़ी वीं कमीनी खलनायिका ब्रैंड बिछुवा लाण नि बिसरी हाँ।
चण्डिका ब्वारिक फोन आयि - ये जी ! जब बम्बै बिटेन घौर आणा इ छंवां तो जरा चार पांच किस्मौ दसेक बंडल वैम्पिस (खलनायिका ) बिंदी लयेन।
मि -वैम्पिस (खलनायिका ) बिंदी ?
चण्डिका ब्वारी - हाँ अच्काल हरेक टीवी सीरियल मा वैम्प याने खलनायिका किसिम किसिम की भयानक सकल की बिंदी पैरदन जन की सांप की सकल की , बिच्छू जन बिंदी , खूंखार घड़ियाल जन बिंदी , दहाड़ता ड्रैगन जन बिंदी। अर यूँ वैम्पिस छाप बिंद्यूं प्रचलन भौत बढ़ी गे । अचकाल वैम्पिस बिंदी नि लगावो तो गाँव मा लोग समजदन कि या जनानी फ़ूहड़ , गंवार जनानी च।
बरमी बोडिक फोन आयि - ये भीखम ! जरा मेकुण चार जोड़ी धगुल लये।
मि - कै तरां क धगुल ? जखमा गणेश जी , विष्णु जी , नंदा देवी की मूर्ति गड़ीं ह्वावन ?
बरमी बोडी - इथगा साल बम्बै मा रैक बि तु लाटा का लाटु इ रै। अरे अच्काल भगवानुं मूर्ति वाळ धगुल बि क्वी पैरदु क्या ?
मि - तो ?
बरमी बोडी -अरे अजकाल तो रावण , कंस, महिसासुर , कैंटो जन असुरों मूर्ति वाळ धगुलुं रिवाज चल्युं च। द्याख नी तीन ' कहाँ की सास और कहाँ की बहू ", 'काण्ड लगे इस सास पर ", 'कितनी बुरु मेरी सास , कितनी फितना मेरी बहू " जन सीरियल जखमा सबि खलनायक आर खलनायिका रागसूं मूर्ति वळ धगुल पैरदन? मेकुण बि चार जोड़ी रागसुं मूर्ति जड़्यां धगुल लये। बिसर ना हाँ ! अर एक बि दिव्ता मूर्ति जड़्यां धगुल नि लै हाँ।
धुपणि ब्वारी अबि बि म्यार दगड़ बचळयाण मा शर्मांद च त धुपणि ब्वारिक SMS आयि - जिठा जी ! जरा " सास को तंग करने के सौ तरीके " किताब लयेन।
मीन वै जमानै आठ पास रघुनथि ददि कुण फोन कार - ये ददि यि क्या हूणु च। सब खलनायक या खलनायिकौं झुल्ला , जेवरात मंगाणा छन ? यि क्या भंगुल जमणु च।
रघुनथि ददिन जबाब दे - अरे अजकाल टीवी सीरियलुं मा पारिवारिक घात -प्रतिघात , पीठ पर छुर्रा भुकणो जन कथा चलणा छन तो यी कथाकार सीरयलुं मा खलनायक खलनायिकाकी पोजिसनिंग लार्जर दैन लाइफ दिखाणा छन तो अब खलनायक -खलनायिकाओं द्वारा पैर्युं लत्ता -कपड़ा , जर -जेव्हरात आम जनता मा प्रसिद्ध हूणि च। अच्छा सूण अच्छु ह्वे तीन इ फोन कौर दे। मि त्वैकुण फोन करण इ वाळ छौ। एक किताब लये।
मि - विष्णु सहस्त्र नामा कि शिवचालीसा ?
रघुनथि ददि - ना ना सि किताब त अब आउट ऑफ डेटेड ह्वै गेन। मेकुण ' बहू को कत्ल करने के सौ सरल तरीके " किताब लये जरा। सुणनम आइ कि बड़ी रोचक किताब च।
Copyright@ Bhishma Kukreti 1 /9/ 2014
*लेख में घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
*लेख में घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
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