Great King Bharat in context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में महान सम्राट भरत
** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 24 /2/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --72
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -72
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History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur Part --71
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -71
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -71
भरतजन व पुरुवंश में दुष्यंत पुत्र की ख्याति बहुत अधिक है। (महाभारत, शतपथब्राह्मण )
शकुंतला के गर्भ में दुष्यंत पुत्र धीरे धीरे बढ़ने लगा। पुरे तीन वर्ष के बाद शकुंतला ने गढ़वाल भाभर में मालनी तट पर तेजश्वी पुत्र को जन्म दिया।
कण्व मुनि ने ब्राह्मणो से बालक का विधिपूर्वक जातिकर्म संस्कार करवाये।
छ वर्षीय बालक शेरोन , बाघों से लड़ाई कर उन्हें हरा देता था। भाभर क्षेत्र जहां भरत बालक ने बचपन बिताया आज भी बिजनौर , गढ़वाल व हरिद्वार का मिला जुला क्षेत्र है।
कणवा मुनि के प्रयाश से बालक को बारह वर्ष की आयु में समस्त शास्त्रों व वेदों का ज्ञान हो गया था।
जब दुष्यंत ने आकाशवाणी सुनने के बाद शकुंतला और बालक को अपनाना स्वीकार किया तो दुष्यंत ने भरत नाम देकर उसे युवराज बनाया।
राजगद्दी संभालने के बाद भरत ने समस्त भारतवर्ष के राजाओं को जीता। भरत को चक्रवर्ती सम्राट माना जाता है।
भरत राज्य में प्रजा सुखी थी , व्यवस्था सुदृढ़ थी। भरत के कारण ही कुरुवंशी भरतवंशी कहे जाने लगे।
ग्रंथों के अनुसार भरत ने यमुना तट पर 78 और गंगा तट पर 55 अश्वमेध यज्ञ किये। और एक हजार से अधिक अश्वमेध यज्ञ कर साड़ी वसुधा जीती। उसने सारा धन ब्राह्मणो को दान में दे दिया था।
शकुंतला उत्तराखंड की नारी थी व भरत ने भाभर में बाल्यकाल विताया था।
** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 24 /2/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --72
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -72
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