Shruti Sngrah, Puran Sngrah, etc in context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में श्रुति संकलन व संग्रह
व्यास चट्टी
वेद सम्पादन
महाभारत संग्रह
दर्शन शास्त्रों का प्रारम्भ
** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 26 /3/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --88
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -
Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, &History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; History of Sultanpur, Haridwar, Uttarakhand ; History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, &History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ; History of Bijnor; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Nazibabad Bijnor ; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Saharanpur; Shruti Sngrah, Puran Sngrah, & History of Nakur , Saharanpur; History of Deoband, Saharanpur; History of Badhsharbaugh , Saharanpur;
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में श्रुति संकलन व संग्रह
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur Part -- 87
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 87
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
व्यास आश्रम
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 87
यद्यपि महाभारत आदि में कहा गया है कि श्रुतियों का संग्रह व्यास ने किया और इसे एक ही पुरुष बताया। गया मेरी दृष्टि में व्यास एक पदवी थी और जो महभारत जैसे काव्य कर सके उसे व्यास कहा जाता रहा होगा। व्यास का अर्थ विस्तार भी है।
महाभारत युद्ध के विनाश उपरान्त व्यास अपने वास्तविक कुल (वास्तव में पांडव और कौरव व्यास संताने थीं ) नाश के बाद अपने शिष्यों के साथ गढ़वाल में मेरु /गंधमाधन पर्वत पर गंगा तट पर तपस्या करने चले गए। वहां उन्होंने महभारत संकलन गणेश की सहायता से लिख.
माणा गाँव के ऊपर व्यास गुफा या व्यास पुस्तक को महाभारत का रचनास्थान माना जाता है।
बणेलस्यूं , पौड़ी गढ़वाल में न्यार -गंगा के संगम पर व्यास चट्टी है और कहा जाता है कि व्यास ऋषि ने यहां तपस्या की थी।
व्यास सम्पादन किया और उन्हें चार भागों में विभाजित किया।
व्यास ने महाभारत सुनाया था और गणेश ने लिपिबद्ध किया था। इस ग्रन्थ को लिपिबद्ध करने में तीन साल लगे। समय समय पर इसमें श्लोक व कथाएँ जोड़ी गयीं।
पुराणो का संग्रह
महाभारत काल में पुराणो का संग्रह भी शुरू हुआ।
इसी काल में दर्शन जैसे सांख्य व नीति , धर्मशास्त्र , भूगोलविज्ञान , साहित्य , कर्मकांड , स्थापत्य जैसे साहित्य लिखने की परम्परा भी शुरू हुयी। तर्क शास्त्र या न्याय शास्त्र का प्रारम्भ भी हो गया था। महाभारत से जैन व बुद्ध धर्म का दर्शन याने भौतिक वाद भी शुरू हो चुका। था
** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 26 /3/2015
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur to be continued Part --88
हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास to be continued -भाग -
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