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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, September 9, 2014

कुछ इना उना का विचार

चबोड़्या भीष्म कुकरेती 

पिछ्ला हफ्ता 2 /9 से 9 /9 / 2014 माँ अयाँ विचार छन , म्यारि छन , बिचारा बिचार भैर आणो तड़फणा छया पर परेशानी या च अधिकतर विचार आपका मन मा बि ऐ ह्वाला तो यूं विचारुं तैं ओरिजिनल विचार बुलणम बि शरम लगणी च। 
अब जनकि मुंबई मा तीन चार सामाजिक कार्यकर्ता बार ऐंड रेस्तौरेंट मा डबखणा छन अर बहस करणा छन कि मुंबई मा उत्तरखण्डयुं मा एकता कु पूरा अभाव च . जब बि सामाजिक कार्यकर्ता एक साथ होटलुं मा इकदगड़ि उत्तराखंड्यूं एकता पर बहस करदन तो मुंबई मा  हैंकि संस्था जनम ले लेंदी।  यी तीन चार सामाजिक कार्यकर्ता एकता की चिंता काँध मा उठैक फिरड़ा फिरड़ी करणा छन तो अवश्य ही अब मुंबई मा 8357 वीं उत्तराखंडी संस्थान खुलण। हम एकता करणो बान अलग हूंदा। 
अब जन कि पिछ्ला दस सालुं मा देस -परदेस मा बहसूं बबंडर चलणु बल ग्रामीण उत्तराखंड से पलायन बढ़णु च।  यी बहस का बबंडर जथगा तेज से चलदु उथ्गा ही जोरूं से कोटद्वार , ऋषिकेश अर देहरादून मा कोठी बणन शुरू ह्वे जांदन।  पलायन पर बहस करण हम कुण  चाय रुटि च अर पलायन करण प्राण वायु लीण। 
फेस बुक मा अचकाल म्यार गांव की बिगरैली फोटो  पोस्ट हून्दन अर  फोटो वास्तविकता से अधिक ही सुंदर हून्दन।  जै घट तै दिखणो ज्यु नि बुल्यांद वै घट की फेसबुक मा फोटो देखिक त बुल्यांद कि उखी से जांद तो कनि भली  नींद आलि धौं !
भौत सालुं बाद भारत मा द्याख कि विरोधी दल का नेता प्रधान मंत्री की खुलेआम प्रशंसा करणा छन।  कॉंग्रेसी गुलाम नवी आजाद , दिग्विजय सिंह , वीर भद्र सिंगन कश्मीर  मा हिंदूवादी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीक प्रशंसा कार . अब खुस तो छौं पर कुज्याण कथगा दिन तक यी नेता खुश रख  सकदन धौं . किलैकि कुछ सालुं से हम भारतीयुन द्याख कि हमर नेता फॉरेन पॉलिसी पर बि एक नि हुँदा छा। 
पोरु साल उत्तराखंड , हिमाचल की आपदा अर ये साल उदयपुर -ढांगू ( उत्तराखंड ),  कश्मीर की बाढ़ , नेपाल की बाढ़ बतांदि कि हिमालय एक बड़ी मुसीबत मा फंसण वाळ च।  बाइ द वे ! यु डिजास्टर मैनेजमेंट विभाग डिजास्टर करणो बान च या डिजास्टर की चेतावनी दीणो बान च ? आपदा प्रबंधन विभाग का काम देखिक मि तैं उ निर्भागी कुत्ता याद आंद जु  चोर आंदन त सियुं रौंद , चोर चोरी करणा रौंदन तो बि सियुं रौंद पर जनि चोर चोरी करिक दूर चली जांदन तो यु अभागी , दुर्जन कुत्ता जोर जोर से भुकण लग जांद। 
 भाजपा का शेर  सिंह डागर की गलती से केजरीवाल  याने  इल्जामवाळ अब फिर फॉर्म मा ऐ गे. क्रिकेट मा खिलाड़ी अपण कामुं से दुबर फॉर्म आंद तो राजनीति मा विरोधी दल की गलती से राजनीतिज्ञ फॉर्म मा आंद।  मायावती तो अखिलेश की भयंकर गलती से बि फॉर्म मा नि ऐ सकणी च। 
अच्छे दिन आणो बाद बि मंहगाई कम नि हूणी च , भारतीय अब समजी गेन कि मंहगाई अब इथगा दूर चली गे कि कैक बि पकड़ मा नि ऐ सकद। तबि त परसि बेरोजगार राज बब्बर  मुंबई मा बारा रुपया मा लंच थाळी खुज्याणु छौ।  जब कखि बि बारा रुपया मा लंच थाळी नि मील तो गाळी -गलोौज करण मिसे गे कि साले नेता जनता को गुमराह करते हैं , कहाँ है बारा रूपये में भात-दाळ  की थाळी ? लोगुन बेरोजगार राज बब्बर तैं बताई कि जब आप रोजगार याने एमपी छया तो तुमनि बोलि छौ कि मुंबई मा बारा रुपया मा थाळी भोरिक दाल -भात मिल जांद।  तब  जैक बेरोजगार राज बब्बर कि समझ मा आई कि सरकारी दल का एमपी तैं मंहगाई नि दिखेंद अर विरोधी दल का नेता तैं हर समय मंहगाई दिख्याणी रौंद। 

विचार तो बहुत छन किन्तु बिंडि लिखुल  तो आपन पढ़न नी च तो आज बस !
यां उन यि विचार म्यार छन कि तुमर छन ? 


Copyright@  Bhishma Kukreti 10  /9/ 2014       
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
 लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है 
  
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