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एक वकील की दास्तान
एकालाप संकलन - भीष्म कुकरेती
जरा यूँ दीवालुं पर ध्यान द्वावदि। तुम तैं बि यी लगद ना कि यूं दीवालुंक वॉलपेपर संभावित पापुं से सड़ गेन ? लगद च ? जरा यूँ फाइलुं गट्ठा द्याखदी ! हरेक कागज गलत बयानबाजी का दस्तावेज छन। नि छन ?
पर जरा मी पर तो नजर मारो ! इख क्वी बि मुस्करैक नि आंद , हंसणै त बाति छोड़ द्यावो। बस इख जु बि आंद गुस्सा मा आंद , चिड़चड़ाट मा आंद अर हरेक अपण गुस्सा , अपण ईर्ष्या या संदेह कु बूसु /भूषा म्यार मुंडून्द डाळि चल जांद। द्याखो -म्यार हाथ काळा छन हुयाँ - अर दुनिया कु क्वी बि रसायन यूं काळ धब्बौं तैं नि मिठै सकद । जरा म्यार कपड़ों तरफ नजर मारदि -चिर्यां -अर खून से लत -पत -मि अपण कपड़ों तैं दस-पंदरा बार से अधिक नि पैर सकदु - हरेक कपड़ा पर कुछ दिनुं मा कपड़ों पर हौर लोगुं अपराध की सड्यांण , गंध , बास आण मिसे जांद। कति दैं मि यीं गंध बास मिटाणो बान अपण कपड़ा खारन मतबल रंगुड़ अर हळकु तेज़ाब से भि धूंद पर अपराध की गंध नि जान्दि। लोग सुपिन्यूं मा भली भली बात दिख्दा होला पर मि हरेक सुपिन मा अपराध हूंद, अपराध्युंक आराम से घरम बैठ्युं दिखुद , पीडितुं रोज रोज कोर्ट का चक्कर लगांद दिखुद अर अंत मा अपराध्युं तैं निरपराध छुटद दिखुद - मीन सुपिन मा लालू प्रसाद यादव तैं निपराध छुटद देखि आल अर निरपराध लालू प्रसाद कुण प्रधान मंत्री की शुभकामना वळ संदेश बि द्याख। अबि मीन एक हत्या सुपिन मा द्याख पर सबसे कटखव्वा सुपिन तो तब हूंद जब मि पति -पत्नी तैं तलाक का नाम पर अलग करदु। हजारों पूळ कागज यी नि बथांदन कि तलाक कु असली कारण क्या च ? जब पूछे जांद कि पति या पत्नी कु अपराध क्या च ? तो सही मामला मा ना तो पति सिद्ध कर सकद ना ही पत्नी सिद्ध कर सकदी कि तलाक जरूरी च। जब पूछे जांद कि क्या गारंटी च कि तलाक का बाद बि तुम द्वी दूसरौ दगड़ सुखि रैल्या तो जबाब नदारद रौंद -सुपिन मा बि अर ये जामा मा बि। तरास , दुखी अनुभव अर अपराध का संसार मा रैक मि कन से कनो ह्वे ग्यों ? क्या मि एक नीरस , निहृदयी कै से प्यार करण लैक रै ग्यों ? में सरीखा सुखो मनुष्य कैक प्यार पाण लैक रै ग्यों ? जैक टक दुर्दांत अपराधी तैं बचाणै रालि क्या वु कैक सच्चो दोस्त बण सकद ? जैकि तीब्र इच्छा जघन्य बलात्कारी तैं निरपराध साबित करणै होलि क्या वै तैं क्वी दोस्त बणाणो तयार ह्वालु ? जु निरपराध गांधी का हत्यारों तैं बचाणो बान संविधान की छतरी ल्यालु क्या वैक बच्चा वैसे प्यार करदा होला ? जु अन्ना हजारे तैं अपराधी साबित कर द्यावो क्या वैक पत्नी वै वकील तैं सचमुच का सम्मान दीन्दी होली ? या वा पत्नी करवा चौथ का दिन सरासर ढोंग नि रचदि होली ?
हाँ मेरी कोठी च , कद च , काठी च पर क्या सचमुच मा मि सुखी मनुष्य , संतुस्ट मनुष्य , चिंताहीन मनुष्य छौं ?
पर मेरी मजबूरी तो द्याखो जब तक मनुष्य मा घमंड , गर्व , अभिमान; ईर्ष्या , जलन , मात्सर्य ; उत्पीड़न करण , पीड़ा दीण , दमन करणै भावना ज़िंदा राली मीन ज़िंदा रौण अर मीन बि अपराध बोध की जिंदगी बिताण !
8/3/15 ,Bhishma Kukreti
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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