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Monday, March 23, 2015

हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में महाभारतीय कुलिंद में पशुपालन व शिल्प

Pasturing and Crafts in Mahabharata Kulind  context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur


                           हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर   इतिहास संदर्भ में महाभारतीय कुलिंद में पशुपालन व शिल्प
                            History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  Part  -- 83

                                  

                     हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  83                                      


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  

                           पशुपालन 

    महाभारत  जब कुलिंद जनपद के बारे में पशुपालन के बारे में उल्लेख है तो उसी दृष्टि से उसी तरह हरिद्वार , बिजनौर व सहारनपुर में था। 
कुलिंद जनपद के निम्न पालतू पशुओ का उल्लेख है -
गाय 
चंवर गाय 
भेड़ 
बकरी 
अश्व 
गधे 
हाथी 
कई स्थान बैलों के लिए प्रसिद्ध थे जैसे आज  का उत्तरी चमोली गढ़वाल में रांकवयण बैल प्रसिद्ध थे। 
आश्रमों में गाय पाली जातीं थीं। 
कुलिंद राज्य प्रवेश याने भाभर में हाथी व अश्व प्रचुर मात्रा में पाले जाते थे।  
                      शिल्प 
    पहाड़ी कुलिंद,  घाटियों व भाभर में जहां भेड़े पाली जाती थीं वहां अति उत्तम ऊनी  वस्त्र बनाये जाते थे। 
मधु निर्माण सभी जगह होता था। कुलिंद जनपद का शहद तो सम्राट अशोक के समय में भी कुलिंद क्षेत्र से (हरिद्वार , सहारनपुर व बिजनौर सहित ) निर्यात होता था 
धातु विज्ञान व खनन विज्ञान विकसित था  व यह क्षेत्र प्रसिद्ध था व नदी किनारे सुवर्ण चूर्ण के लिए भी प्रसिद्ध था।  धातु वर्तन बनाये जाते थे। 
अर्जुन ने यदि यहां अस्त्र शस्त्र प्राप्त किये थे तो सिद्ध होता है कि बिजनौर , हरिद्वार व सहारनपुर में भी  आदि अस्त्र शस्त्र बनाये जाते थे। 
जड़ी बूटियां भी प्रसिद्ध थीं अतः आयुर्वेदिक दवाइयो का निर्यात किया जाता रहा होगा। 
घर मिटटी पत्थर , राल , लकड़ी से बनाये जाते थी। 
पहाड़ों के शिल्प उत्पाद संभवतया मैदानी मंडियों से निर्यात किया जाता था। 



 ** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज 
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर 
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन 
Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India  21/3/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -

    
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