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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, September 25, 2014

सांपों ने मनुष्यो से क्या सीखा ?

 चबोड़्या खुजनेर :: भीष्म कुकरेती   

  ब्याळि , मास्टर जीन  स्कूलम बच्चों तैं सांप पर निबंध लिखणो ब्वाल विषय छौ - सांपों  ने मनुष्यो  से क्या सीखा ? निबंध का सार यो च -
 सांप या गुरौ एक सर्पधारी जानवर अवश्य हूंद किंतु गुरा समौ आण पर दुर्जन मनिख बि पैदा कर दींदु तबि त बुल्दन बल स्यु नेता संपोला का लड़का है , स्यु अधिकारी सांप कु बेटा च। 
सांप उनि हूद जन गढ़वाली जनान्युं धमेली हूंद। सांप जब सर्पणी तै पटान्दु तो बुलद - हे सर्पणी तू ऊनि दिखेणि छे जन मनिख्याणि की काळी धमेली !  
 मनुष्य अर सांप इकजनि  गुस्सा मा फुंकार मरदन।  अब यु कैन नि बताइ कि  सांपन मनिख तैंफुंकार मारण सिखाई या कै संपेरान सांप तैं फुंकार मरण सिखै। 
सांप रस्सी जनि  हूंद तबि त बुले जांद सांपक  तड़कायुं  रस्सी से बि बि डरद।यद्यपि सर्पदंश कु इलाज च पर मनुष्य दंस कु इलाज नी च हालांकि भारत मा मनुष्य दंश से बचणो बान  सौएक योजनाऊं पर इनि खर्च ह्वे जन गंगा सफाई अभियान की योजनाओं पर अरबों रुपया खर्च करे गए।  आजकी मंत्र्याणि सूमा इंडियनन त बोलि बि दे बल गंगा सफाई अभियान ये युग मा ना सै दुसर युग मा पूरु ह्वे जाल किन्तु मनुष्य दंश कु इलाज हैंक युग मा बि नि ह्वे सकद। इख पर स्वास्थ्य मन्त्रीन सूमा इंडियन तैं गाळी दे बल संपोली के बेटी को भारत सरकारों  मंत्री बि बणै द्यावो वा धार्मिक विद्वेष बयान दीण बंद नि करी सकद।  
सांप पर जनम से ही मोतियाबिंद की बीमारी हूंद।  सांप बि उनि अंधा हूंद जन कि भारत का गृह मंत्री राजनाथ सिंह। राजनाथ जीक  गृह राज्य मा गुरु आदित्यनाथ बताणा रौंदन कि उत्तर प्रदेश मा 'लव जिहाद ' कु हज्या फैली गे किन्तु राजनाथ सिंह जी तैं 'लव जिहाद' नि दिख्यांद।  यांपर बहुत सा लोग पुछणा छन कि राजनाथ अर आदित्यनाथ मादे सांपनाथ को च अर नागनाथ को च ?
भौत सा विषैला कोबरा कॉंग्रेस का तरां अंधा हूंदन जौं विषैला कोबराओं तैं नजीक त बिलकुल नि दिखेंद किन्तु दूर कि झलक से वो अपण शत्रु की चाल पछ्याण लीन्दन। जनकि कॉंग्रेस तैँ महाराष्ट्र मा शिव सेना -भाजपा गठबंधन मा घनघोर लड़ै दिख्यांदी च पर अपण ड्यारौ कॉंग्रेस - एनसीपी का मृत्यु युद्ध नि दिखेंद। 
 सांप -छुछुंदर की गति उनि हूंद जन भाजपा की हालात दिल्ली मा च  कॉंग्रेस की दसा दिल्ली मा च।  द्वी दल विधानसभा भंग नि करण चाणा छन किन्तु भाजपा सीधा सीधा कॉंग्रेस से सहायता नि ले सकदी अर कॉंग्रेस बि भाजपा सीधा सीधा भाजपा तैं सहयोग नि दे सकदी इनि दसा सांप की हूंदी कि छछूंदर तैं घुटद च त मोरदो च अर भैर फिंकद त भुकी रौंद।  इनमा जन 2014 मा दिल्ली विधान सभा अधोधर मा लटकीं च उनि सांप बि अधोधर मा रौंद। 
सांप छछूंदर की गति समझणो बान नरेंद्र मोदीक चीन नीति तैं समझणै जरूरत च। यदि नरेंद्र मोदी लद्दाख मा चीनी सेना कु अतिक्रमण पर आँख बुजी दींद अर चीन की 20 बिलियन डॉलर की सहयता स्वीकारदो त कायर माने जालु अर यदि चीनी अतिक्रमण तैं महत्व देकि नरेंद्र मोदी चीन से बैर मोल लींद तो फॉरेन इन्वेस्टमेंट हाथ से जांद।  अच्काल सर्पलोक मा सांप छछूंदर की गति तैं नरेंद्र मोदी -चीनी नीति कु नाम से पछ्याणे जांद। 
सांप कंचुळ या केंचुली  इनि छुङद जन नेता पार्टी , गठबंधन या पाळी बदल्दन।  यूही कारण च कि गुरौ मेजर जनरल (रि ) टीपीएस रावत , सतपाल महाराज , देवीलाल , भजनलाल , चौधरी  चरण सिंह , अजित सिंह , छगन भुजबल, नारायण राणे आदि नेताओं तैं अपण कुलगुरु माणदन अर केंचुली या कँचुळ उतारण से पैल यूँ नेताओं की आरती उतारण नि बिसरदन।  हरेक गुरा यूँ नेताओं की छवि अपण आँखूं मा बैठेक रखदु। 
गुरा अपण बच्चों तैं या दुसर सांप तैं बि खै जांद।  अन्वेषकों बुलण च बल यु अपणो तैं इ खै जाण जन गुण सांपुन  राजा , महाराजा , राजमंत्री , नेताओं से, अधिकार्युं  से सीख अर ये मामला मा महान सम्राट अशोक अर औरंगजेब तैं सांप अपण  महान दिवता बतांदन अर सींद -जगद , सदैव पूजा करदन।  
 गुरौ हाइबरनेसन मा उनि जांदन जन राहुल गांधी हाइबरनेसन मा जांदन।  इन बुले जांद कि भौत युग पैलि याने सतयुग से बि पैलि राहुल गांधी जब सर्पयोनि मा छा तो राहुल गांधीन हाइबरनेसन याने शीतनिद्रा की शुरुवात कर छे अर तब बिटेन सांपुं मा शीतनिद्रा कु प्रचलन शुरू ह्वे।  प्रत्येक भुजंग  अपण शीतनिद्रा देब राहुल गांधी तैं प्रसन्न करणो बान घड्यळ धरदन। आज जन सांप मनुष्य कु अतिक्रमण से अति दुखी छन , परेशान छन , शांतिभंग की पीड़ा से उद्वेलित छन उनि  कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओं क बार बार बिजाळण से सांपुं हाइबरनेसन दिबता राहुल गांधी बि बितर्वळे जांदन , डिस्टर्ब ह्वे जांदन अर फिर लोकसभा मा सेक आवश्यक हाइबर्नेसन या शीतनिद्रा पूरी करदन। 
 सांपुं बुजुर्ग अपणी अगली पीढ़ी का चाल चलन से बड़ा परेशान छन अर डरणा छन कि नई सांप साखी मनुष्यो सकासौरी /नकल करणी च अर सर्पसंस्कृति बिनास का खुंटा /कगार पर ऐ गे।  भूतकाल मा सर्प जाति अपण बच्चों तैं मनुष्य संस्कृति अपनाण से रुकण मा सफल राइ किन्तु अब सर्प बुजुर्ग लाचार छन कि युवा सर्प पीढ़ी मनुष्यों नकल करण गीजि गे।  जब तलक पुरण संस्कृति ज़िंदा छे , गुरा कै तैं बि तब तलक नि काटदु छौ जब तलक सांप का जीवन तैं क्वी खतरा नि हो किन्तु मनुष्य की नकल करण से अब सांप बि मनिखों तरां बगैर बातो कै तैं बि काटि दींदन।  सर्प संसार मा  चिंता  ह्वे गे कि सांपों तैं इन दुर्गुण से कनै बचाये जावो। 
सांप संसार मा एक हैंकि चिंता बि ब्याप्त च।  सांपुन सरकारी कर्मचार्युं से एक अवगुण हौर सीख याल कि कुछ बि काम नि करण अर मुफ्त की रोटी चटकाण , मोफत मा तनखा लीण अर ऑफिस मा सियुं रौण। सरकारी मुलाजिमों देखादेखी   हरेक सांप अब चिड़ियाघरों मा बसेरा करण चाणु च जख बगैर हथ -खुट हिलायां , बगैर मेनत कर्या फोकट मा खाणो, पीणो , आराम से सीणो मिल जावो।  सर्प मनोवैज्ञानिकों बुलण च बल या अळगसी , कुनेथी  , कर्महीन , कर्तव्य-बिमुखी प्रवृति सांपों वास्ता खतरनाक च अर कौमनष्ट हूणों खतरा समिण च। 

अतः कहा सकता है कि सांपों ने मनुष्य से बहुत कुछ सीखा है। 



Copyright@  Bhishma Kukreti 24 /9/ 2014       
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
 लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है 
 
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