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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, September 10, 2014

गढ़वाली -कुमाउनी प्रेम लोकगीतों में उपमा

सिर धौंपेली लटकाई कनी?
संदर्भ  : डा  नन्द किशोर हटवाल
इंटरनेट  प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती
सिर धौंपेली लटकाई कनी, 
काला सर्प की केंचुली जनी !
सिंदुर से भरी मांग कनी,नथुला मा गड़ी नगीना जनी !सी आँखि सरमीली कनी ,डांडू मा खिलीं बुरांसी जनी !मुखडी   को रंग कनो ,बाल  सूरज को रंग जनो !ओंठु का बीच दांतुड़ी कनी ,गंठ्याई मोत्यूं माल जनी !स्वर  मिठास कनी ,डांड्यों मा बासदी हिलांस जनी 

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