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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, April 15, 2012

For Garhwali writers - विषय कामौ ह्वाऊ त लोग गढवळी लेख पड़दा छन

विषय कामौ ह्वाऊ त   लोग गढवळी लेख पड़दा  छन
 
भौत सा विद्वानु तै गलत फहमी च बल गढवळी लोक गढवळी लेख नि बांच्दन
पण  मेरो लेख   ' गाऊं  मा हनीमून हॉउस की भारी जरोरात च '  पर जो प्रतिक्रिया आणा छन वो बथान्दन बल  गढवळी
साहित्य लोकुं लैक लिखे जाओ त लोक बांचला इ .
मेरा लन्दन मा एक पाठक छन विजय अन्थ्वाळ ऊँ तै  गढवळी आँदी नी च
अर जब मीन गढवळी पाक कला गढवळी भषा मा ल्याख त विजय अन्थ्वाळ जी
न  ल्याख बल यूँ लेखु तैं  अंगरेजी मा ल्याखो .
 मीन ल्याख बल मी  गढवळी खाणक बान लेख नि लिखणो छौं बल्कण मा  गढवळी
प्रचारौ  बान लेख  लिखणु छौं . गढवळी खाणक या गढ़वळी पाक कला पाठकु तै पसंद आई.
जे.पी.डबराल जी बि थ्वडा भौत  गढवळी  बंचण लगी गेन.
पाराशर जी , जयारा जीक  साहित्य पर बि लोगु न टैम टैम पर  प्रतिक्रिया दे
डा राजेश्वर उनियाल क गढवळी क्विताऊ पर बि प्रतिक्रिया आई
हरीश जुयाल कि एक कविता पर इंटरनेट  मा त बहस ही छिड़ गे छे कि गढवळी मा हिंदी किलै घुसेडे गे
हाँ बंचनेरूं  मन त टटोळण इ पोडल
             शास्त्रीय अर सस्तो साहित्य (क्लासिक अर पल्प लिटरेचर )   
हम लिख्वारु सणि द्वी किस्मौ साहित्य -  शास्त्रीय अर सस्तो साहित्य (क्लासिक अर पल्प लिटरेचर )
लिखण चयेंद .
शास्त्रीय साहित्य मा हम तै कुछ ना कुछ नया  प्रयोग करण चयेंद .
सस्तो साहित्य या पल्प लिटरेचर या रोड छाप साहित्य बि जरूरी च .
सस्तो साहित्य या पल्प लिटरेचर या रोड छाप साहित्य लोकु तै गढवळी पढ़न गिजालो . 
 
 
 अप्रैल ११
 
 गाऊं  मा हनीमून हॉउस की भारी जरोरात च

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