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भेंट , सौगात , बक्शीश लीणम क्यांक शरम ल्याज ?
एकालाप - भीष्म कुकरेती
मि तैं भेंट लीण मा क्वी शरम नि लगदि , आखिरकार या भेंट एक तुच्छ बक्शीश जन हि त च अरे मुंडीत मा गरीब हो या सौकार ह्वे तो मुंडीत का ही ना ? उनि भेंट , सौगात , नजराना , उपहार ,इनाम , दान की वस्तु , अर्पित वस्तु , यि सब चीज बक्शीश की मुंडित का ही छन , सब भाई बैणि छ। और क्या ? तुमि ब्वालो नि बोल जाण ? पैल मि तैं लोग व्हिस्की , सैम्पियन की बोतल , फूलूं बुक्के आदि उपहार दींद छा अर यि म्यार कामक नि बि रै ह्वाल तो भि लीण इ पड़द छौ अर घौरम मेमान ऐ गे तो मेहमानबाजी दिखाणो काम ऐ जांद छौ। उन त मी बि कबि कब्यार भेंट देन्दु जन कि कैसोरोल , टिफिन आदि। एक दैं मीन कैक मि तैं दियुं ऐश ट्रे कै सिग्रेटबाज तैं गिफ्ट मा दे तो छै मैना बाद एक दुसर सिग्रेटबाजान वी ऐश ट्रे मि तैं बर्थडे गिफ्ट मा दे दे। छै मैना मा मेरि चीज द्वी चार घरूँक अलमारी देखिक मीम वापस ऐ गे। अचकाल कॉंग्रेस राज्य सभा मा हल्ला गुल्ला करिक भाजपा का पुरण हल्ला गुल्ला वापस बौड़ाण मा लगीं च। इनि हम गिफ्ट या भेंट वापस करदां। जथगा तीन दे मीन बि उथगा इ वै स्टैंडर्ड का इ वापस करण वाळ सिद्धांत इ चलद !
म्यार बाडा जी तैं लोग बड़ी जीमण तो छोड़ो छुट मुटी पार्टी जन कि शराद मा भट्याण नि बिसरदा छया किलैकि बाडा जी इनकमटैक्स मा छया अर इनकमटैक्स पेयर बाडा जी तैं क्वी ना क्वी उपहार दे दींदा छ। अर बाडा जी यूँ उपहारुं तैं कै हैंक तैं दे दींद छा।
म्यार पिताजी तैं लोग बड़ी जीमण मा बि बुलाण बिसरि जांद छा किलैकि पिताजी इनकमटैक्स मा जि नि छा।
म्यार काकाक बिजिनेस च त ऊं तैं ऊंक ग्राहकुं से गिफ्ट आणा इ रौंदन जन कि चौकलेटक डब्बा , किताब , क्वी कलाकृति आदि। काकी उन चीज त अफुम धर दींदी पर बकै चीज मेरि ब्वै पर द्युराण -जिठाणी अहसान जताणो हमर ड्यार भेजी दींदी जन कि किताब ! या जब हमम टेलीविजन नि छौ तो टीवी कवर या जब हमम फ्रिज नि छौ तो फ्रिजक बोतल। जब हम छुट छा तो काकी बुड्यों की लाठी उपहार मा मिलीं जन चीज भेजदि छे अर अबि वैदिन बच्चोंका खिलौना भेजिक चली गे। हमर इख अब क्वी बच्चा खिलौना खिलण लैक नी च।
चार दिन पैल काका तैं क्वी NGO का प्रोग्रामक मुफ्त प्रवेशक पास मील ह्वाल तो काकी जिठाण पर अहसान जताणो कर्तव्य वोध का खातिर NGO द्वारा प्रदत पास हम तैं दे गे। परसि रात हम वै NGO का प्रोग्राम दिखणो गयां। प्रवेश मुफ्त छौ पर माट मा खड़ रौणो। कुर्सी मा बैठणो किराया छौ। कुर्सी मा बैठिक हमन प्रोग्राम द्याख। मेरि ब्वे क्या हम सब बोर ह्वे गेवां। ब्वेन ब्वाल ये प्रोग्रैम से बढ़िया तो शरद यादवक भाषण इ सूण लींदा त निंद त फकोरिक आंदि !
पर परसि रात बिटेन ब्वे बुबा जी से अबचळेक हुईं च। ब्वे पिताजी पर रूठीं च बल पिताजीन किलै इनकम टैक्स मा नौकरी नि कार या बिजिनेस किलै नि ख्वाल। बात बि सै च कि जिठाण से बि गिफ्ट अर द्यूरांण से बि गिफ्ट का ताना क्वा जनानी सै सकिद या सहन कर सकद ?
9/3/15 , Copyright @ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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