Shri Krishna Era in context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में श्री कृष्ण युग
कुरुवंश व हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर
पाण्डु
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में श्री कृष्ण युग
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur Part --73
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -73
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -73
श्री राम युग के बाद श्री कृष्ण युग शुरू हुआ जिसमे कुरु व यादव वंश की विशेष समृद्धि हुयी
श्रीकृष्ण युग में पौरव नरेश बड़े प्रतापी राजा हुए। पौरव ने कुरुक्षेत्र व कुरुजांगल में अपने राज्य का विस्तार किया। इस तरह इस वंश का नाम कुरु वंश पड़ा।
कुरु वंश में शांतनु बड़े राजा हुआ। शांतनु की पत्नी गंगा से देवव्रत पुत्र हुआ जिसने पिता हेतु जीवन भर ब्रह्मचर्य रहने का व्रत लिया और भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुआ । शांतनु की दूसरी पत्नी का नाम सत्यवती था , सत्यवती से दो पुत्र किन्तु वे पुत्र प्राप्त न कर सके अतः नियोग से सत्यवती पुतर्बहुओँ से तीन पुत्र प्राप्त किये गए।
नियोग से विचित्रवीर्य की दो पत्नियों व एक दासी से क्रमशः तीन व्यास पुत्र हुए -धृतराष्ट्र , पाण्डु व विदुर। विदुर दासी पुत्र होने से राज्य प्राप्त नही कर सकते थे , धृतराष्ट्र चक्षुहीन होने से राजगद्दी ना पा सके व पाण्डु को कुरुवंश की राजगद्दी प्राप्त हुयी।
पाण्डु ने स्वंबर से कुंती से विवाह किया व धन से माद्री से शादी की। पांडु ने कई देस जैसे दर्शाण , मगध , विदेह , कशी , सुम्ह्य व पुंड्रदेश जीते।
पांडु शिकार करने का शौक़ीन था। हस्तिनापुर के नजदीक भाभर क्षेत्र था जहां पांडु अधिकांश शिकार करने आता था याने पांडु का संबंध सहारनपुर , हरिद्वार , बिजनौर व गढ़वाल से था। गढ़वाल भाभर स्थान का नाम पाण्डुवालात सोत है।
पांडु को किसी खास वीमारी के चलते राजगद्दी छोड़ गढ़वाल या भाभर में रहना पड़ा. महाभारत में इस क्षेत्र वर्णन है जिससे पता चलता है कि पांडु हस्तिनापुर से भाभर होकर नागशत /नागथात पर्वत पर चले गए। पाण्डु आश्रम हिमालय में था और हस्तिनापुर से दो सौ मील के लगभग क्योंकि कुंती को इस आश्रम से हस्तिनापुर पंहुचने में सोलह दिन लगे थे। कुंती से तीन देवताओं से तीन पुत्र -युधिष्ठर , भीम व अर्जुन हुए और देव वरदान से माद्री से नकुल व सहदेव पुत्र हुए। पांडु का आश्रम शतश्रृंग शायद अगस्त्यमुनि के पास था जहां पांडुओं का जन्म हुआ। शायद गढ़वाल के इस क्षेत्र में नागपुर नाम पाण्डु के आने के बाद पड़ा होगा
** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 7/3 /2/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --74
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -74
Shri Krishna Era in context History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Shri Krishna Era in context History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; Shri Krishna Era in context History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Sultanpur, Haridwar, Uttarakhand ; Shri Krishna Era in contextHistory of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; History of Saharanpur;
Shri Krishna Era in context History of Nakur , Saharanpur;Shri Krishna Era in context History of Deoband, Saharanpur; Shri Krishna Era in context History of Badhsharbaugh , Saharanpur;
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 7/3 /2/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --74
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -74
Shri Krishna Era in context History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Shri Krishna Era in context History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; Shri Krishna Era in context History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Sultanpur, Haridwar, Uttarakhand ; Shri Krishna Era in contextHistory of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;Shri Krishna Era in context History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; History of Saharanpur;
Shri Krishna Era in context History of Nakur , Saharanpur;Shri Krishna Era in context History of Deoband, Saharanpur; Shri Krishna Era in context History of Badhsharbaugh , Saharanpur;
कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा , हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना , बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments