*********छिटगा *******
मेरी खुट्यूं मा
जनि
पड़नि छल्यूर
लोगों न तनि
चुटैनी
बाटों मा
गारा-कांडा-कठ्गा
खैड़-कत्यार..
****खबरदार ****
झुकण वल़ा !
झुकि ले
पण जरा
सोची कै झुकि
इन नि हो कि
कखि
तेरि मुंडळी
नि रै जाव सदनि
झुकीं-झुकीं ..
*****दारू ****
पीणु अर पिलाणु
लड़णु अर झगड़णु
बकणु अर बहकणु
लट्गिणु अर फरकिणु
निकम्मी गाळी
गन्दी नाळी
खीसा खाली ..
****अस्गुनु ***
समय का दगड़ा-दगड़ी
बढ़णी च
दुन्य मा
अधर्म कि फंची
जन कि
सुबेर का बढ्दा घामा दगड़ी
अध् कपाली को मुंडारो ...
डॉ नरेन्द्र गौनियाल
Poems by Dr Narendra Gauniyal
*****भौंदि****
ठीक च
मि तै नि छ क्वी हक़
कैकु तै बि कुछ बुनौ
शिकैत करनो
पण यू बगण वळी अन्स्धरी त
मेरी अपणी छन ..
*****मौका *****ठीक च
मि तै नि छ क्वी हक़
कैकु तै बि कुछ बुनौ
शिकैत करनो
पण यू बगण वळी अन्स्धरी त
मेरी अपणी छन ..
मेरी खुट्यूं मा
जनि
पड़नि छल्यूर
लोगों न तनि
चुटैनी
बाटों मा
गारा-कांडा-कठ्गा
खैड़-कत्यार..
****खबरदार ****
झुकण वल़ा !
झुकि ले
पण जरा
सोची कै झुकि
इन नि हो कि
कखि
तेरि मुंडळी
नि रै जाव सदनि
झुकीं-झुकीं ..
*****दारू ****
पीणु अर पिलाणु
लड़णु अर झगड़णु
बकणु अर बहकणु
लट्गिणु अर फरकिणु
निकम्मी गाळी
गन्दी नाळी
खीसा खाली ..
****अस्गुनु ***
समय का दगड़ा-दगड़ी
बढ़णी च
दुन्य मा
अधर्म कि फंची
जन कि
सुबेर का बढ्दा घामा दगड़ी
अध् कपाली को मुंडारो ...
डॉ नरेन्द्र गौनियाल
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