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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, September 25, 2014

किरोड़ी मल आप से अधिक दुखी किलै च ?

Transliteration::: भीष्म कुकरेती

यमराज -चित्रगुप्त ! आज सि तीन मानव कु कु छन जु मृत्युलोक से ऐन ?
चित्र गुप्त -धर्मराज ! पैलु  तो हरिद्वार कु सन्यासी बाबा किसमिस देव छन  , दुसर  बद्रीनाथ कु ऋषि कर्मदेव छन   अर   ……
यमराज - अर हैकु ?
चित्रगुप्त - न्यायाधीसुं  सम्राट  !  यी हैंक  एक किसान  किरोड़ी मल च।
यमराज - यूंन क्या क्या पाप -पुण्य कर्याँ छन ?
चित्रगुप्त -  विवेकशील श्री ! यूं तिन्युंन क्वी बि पाप नी करिन अर स्वर्गाधिकारी छन।
यमराज - तो तुम सबि अपण अपण  इच्छा बताओ !
बाबा किसमिस देव- धर्माधिराज ! मीन भूलोक मा कबि मर्सडीज कार से यात्रा नि कार यदि मर्सडीज से यात्रा ह्वे जाव तो 
यमराज - जाओ मर्सडीज से कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा कारो !
ऋषि कर्मदेव - न्यायाधिपति ! मीन हवाई जाजै यात्रा नि कौर।  यदि हवाई जाजै यात्रा ह्वे जाव तो बड़ी मेहरबानी।
यमराज जावो - जावो हवाई जाज से कपूरत्थला से कोलकत्ता की यात्रा कारो
किरोड़ी मल किसान - विद्वानुं विद्वान ! मीन कबि सिगरेट नि पे।  यदि सिगरेट मिल जावो तो !
यमराज - जावो तुमकुण सिगरेट की कुठड़ी भरीं च जावो तुम तैं कुठड़ीम सिगरेट मिल जाली ।
कुछ समय बाद सब आंदन। बाबा किसमिस देव (खुसी से उछल्दा उछ्ल्दा )  - अहा मर्सडीज तो कारों की कार च। क्या यात्रा छे ,प्रभु आप महान हैं। ऋषि कर्मदेव (जोर जोर से हंसदा -हंसदा ) - जबाब नही हवाई यात्रा का ! भगवान आप महान हैं !
किरोड़ी मल (रुंवासा सूरत लेक )- यमराज जी आप ! बड़ा कंजूस दानदाता छंवां  ! बनि बनिक सिगरेटूँ से कुठड़ी भरीं छे पर माचिस तो आपन देइ नीच !

24/9/2014

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