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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, September 17, 2014

मनुष्य जन्मते गाली खाता है , गाली खाते खाते मरता है

  झसका दिंदेर , हंसोड्या , चबोड़्या : भीष्म कुकरेती 


            हमन बचपन मा जब उत्तरप्रदेश की किताब फरकै छे तो हर जगा एक वाक्य अवश्य हूंद छौ बल भारतीय किसान कर्ज में जन्म लेता है और कर्ज में ही मर जाता है।  पर गढ़वाल मा किसान शब्द प्रयोग वर्जित छौ तो हम छ्वारा  पैरोडी करदा छा बल गढ़वाली बड़ा खाऊ है , जन्मते ही गाली खाता है , मरने पर गाली खाता है और फिर अपने पुरखों के साथ  स्वर्ग में भी पृथ्वी से भेजी गाली खाता है। गां मा गाळी खाण अर कोचि -कोचिक गाळि खलाण हमर मनख्याति (मानवीय ), सामाजिक , सांस्कृतिक धरम अर कर्तव्य का अलावा संस्कृति दत्त अधिकार छौ।  गाळि खाण हमर महान कर्तव्य छौ तो गाळि दीण पवित्र अधिकार छौ। 
        चूँकि  हम बच्चा हूंद छा तो स्वील हूणै चखळा -पखळि याने त्यौहार मा हम बगैर न्यूत पयाँ का बि शामिल ह्वे जांद छा अर तब हमन जाण कि बच्चा एक अन्धकार से भैर आंद तो मोळ (गोबर ) की गंध अर गाळयूं धुंवा मा कदम रखद।  हम तैं ज्ञान हूंद छौ कि बच्चा की  नाक मा सबसे पैल   छनि /सन्नी /गौशाला की गंध प्रवेश करद अर कानुं मा प्रथम शब्द या वाक्य गाळि पौंछदन । 
             नौनी ह्वे तो दादी , बड्या दादी , कक्या दादी, काकी,   बोडी सब नौनी कु  'निहुण्या' . 'हूंदी मोर जांदी', आदि सुअलंकृत गाळियूं से स्वागत करदा छा। गाळि नौनी ही ना नौनिक ब्वे से लेकि नौनिक नना , पड़नाना तक पौंछि जांद छा।  नौनी हूँदि हि गां मा इन बरजात पड़ जांद छौ जन शोक भारत मा क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल हरण पर पोड़द ।  हम बच्चा यूँ शोकयुक्त वाक्यों तैं सुणिक सीधा नागराजा मंदिर अटक जांद छा अर नौनु प्रार्थना करद छौ कि ये नागराजा दुसर जनम मा हम तैं नौनि नि बणै अर नौनि प्रार्थना ना नागराजा तैं धमकांदी छे कि तीन हमतैं नौनी किलै बणाइ। नौनी नागर्जा तैं आज्ञा दींदा छा -खबरदार ! हैंक जनम मा हम तैं नौनी बणाइ तो !  
 इन नी च कि नौनु ह्वे गे तो नवजात बच्चा तैं 'गाळि महातम्य' सुणनो नि मील धौं ! मनुष्य कमियूं पुतळा च तो मूळ नक्षत्र , पंचक मा , औंस मा , शराधुं मा जनम लीण या बच्चा मा क्वी ना क्वी शारीरिक कमजोरी क बान बच्चा की मा अर बच्चा का नना व पड़नाना नानी अवश्य ही गाळि खांद छा। जन कि कन म्वार एक ?  चिपण्या नाक अपण बेशरम -बिलंच नना से लेक ऐ ग्यायि। माहौल मा गाळियूँ कुयड़ु नि ह्वावो तो वु जनम अपसकुन्या माने जांद छौ।  कुछ नि हो तो  स्वील हूणों बगत -गैर बगत , सुबेर , स्याम , दुफरा , बरखा का नाम से स्विलकड्या तैं गाळि पुराण सुणाये जांद छौ। 
     जनम लीणो बाद फिर तो बच्चा हर पल गाळियूँ पालना मा पाळे जांद छौ जन कि - ये तैकि टुटकि लगावो तैन टट्टी कर दे ; तैक गिच्च गोरुक हड़क क्वाचो  तैन /तैंनि म्याळ बुकै याल ; नि द्याखल/द्याखलि  ऐंसुक बग्वाळ  फाणुक भरीं कड़ै मा पिसाब करी दे  आदि आदि। यदि बच्चा तैं गाळि नि दीण हो तो बच्चा का नना , नानी , पड़नानी ,  पड़नना गाळी खांद छा जन कि - ये कन म्वार वैकु  (नानाका ना नाम ) तै घुत्तान (बच्चेका नाम ) माटु बुकै दे। दादीन अपण सासु से मैताक गाळी खयिं रौंद छे तो अफु पर क्वी बि उधार नि रावो  का नियम तहत सासुक गाळियूँ तैं ब्याज समेत बौड़ाणो बान हरेक दादी अपण ब्वारि तैं मैताक गाळी दीन्दी छे।  
    बच्चा या बच्ची विटामिन G की गोळी याने गाळि खै खैक जवान ह्वे जांद छा अर तब जवानी मा वु विटामिन G की गोळी ना इंजेक्सन लीद छौ  यथा -  खडर्युं करा , खत्ता धरेल तेरी , निहुण्या , कीड़ पोड़ जैन तैं पूठी पर या नाक पर ; आँखि फूटी जैन , गेरी फुटि जै।  सुबेर नि बिजी , तडम लग जै, बांज पड़ी जैन आदि आदि।   अब युवावस्था मा गाळियूँ मा सेक्स का इन्जाइम डळे जांद छौ - मतबल अपण ब्वेक मैसु , अपण बैणि मैसु , अपण बुबाक सैणि आदि आदि।  कुछ शोभनीय गाळियूँ तैं मि लेखि बि नि सकुद अब। 
 ब्यौ हो तो गाळि शास्त्र मा परिपूर्ण इवोल्युसन या विकास ह्वे जांद अर परिवार मा जथगा वयस्क लोग ह्वावन उथगा तरह की अतिविशेष गाळि वातावरण मा तैरणा रौंद छा।  चूँकि गाळि दीण कर्तव्य बि छौ अर अधिकार बि त हरेक मनिख हर पल नई गाळि अविष्कृत करदु छौ अर पुराणी गाळि परिष्कृत करद छौ।  गाळि दीण अर खाण मा लिंगभेद नि हूंद छौ।  जनकी सासु अपण ब्वारी तैं गाळि दींदी छे - ये अपण बुबाकी सैणी त ब्वारि अपण कजे कुण बुल्दि छे - ये अपण ब्वेक मैसु सुणणु नि छे तू ? तेरी ब्वे रंडोळ   मि तैं कन गाळी दीणी च। इथगा ससुर कु जबाब हूंद छौ - ब्वारी ! मि अबि बच्युं छौं। इन कर्तव्य निर्वाह अर अधिकार प्राप्ति कु कर्मकांड हर समय चलदो ही रौंद छौ। 
      मनिख/मनिख्याणि  मोरद इ इलै च कि गाळियूँ से मुक्ति मिल जावो किन्तु या दुनिया मर्यां मुर्दा तैं गाळियूँ से मुक्ति नि दींदी।  मुर्दा तैं बि कैना कै रूप मा गाळि दिए ही जांद छौ - अबि मोरण छौ ये निर्भगिन ,   कुगति मीलली आदि आदि। अर मरणो बाद सोरग मील या नरक फिर बि मनुष्य तैं झड़दिदा , पड़दादी , ददा -दादी , ब्वे -बुबा का नामसे पृथ्वीलोक मा गाळि मिलण बंद नि हूंदन। 
भलो ह्वेकि अब शहरूं मा चूँकि गाळी अंग्रेजी मा दिए जांदन तो ऊँ बैड वर्डसुं  गाळि नि माने जांद। 



Copyright@  Bhishma Kukreti 17 /9/ 2014       
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
 लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है 
  
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