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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, March 18, 2015

हत्या संबंधी लघु कथा

 मि मृत औरत से भौत प्यार करदु 
        ( हत्या संबंधी अनूदित लघु कथामाला - 1 ) 

               अनुवाद   - भीष्म कुकरेती 

रंधावा भौत सालुं से एक मृत औरत का प्रेम मा अंधु ब्वालो या फँस्युं ब्वालो छौ। जब बि वु वीं औरतक फोटोग्राफ दिखुद छौ वै तैं उत्तेजनात्मक संतोष मिल्दु छौ। हालांकि वीं जनानी तैं मर्यां चालीस साल ह्वे गे छा पर अबि बि रंधावा का प्रेम मा वी जोश छौ।   हालंकि वा वैक जनम हूण से पैलि मर गे छे, पर यांसे वैपर कुछ फरक नि पड़ुद  । वैक जीवन मा कथगा इ औरत ऐन पर क्वी बि वैक प्रेम कम नि कर सकिन। 
एक दुफरा मा रंधावा वीं जनानिक एकी बेटी भामा तैं मिळणो गे। वै तैं पूरी उम्मीद छै बल बेटी से मिलणो बाद वु वींक ब्वेक बारा मा जाणि जालु। 
रन्धावान भामा से ब्वाल - तुमर  भौत बढ़िया मकान  च।
भामा - धन्यवाद ! अच्छा मि तैं कुछ कारणु से दिन मा द्वी पैग जिन पीणै आदत पड़ीं च।  क्या आप भी ?
रंधावा - ना ना , मि तैं जल्दी च जरा। 
भामा - तो मि पेल्युं ? क्वी ऐतराज   … ?
रंधावा - हाँ हाँ !  मि तैं क्यांक ऐतराज ?
-मि तैं पीण नि चयेंद पर कैपणी बोल च बल पूरणि आदत नि जांदन , वा खितखित हौंस। 
- हाँ ! आदत अड्ड ही हूंदन अर नि मरदन।  रंधावा बि हौंस। 
भामा - अच्छा आप आराम से कुर्सी मा बैठो।  मि एक मिनट मा आंदु। 
रंधावा - जन आप बुलिल्या । 
भामा किचन मा गे अर एक पैग जिन पेक न घटकैक ड्रवाइंग रूम मा ऐ गे। 
भामा - अच्छा आप मेरि मा पर किलै लेख लिखण चाणा छंवां ?
रंधावा - भौत सालुं से मि मिसेज खिरकवालक सम्मान इ ना , एक तरां से  प्रेम करदु। 
भामा -हैं ! किलै ?
रंधावा -मिसेज खिरकवालक मेरी जिंदगी मा बडु महत्व च। जब मि छुटु लड़का छौ तो म्यार बुबाजीन मि तैं मिसेज खिरकवालक फोटो दिखै छे।  बस तब से ही प्रेम ह्वे गे।  मिसेज खिरकवाल वास्तव मा अति  सुंदर जनानी छे। आज बि वा अति सुंदर जनानी च।  मीन इथगा औरत दिखेन पर इथगा सुंदर औरत नि दिखे। 
भामा - बड़ी लोमहर्षक बात च।  है ना ?
रंधावा - यदि मि कै मृत औरत तैं प्यार करूद तो यांक मतलब यु नी च कि मि पागल छौं। जब तुम कै से प्यार कारो तो तर्क काम नि करदन।  आपकी समज मा या बात नि ऐ सकदि।   
भामा - आप इथगा प्यार करदां ?
रंधावा - यदि प्यार नि हूंद त मि आंद बि ना। 
भामा - अच्छा ! आप तैं क्या जानकारी चयेणी च ?
रंधावा - वा कनकैक मोर ?
भामा - वींक हत्या ह्वे छे। 
रंधावा -कनकैक ?
भीमा -ज्यादा कुछ ना।  एक स्याम , म्यार बुबा जीक घूर लौटण से पैल एक आदिम हमर ड्यार घुस।  वैन मेरी माक गळा घोटणै कोशिस कार।  मेरी माँन बचणै  भौत कोशिस कार पर वैन अंत मा माँक गौळ घोटिक हत्या कर इ दे। वु भौत तागतवर छौ।  जब वैन माँ मार दे तो वु म्यार पैथर पड़ि गे 
रंधावा -फिर ?
भीमा -फिर क्या घरक अलार्म बज गे अर वै तैं भगण पोड़।  मि कथगा बि भुलणो कोशिस करदु पर बिसर नि सकुद।  हर समय वु हलंकारी दृश्य म्यार आंखुं समिण ऐ जांद। यु दृश्य म्यार पैथर नि छुड़द।  
रंधावा -तुमन भौत भोग हैं ! भौत बुरु ह्वे। 
भीमा -हाँ पर यदि ज़िंदा रौण तो सब सहणै आदत डाळण पड़द।     
रंधावा - कखि न कखि , हम दुयुं मा एक समानता अवश्य च। 
भीमा -क्या ?
रंधावा -मि जब छुटु छौ तो मीन बि अपण बुबा खोये , गँवाई। 
भीमा -ये मेरि ब्वे ! च्च , च्च !
रंधावा -हाँ, वु मोर नी च पर  वु मे से सदाक वास्ता बिछुड़ गए। मिस भामा वु भलु मनिख नि छौ।  वु हत्यारा छौ।  वैन बुड्या , मध्य वय अर बच्चा सबि मारिन।  अर अधिकतर जनानी ! हाँ हाँ ! मिस धामा खिरकवाल म्यार बुबा एक सीरियल किलर छौ। मि एक सीरियल किलर कु नौनु छौं। 
भीमा -क्या तुम गंभीर छंवां ?
रंधावा -जब वै तैं पुलिसन पकड़ अर जब जेल जाणु छौ त म्यार बुबान मि तैं मिसेज खिरक्वालक फोटो दे।   मीन बि शपथ ले ले अर प्रण ल्याइ।   
भीमा -क्यांक शपथ ? क्यांक प्रण 
रंधावा -कि मि  वैक अधूरा कार्य तैं पूर करण पोड़ल। कि मी वैक अधूरा छुड्युं कार्य तैं पूर करुल।  प्रण लियुं च। 
भीमा -क्या बोल रहे हो ?
रंधावा -मि तेरी माँ तैं प्यार करदु छौ , अर अबि बि मि भौत प्यार करदु।  पर मि तैं अपण प्रण पूर करण।  अर अपण बुबाक अधूरा कार्य तैं पूरा करण। 
भीमा -मतलब तू मेरी माँ कु हत्यारा का पुत्र छे ?
रंधावा - हाँ।  जिंदगी  आश्चर्य से भरपूर च।  है ना ?
भामा  (जोर से किरांदी ) - तू पागल है।  
रंधावा - यीं दुन्या मा सब पागल इ त छन। 
     -समाप्त --
13/3/15 Bhishma Kukreti 

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