Hindi Poems by Dr.Narendra Gauniyal
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Anti Dam Hindi Poem By Dr Narendra Gauniyal
************यह झील **********यह झील
एक छोटा सा समंदर
समा गयी
एक शहर की विरासत
एक संस्कृति
एक इतिहास
घर डूबे एक छोटा सा समंदर
समा गयी
एक शहर की विरासत
एक संस्कृति
एक इतिहास
गलियां डूबी
महल डूबे
सबकुछ
डूब चुका
ढूंढें कहाँ
इस जलराशि में
जो सब यहाँ
लील चुका
डूब क्षेत्र के लोग
बेचारे
घर छोड़ा
गांव छोड़ा
जाने क्या-क्या छोड़कर
भागे
बदहवास
ये निर्वासित
कहीं दूर
अनजानी जगहों पर
सर छुपाने
निकल पड़े हैं.
खाट,बिस्तर,संदूकची
भांडे ,बर्तन
गागर,तौली,परात
गिलास,कटोरी
बोरे में समेटे
झील के बढ़ते पानी को देख
भाग चले हैं दूर
अपना अस्तित्व तलाशने
लेकिन
नीचे की ओर
जो बेफ़िक्र हैं
वे कभी भी
आ सकते हैं
इस भयंकर
हाइड्रोबम की चपेट में
धरती की एक छींक
काफी होगी
लाखों लोगों को
डुबोने के लिए .
डॉ नरेन्द्र गौनियाल ..
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वे कभी भी
आ सकते हैं
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