Garhwali Proversn and Sayings
गढ़वाळी कहावतें
गढ़वाळी पखाणा
Compiled by Deepak Kukreti
Refrence : We R Kukreti Blog
1. कख राजुला सौक्यान आर कख दानपूर का ----- मतलब कह्ना राजा भोज और कह्ना गन्गु तेली
2. गन्गा मा का जौ - मुस्किल काम
3. बीरू लगी बीरू धार शीरू लगी शीरू धार--- मत्लब अपने अपने रास्ते पर चलना या अलग होना
4. निद्यो को घट्ट छीजो - जो किसी की मदद नही करता उसका अनाज पन्च्क्की से छीज कर बेकार चला जाता है
5. निबण्दी को गम्बू रसोया- मत्लब मज्बूरी का नाम-------
6. औरू की देखी लायी पैरी अपनी देखी नान्गी, स्ये बुबा कू मरी , स्या ही किले नि मान्गी
7. बैरी का बाछरू , पिजाया को सुख
8. घुट्दौ त गिच्चू फूकेन्द , थूक्दौ त दूद च
9. त्तातो दूद हूणो
10. खाणु गुड , बथौणू पिन्ना
11. दान का गोरू सिन्ग ना खूर
12. नाति नन्तान पूत सन्तान (बहुत लम्बे समय त
13. भौरो को कलेऊ कैन खायी कि खाणो
14. था था थुमि होणू (मामला शान्त होना)
15. सिन्ग पल्येणो ( लड्ने पर अमादा होना)
16. सुन्गर का पोथलू खारा की पाण - जन्म जात आदत
17. गल्ला ना पल्ला द्वी द्वी ब्यौ करला
18. कन्टर बान्धणु - समान सहित गान्व से बाहर निकाल्ना
19. चन्द्रैण करना / होणी - समाज से बाहर करना
20. चन्द्रैण करना / होणी - समाज से बाहर करना
21. बडा बैरी को बडू मान - बडे दुश्मन का खास ख्याल रखना
22. हुनतियालि डालि का चल्चला पात
23. नक्टा को नाक बित्ता भर कटॆ हाथ भर बढे
24. रान्डो का हेन पान्जा गौ पडेन बान्जा
25. ढुन्गा ही कोन्ग्ला हून्दा त स्याल भूखा मरदा
26. नो मन नदू कोन्का खोन ऊन्का यख छाछ मागन जौन
27. बिराली को सिखायौ बाग
28. माडू च पर मरद च टूटी च पर सड्क च
29. बिराला बाग कित्ल्डा नाग
30. तू ठ्गनी को ठ्ग मै जाती को ठ्ग
31. घून्डो घून्डू फूक्यै ग्याय फूकाण कख बिटे आयी
32. जख सौ सल्ली वख कभी न भल्ली
33. बेन्ड ऊतार्नू
34. सुद्दी सुद्दी की मुन्डाठेल
35. ओबरा का काला बाउन्ड का सट्
36. घोल मथो कर्नो
37. अति उछ्डू भतेडी क पडो - ज्यादा बनने वाले को नीचा देख्न पड्ता है
38. मून्डौ नौ कपाल - नाम बद्लने से कुछ फर्क नही पड्ता
39. सड्डी ढेबरी मूडी माडी पूछ की दा भ्या - हाथी निकल गया पूछ पे तकरार
40. हन्स ना कागा - मिट्टी का माधो
41. अन्द्ययारा की मार खबर ना सार
42. गीत लग्णा - बदनामी होना
43. नौ धरेणा - बदनामी होना
44. आप घोडी, न बाप घोडी, बिराणी घोडी न दान्त तोडी- दूसरे की चीज वफा नही करती
45. खाया पिया तन रीझे, लिया दिया सन्ग चले
46. ब्वै बाबु का बिगाड्या नौ और चकडैतु का खोया गौ सुधरदा निन
47. सिल्लू हैका कि मौ खो, तैलू अपणी - ठन्डे मिजाज वाला दूसरे का नुक्सान करता है
और गर्म मिजाज अपना
48. जोनि की जडी खाणु - अम्रर होना
49. मेरू भारी दोण नि सक्दू , बीस पाथा सक्दू- नाम बद्लने से
फर्क पड जाना हालाकि काम वही रहता है
50. अफ्फु चौडा बाजार सान्ग्डो - अपने मे कमी, दोस दूसरे पर
51. जैकु बाबा रिक्क न खाये वू काला खुन्ड्का देखी क डरो - दूध का जला छाछ फूक फूक कर पीता है
52- कागा कक्डादी रौ - पिन्नापकदी रौ - हाथी चलता रहाता है - कुत्ते भौकते रहते है
५३- कागा खाऊ त खाऊ निथर बिक्ख त बढाऊ
५४- जोगी भाजी बल हागण ही बिटी
55- सौ गिच्चा एक खिस्सा - एक कमाने वाला सौ खाने वाले
56- दाणी दाणी कै रास (थुप्डी) , डाली डाली कै घास-दाना दाना करके ढेर और टोकरी, टोकरी कर्के घास
57- टोप्ला ट्ळ्ळू , जना कना बच्ण से मरणू भल्ळू - कगाली से तो मरना बेहतर है
58-अभागी ल्हिगे बाघ, भग्यानू पडी जाग- एक के साथ दुर्घटना औरो के लिए सबक बन जाती है
59- खा पौणा घर छ्न्दी - हे अतिथी घर कि हैसियत के अनुसार अपने को ढाल लो.
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