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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, September 9, 2014

ऊँ दिनुं आरुणी अर अजकालौ आरुण्युं मध्य पिसदा अध्यापक

चबोड़्या-चखन्यौर्या  : भीष्म कुकरेती 

हमन पुरण जमानै कथा पौढ़ि छे बल शिष्य आरुणि गुरु धौम्य श्री का स्यारौ पाणि रुकणो बान अफिक मींड पर पोड़ि गे कि पाणि नि बौगो। 
मि तैं या कथा हमर मासाबन सैत च दर्जा तीन चार मा सुणै होलि अर दगड़ मा इन बि ब्वाल बल अचकालौ शिष्य त उल्टां मास्टरजी कूल तोड़िक ऐ जांदन। 
सै बि च जु अचकाल मासाब अर च्याला कु एकी  गाँव ह्वावो  तो पाणि अग्ल्यार मासाब तैं मीलि नि सकुद।  आरुणि का बुबा जी सीधा बोलि दींदन बल मास्टर पर  क्यांक अनुग्रह करे जावु ? पैलक जमाना मा आरुणी अपण गुरु जीक स्यार इलै कुल्यांद छौ कि गुरूजी तैं ना त तनखा मिलदी छे ना इ क्वी सरकारी मिड डे मील।  अब त मास्टरुं तैं तनखा , पीएफ , पेंसन सब मिलदी तो मास्टर म्यार आरुणी तैं पडाँद तो हम पर क्याक ऐसान ? अचकाल आरुणि ब्वे बाब मास्टरुं तैं अध्यापक ना सरकारी हळया  माणदन जु पैसौंक बदल मा शिक्षा पुंगड़ बांद। 
अचकाल आरुण्युं कुण बि आफत रौंद , घंघतोळ हूंद , रौंका -धौंकि रौंदि कि कै जि धौम्य गुरु क स्यार कुल्यावु?  पुरण जमनम एकी धौम्य गुरु जी छ्याई तो आरूणी एकी गुरूजी धौम्य कु स्यार कुलेक ऐ जांद छौ -क्वी कन्फ्यूजन नि रौंद छौ कि कै धौम्य तैं प्राथमिकता दिए जाव अर कै धौम्य की अवहेलना करे जाव। 
अजकाल आरूणी कन्फ्यूज रौंद कि कै धौम्य तै जि मोस्ट इम्पोर्टेन्ट , इम्पोर्टेन्ट , बस इम्पोर्टेन्ट श्रेणी मा धरे जाव ? आज आरूणी का वास्ता दस विषयुं बान बीस धौम्य त स्कूलम छन।  कुछ धौम्य प्राइवेट ट्यूटर का रूप मा ड्यार आंदन अर कोचिंग क्लास का धौम्युं लंगत्यार अलग लगीं च।  आरूणी की समज मा नि आंद कि कै गुरु धौम्य की सेवा सुश्रवा करे जावु।  तो अंत मा आरूणी  वै ही धौम्य की सेवा टहल माँ फैदा चितान्द जु धौम्य आरुणि तैं पास करै द्यावो।  आधुनिक युग मा मास्टर शिक्षा दीणो साधन नि मने जांद अपितु केवल पास करणो एक  छुट मुट कल -पुर्जा माने जांद।  
पुरण जमन मा दशरथ विश्वामित्र तैं सिवा लगांद छौ अजकाल विश्वामित्र , श्रृंगी , वशिष्ठ सरीखा गुरु नरेंद्र मोदी सरीखा दशरथ तैं सिवा लगाणो बान पंगत मा खड़ा रौंदन।  पैल विश्वामित्र दशरथ तैं शिक्षा दींद छौ अब त नरेंद्र मोदी रूपी दशरथ विश्वामित्रों तैं शिक्षा दींद। 
पैल धौम्य  गुरूजी का वास्ता च्याला का बुबा जि बि शिष्य की गणत मा अांद छा अब त धौम्य चांसलर तैं बि दिखण पड़द कि आरुणि  बुबा जिकी हैसियत क्या च अर वै हि हिसाब से चांसलर वर्ताव करद। 
वै दिन विश्वविद्यालय  चांसलर का समिण जवान नेता अर वृद्ध इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ऐ गेन त आधुनिक धौम्यन नेता जी तै  प्रणाम करणम प्राथमिकता दे किलैकि -
नेता -इंस्पेक्टर दोनों खड़े 
मास्टर काको लागे पांय 
बलिहारी नेता जी आपनो  
ट्रांसफर की ताकत जो दिखाय 
अब सब बदले गे।  सब बुल्दन बल शिक्षा का कुहाल ह्वे गे।  भई जब शिक्षकों तैं शिक्षा दीणो केवल कल पुर्जा माने जाल त शिक्षा को भुर्ता ही बणल  कि ना ?


Copyright@  Bhishma Kukreti  5 /9/ 2014       
*लेख में  घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
  
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