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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, September 14, 2014

कार्यालय प्रबंधन का परिपेक्ष मा महाभारत का चरित्र

 मूल : सतीश दीवान 
                     छिंडारण  वाळ : भीष्म कुकरेती 
 द्रोणाचार्य याने पथप्रदर्शक ; बड़ा जणगरु ,  सब कुछ ज्ञान ह्वेक बि कुछ नि करण वाळ बस नया नया कारिंदौं तैं प्रशिक्षण दीण मा अग्वाड़ी। 
भीष्म - दानो , सयाणो  कारिंदा।  वीआरएस लीणै उमर। नालायक बॉस तैं पुरो समर्थन दीणो "मजबूर लायक कारिंदा "
धृतराष्ट्र - अंधा  बॉस जु जाणदु च कि वैक प्रोजेक्ट मा कथगा खामियां /कमियां छन पर नई विधि नि अपनाणो मजबूर बॉस 
गांधारी - यस वूमन ! बौसक सबसे खास कारिंदा , ज्वा जाणदि च कि सब कुछ गलत हूणु च पर बॉस का पल्ला नि छुड़ण  वळि खिलाड़न 
युधिष्ठिर  - आदर्शवादी अर जैक  आदर्शवाद का चक्कर मा हमेशा वैक दगड्या फंसदन 
भीम -गुस्सैल मैनेजर अर सब्युं पर क्या अपण बॉस पर बि गुस्सा ह्वे जांद पर बॉस भक्त 
अर्जुन - अपण काम करण मा होशियार अर छोर्युं तैं आकर्षित करण मा उस्ताद।  
नकुल सहदेव - बस अपण काम मा व्यस्त।  साधारण तनखा बढ़ोतरी, कम बडाइं  मा बि खुस 
दुर्योधन - कै बि तरह से काम हूण चयेंद मा विश्वास करण वाळ बौस ! पर अपणा मैनेजरों से ही धोखा खान्द 
कर्ण -लगन शील , कर्मठ कारिंदा पर कबि नि बतांदु कि वैन यु काम कार।  बॉस का अहसान कबि नि बिसरण वाळ।  मार खाण मा अग्वाड़ी अर पिठै लगद दैं सबसे पैथर !
दुशासन - बॉस की प्रतिछाया , यस मैन !
शकुनि - नकलची, मुसक्या चोर , नामी सलाहकार , जुवारी अर धुर्या 
द्रौपदी - सँजैत संसाधन 
कृष्ण - असली बौस।  रणनीति अनुसार , योजनानुसार काम करांदु अर कारिंदा तैं लगद कृष्ण ना, बल्कण मा वैकि अपणी योजना च। 


आभार -डा बलबीर सिंह रावत की मेल 

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