विषय कामौ ह्वाऊ त लोग गढवळी लेख पड़दा छन
भौत सा विद्वानु तै गलत फहमी च बल गढवळी लोक गढवळी लेख नि बांच्दन
पण मेरो लेख ' गाऊं मा हनीमून हॉउस की भारी जरोरात च ' पर जो प्रतिक्रिया आणा छन वो बथान्दन बल गढवळी
साहित्य लोकुं लैक लिखे जाओ त लोक बांचला इ .
मेरा लन्दन मा एक पाठक छन विजय अन्थ्वाळ ऊँ तै गढवळी आँदी नी च
अर जब मीन गढवळी पाक कला गढवळी भषा मा ल्याख त विजय अन्थ्वाळ जी
न ल्याख बल यूँ लेखु तैं अंगरेजी मा ल्याखो .
मीन ल्याख बल मी गढवळी खाणक बान लेख नि लिखणो छौं बल्कण मा गढवळी
प्रचारौ बान लेख लिखणु छौं . गढवळी खाणक या गढ़वळी पाक कला पाठकु तै पसंद आई.
जे.पी.डबराल जी बि थ्वडा भौत गढवळी बंचण लगी गेन.
पाराशर जी , जयारा जीक साहित्य पर बि लोगु न टैम टैम पर प्रतिक्रिया दे
डा राजेश्वर उनियाल क गढवळी क्विताऊ पर बि प्रतिक्रिया आई
हरीश जुयाल कि एक कविता पर इंटरनेट मा त बहस ही छिड़ गे छे कि गढवळी मा हिंदी किलै घुसेडे गे
हाँ बंचनेरूं मन त टटोळण इ पोडल
शास्त्रीय अर सस्तो साहित्य (क्लासिक अर पल्प लिटरेचर )
हम लिख्वारु सणि द्वी किस्मौ साहित्य - शास्त्रीय अर सस्तो साहित्य (क्लासिक अर पल्प लिटरेचर )
लिखण चयेंद .
शास्त्रीय साहित्य मा हम तै कुछ ना कुछ नया प्रयोग करण चयेंद .
सस्तो साहित्य या पल्प लिटरेचर या रोड छाप साहित्य बि जरूरी च .
सस्तो साहित्य या पल्प लिटरेचर या रोड छाप साहित्य लोकु तै गढवळी पढ़न गिजालो .
अप्रैल ११
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