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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, April 19, 2012

Garhwali Poem by Dr Narendra Gauniyal

**********औंगाळ /अंग्वाळ ***********
कवि: डॉ नरेन्द्र गौनियाल        
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जणि किलै
बिगड़ी
हमरि अन्द्वार
अफ्वी करणा छाँ
अपणो खंद्वार
सि त्यारो
यि म्यारो
बोलिकै
न फोड़ा
एक-हैंका बर्मंड
न कारा स्यु कुक्र्यूल
आवा
आंखि खोला
उज्यलु बाळी कै द्याखा
हम सबी छाँ
एक माई का लाल
सब्बि भै- बंद
एक ह्वै जाँ
डाळी कै
एक-हैंका पर
भट्ट औंगाळ ...
    डॉ नरेन्द्र गौनियाल    

1 comment:

  1. सि त्यारो
    यि म्यारो
    बोलिकै
    न फोड़ा
    एक-हैंका बर्मंड
    ...त्यारो म्यारो कु भेद मिट जालू त फिर लड़ें-झगड़ा जनि कुई बात ही नि रैली ...काश सब यु बात समझ सकंदा ..
    भौत बढ़िया सोच..

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