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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, April 2, 2012

Garhwali Poems by Dr Narendra Gauniyal

***********************फरक *************************
 
रचनाकार - डॉ नरेन्द्र गौनियाल

१-*****नौनी *****
खाणी  छै त
खैले
निथर
त्वीत पायीं छै
नहे-धुएकी
त्वे बिजरि जि
हूणों च
यख करलु
२-******नौनु *****
खैले ब्वे
खैले रे
या खैले खैले
म्यारू लाटा खैले
म्यारू ट्वाका खैले

३-*****दर्रे *****
सुवै बोडिन
भितर बिटी
भैर ऐकि बोलि-
भगवान कि कृपा से
ब्वारी कि जान छुटीगे
भैर चौक मा बैठ्याँ
बैख अर ब्यठुलों न पूछी-
क्य ह्वै ?
नौनु कि ..
बोडिन बोलि -
लछमी हुयीं च लछमी !
सुणि कै
सब्बू का मुख बिटी
छुटीगे
दर्रे .!..

४-******छलक्वन्य पाणि *****
नौना तै
घुसीं रोटी
नौणी कि गुंद्की
अर
नौनि तै
कपला को छल्क्वन्य पाणि

५-*****नौनि अर ब्वारि*****
अपणी नौनि तै
ससुराल मा
सुखी अर
खुश द्यखन चान्द
अपणी ब्वारि तै
सदनि
परेशान करण वाली सासु ........                      
          डॉ नरेन्द्र गौनियाल
Copyright@ Dr. Narendra Gauniyal

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