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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, September 14, 2014

डिस्कों डांसk दर्वाजा सब्युं कुण खुल्यां छन

लोकप्रिय कवि : हरीश जुयाल 'कुट्ज'


सच की आँखी मोतीबिन्दु , झूठा आँखा छाळा छन 
बुरै चमकणी च चम्म , भलै फरै जाळा छन। 
बैला -बांजs घास पींडु खैकि उतण हुयाँ छन 
जौंन अन्नै दाणी कमै उंका गिच्चों म्वाळ छन।  
मनखि बिरड़ि कांठि उजड़ि रंग ढंग बिगड़ि गे 
डाळि बूटी कुल्हड़ि खैगे डाळा  बण्या डाला छन। 
डिस्कों डांसk  दर्वाजा सब्युं कुण खुल्यां छन 
थड्या गीत चौंफळौ  घार लग्यां ताळा छन। 
सत्तू रैगै सासु मा सपड़ांग रैगै ब्वारि  मा 
मैल्या मुलक गाणि रैगे तैल्या मुलक क्याळा छन। 
विधाता कि पोथि का तु द्वी वचन हि गेड़ धैर 
अद्दा दिन त ग्वारा , 'जुयाल' अद्दा दिन काळा छन।  
 
Copyright @ Harish Juyal, Malla Tasila, Badalpur , Pauri Garhwal 
Contact -09568021039 

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