क्रान्ति की धाद
जनानी
आदिम
जनानी
(उन्नादेसी भाषाक नाटक )
अनुवाद - भीष्म कुकरेती
-------------चरित्र ------------------------
आदिम
जनानी
(एक मध्यवर्गीय लोगुंक कमरा। चाँद की रौशनी से कमरा मा रौशनी। एक जनानी मोमबत्ती लेक खिड़की से भैर स्थिराववस्था मा अन्ध्यर मा दिखणि च। कुछ समय उपरान्त एक आदिम भिर आंद )
सूणना छंवां कि ना ?
आदिम
सीणो आ भै।
जनानी
आदिम
सीणो आ भै।
नी सूण ?
क्या नि सूण ?
भैर , बैरिकेड बणाणा छन।
आदिम
कख ?
जनानी
जनानी
आदिम
यु सच्चेकी हूणु च। मि तै विश्वास नी हूणु च।
जनानी
आदिम
जनानी
आदिम
जनानी
आदिम
यु म्यार कर्तव्य च।
जनानी
तू त छैं छे ऊंक दगड़। यु संतोष की बात त च कि ऊम ऊंक मा रालि। मि इख नि रै सकुद।
जनानी
अर मि ? मि सौक सकुद ?
जनानी
आदिम
जनानी
आदिम
तू अछेकि बुलणि छे ? क्या तू बुलणि छे ? तू जु कै हैंक चीजौ वास्ता न किन्तु यूँ बच्चों बान मरि -खपि। ज्वा हमेशा उंक खातिर डरीं रौंदि छे ?.
जनानी
आदिम
जनानी
आदिम
जनानी
आदिम
सूरज उगद च , सूरज डुबद च ----हाथ टेलीफोन करद चलद छन … पर समय कु अस्तित्व नी च। यु एक भरम च। तू कु छे ? मि त्वै नि जणदु। तू क्या मानव छे ?
(जनानी इन हंसदि जन वा सतरा सालक छोरी हो। )
जनानी
मि तै जाण पोड़ल। मि ज्यादा देर तक रुक नि सकद।
जनानी
आदिम
जनानी
आदिम
जनानी
अब लगद कि इकै पैसाक लड़ै, चिंता बेकार छौ। अब चिंता समाप्त।
जनानी
जनानी
आदिम
जनानी
जनानी
आदिम
जनानी
जनानी
तुम याद करिल ना ?
आदिम
अवश्य।
जनानी
आदिम
हाँ … तब तक जब तक हम दुबर नि मिल्दां।
आदिम
कख ?
इख , हमर गळी मा।
(द्वी एक दुसर तै दिखदन। आदिमक मुख पीलु पड़द। वु खिड़की मा जांद। वा वै तैं घुरणी रौंद )
आदिम
कथगा देर से ?
कम से कम एक घंटा से।
(चुप्पी )
आदिम
म्यार भाई ?
जनानी
वु उख जयुँ च। वै तै पता छौ तुमन वै तै रुकण त जनि शुरू ह्वे मतलब पता चौल त वु चल गे। मीन जांद द्याख।
आदिम
तीन मीतै किलै नि बिजाळ ?
जनानी
म्यार भाई ?
वु उख जयुँ च। वै तै पता छौ तुमन वै तै रुकण त जनि शुरू ह्वे मतलब पता चौल त वु चल गे। मीन जांद द्याख।
आदिम
तीन मीतै किलै नि बिजाळ ?
तुमन क्या कौर सकण छौ ?
(चुप्पी )
आदिम
यु सच्चेकी हूणु च। मि तै विश्वास नी हूणु च।
(वा वैक हाथ जोर से पकड़दि )
डौर लगणी च ?
तू ?
(वा 'ना ' कुण मुंड हिलांद। पर वा कमण नि रोक सकदी )
मि तै लगणु छौ कि इन हूण वाळ च। पूर्वाभाष। तूफ़ान से पैलाकी शान्ति। कुछ दिनों से कुछ नि हूणु छौ। फैक्ट्री बंद छन। रस्ता खाली पड्यां छन। इख तक कि हवा बि साफ बगणि च। मि अबि कुछ देर पैल भैर गे छौ। त न क्वी लाइट , ना क्वी कार , कुछ बि ना। शहर का एक बि चिन्ह ना … शान्ति .... चुप्पी। आँख बंद करिक सुचिल त त्वे लगण कि तू शहर से मीलों दूर छे। अरे गांवकी हवा की गंध, वसन्तागमन की खुसबू , फूलूं सुगंध ! इख तलक कि कुत्तोंक भुकणो आवाज बि सुणे स्क्याणि च। शहर मा कुछ ना कुछ हूणु च।
(कुत्ता भुकुद )
ये सुणी ले कुत्ता भुकणै आवाज।
(कखि घौण -सब्बळ चलणै आवाज आदि। वा खिड़की का पास जांदी। अर दिखान्दि )
सि फिर से खणण मिसे गेन
(वु एक हैंकाक हाथ पकड़िक भैर अंध्यर मा दिखणै कोशिस करदन। कुलाड़ि चलणै जोरदार आवाज )
ध्वनि आकर्षक च न बुल्यां नदी मा नाव चलणि हो , या डाम बणनु हो …
आदिम
या आवज भविष्य की च।
या आवज भविष्य की च।
(चुप्पी )
त्वै तै पता च मीन बि जाण।
जनानी
पता च।
फिर जाणदि छे ना ?
हाँ !
आदिम
यु म्यार कर्तव्य च।
अर बच्चौंक क्या ?
आदिमतू त छैं छे ऊंक दगड़। यु संतोष की बात त च कि ऊम ऊंक मा रालि। मि इख नि रै सकुद।
अर मि ? मि सौक सकुद ?
आदिम
क्या ?
(खौंळेक। वु हाथ फैलांद। वा हाथ झटकी दींदी )
इन सैकड़ों सालुं मा , ना हजारों साल मा हूंद … हजार साल मा ? अर तुम चांदवां कि मि बच्चोंक गू मूत इ पूंजू ?
आदिम
तू मरण चांदी क्या ? वु जनि मेरी हत्या कारल उनि ऊंन तेरी बि हत्या … उ नि दिखदन कि कु जनन च अर कु मरद च।
जनानी
आदिम
तू मरण चांदी क्या ? वु जनि मेरी हत्या कारल उनि ऊंन तेरी बि हत्या … उ नि दिखदन कि कु जनन च अर कु मरद च।
(कम्पन मा इ )
मि नि डरणु नि छौं।
अर बच्चोंक क्या ह्वाल ? कु द्याखल ऊँतै ? क्वी चांस ?
यु बच्चों से अधिक महत्वपूर्ण च।
आदिम
कखि मर जाल तो ?
जनानी
मर जाल तो ?! यदि उद्देश्य पूर्ति का वास्ता हो तो ?आदिम
कखि मर जाल तो ?
तू अछेकि बुलणि छे ? क्या तू बुलणि छे ? तू जु कै हैंक चीजौ वास्ता न किन्तु यूँ बच्चों बान मरि -खपि। ज्वा हमेशा उंक खातिर डरीं रौंदि छे ?.
वा बात पैलाकि छे।
आदिम
त अब क्या ह्वे ग्ये ?
जनानी
आदिम
त अब क्या ह्वे ग्ये ?
जन तुम पर प्रभाव ह्वे। मी बि भविष्य दिखणु छौं।
तू म्यार दगड चलण चाँदी ?
हाँ
(विराम )
गुस्सा नि ह्वाओ। … पर जब आज हथोड़ा चलिन …सब्बळ चलिन … अर कुलाड़ि धळकाण लगिन … तुम सियां छया … तब मि तैं अचाणचक लग बल म्यार पति , म्यार बच्चा .... सब क्षणिक छन .... मि तुम से भौत प्यार करदु।
( वा वैक हाथ फिर से जोर से पकड़द )
… पर तुम नि सूण सकणा छंवां कि उ कन चोट करणा छन ? प्रहार से ध्वनि नी हूणि च क्या ? क्वी चीज गिरणी च , कुछ उजड़णु च , टुटणु च , कुछ भ्यूं धरासाई हूणु च , पृथ्वी बदलणि च , सत्यभाषी , चौड़ो। अबि त रात च पर मेकुण त सूरज चमकणु च ! मि तीस सालक छौं पर बुड्या दिख्यांद , तुम जाणदा छा। … पर आज रात मि अफु तै सत्रा साल की नवेली लड़की समजणु छौं जन मि पैल बार प्यार मा फंस होलु , एक आल्हाद , एक अहसास ...एक अप्रतिम प्यार की रौशनी आकश तैं ढकणि च।
आदिम
जन कि शहर मर गे अर चलि गे। मि अबि बच्चा जन अनुभव करणु छौ।
जनानी
जन कि शहर मर गे अर चलि गे। मि अबि बच्चा जन अनुभव करणु छौ।
वु प्रहार करणा छन अर मि तैं संगीत लगणु च, जन गीत जांक मि सुपिन दिखुद छौ - जीवन भर -- मि तै पता नी च कि मि के तै प्यार करदु छौ जु मि तैं रुलाणो , हंसणो , गाणो अनुभव दींद छौ ! या च स्वतंत्रता ! मि तै मेरि जगा मा जाणो मना नि कारो -मि तैं उख ऊंक दगड मरण दे जु उख काम करणा छन , जु मर्युंभूतकाल की कब्र मा उत्साह अर बीरता से भविष्य तै भट्याणा छन।
( अजनबी भौण मा )
समय क्वी चीज नी च।
समय क्वी चीज नी च।
क्या ?
आदिम
सूरज उगद च , सूरज डुबद च ----हाथ टेलीफोन करद चलद छन … पर समय कु अस्तित्व नी च। यु एक भरम च। तू कु छे ? मि त्वै नि जणदु। तू क्या मानव छे ?
(जनानी इन हंसदि जन वा सतरा सालक छोरी हो। )
मि बि तुम तै नि जाणदु। … तुम भी क्या मानव हो ? कथगा आश्चर्य च … कथगा सुंदर च - द्वी मानव !
आदिममि तै जाण पोड़ल। मि ज्यादा देर तक रुक नि सकद।
जनानी
रुको , मि खाणो कुछ दींद। पैल कुछ खैल्या। लुच मिनट से कुछ फरक नि पड़न। मि भोळ औल , बच्चों का इंतजाम करिक अर तुम तै खोजि ल्योलु।
आदिम
कॉमरेड !
जनानी
आदिम
कॉमरेड !
हाँ कॉमरेड।
(कुलाड़्यूं घळ काणो आवाज खिड़की से आंद। वा रुटि खाणो मेज मा धरदी। वु खाली रुट्यूं तै इकटकी दिखणु रौंद। )
किलै नि खाणा छंवां ?
रुटि -या अजीब चीज च ! हरेक चीज रहसयपूर्ण अर नै च। म्यार हंसणो ज्यु बुल्याणु च। मि दीवालुं तै दिखुद तो इ अस्थाइ लगदन। वु अदृश्य छन। मि देख सकुद कि इ कन चिणे गे ह्वाल अर कन ध्वस्त ह्वाल। हरेक खतम ह्वे जाल। मेज … यामा भोजन … तू मी … यु शहर … सब चीज स्पष्ट अर साफ़ दिखेणु च।
(जनानी सुकिं रुट्यूं तरफ दिखदि। फिर धीरे धीरे वींक नजर उना जांदी जना बच्चा सियां छन।
यूँ पर दया नि आंदि ? बच्चा ? कि यी ये जमाना मा अब ऐन ?
(वा बगैर रुट्यूं पर नजर हटायां मुंड हिलांद।
ना , … मि केवल अपण भूतकाल का बारा मा सुचणु छौ।
(विराम )
कथगा दुरूह अर असह्य ! दुःस्वप्न ! लगद अब। अब लगणु च जन कि एक लम्बी नींद से बिजणु हूँ।
(वा कमरा पर नजर मारदि )
क्या हम इखि रौंद छा ?
आदिम
तू मेरी घरवळि छे।
जनानी
तू मेरी घरवळि छे।
अर सि हमर बच्चा छन।
हमन काम कार।
हमन प्यार कार।
आदिम
हमन ये मेज पर हिसाब कार। लीण -दीण कार।
जनानी
आदिम
हमन ये मेज पर हिसाब कार। लीण -दीण कार।
अर खर्चा का बारा मा , एक आना का बारा मा माथा पच्ची।
आदिमअब लगद कि इकै पैसाक लड़ै, चिंता बेकार छौ। अब चिंता समाप्त।
अर यीं दीवाल का भैर तुमर पिताजी मरिन।
आदिम
हाँ , वु सियांमा इ मर गेन। वैन मीमा बोल छौ कि यु दिन आल … पर वु ये दिन नि देख सकिन।
आदिम
हाँ , वु सियांमा इ मर गेन। वैन मीमा बोल छौ कि यु दिन आल … पर वु ये दिन नि देख सकिन।
(हाल से बच्चा की रुणै आवाज आंदि।
वींक रुणै आवाज आज अजीब च … भैराक आवाज का बीच … इन रुण अजीब लगणु च।
(जनानीक निंद सि खुल्दि, वा आवाज जीना जांद। )
अच्छा जावो।
मि , वूंक भुक्कि पीण चाणु छौं।
वूंन बीज जाण।
आदिम
हां सही ब्वाल ।
आदिम
हां सही ब्वाल ।
(जनानी हाल का तरफ जान्दि , भैर तोड़ फोड़ की आवाज आणि रौंद। वु खिड़की का पास आंद भैर दिखणु रौंद , बच्चा की रुणै आवाज धीरे धीरे कम हूंद जांद। अंत माँ जनानी वापस आंद )
तुम बंदूक लिजाणा छंवां ?
हाँ।
स्टोवक पैथर च।
(वु बंदूक उठांद )
आदिम
अच्छा!
अच्छा!
(वा किस करिद )
अब क्या बोलुं ! मि त्वै तै कथगा प्रेम करद छौ। त्यार आँख थकावट दूर कर दींद छा।
अवश्य।
जनानी
तुम कन बोल सकदां। अब सब कुछ अलग ह्वाल।
आदिम
मि याद करुल।
जनानी
आदिम
मि याद करुल।
यदि तुम कखि मोर जैल्या तो ?
पता नी।
(वु सब जगा दिखुद अर वींक हाथ पकड़िक दरवज का पास आंद। एक विराम )
अच्छा … तब तक जब तक हम दुबर नि मिल्दां।
जनानी हाँ … तब तक जब तक हम दुबर नि मिल्दां।
( वु अन्ध्यर मा चल जांद , वा वै तैं दिखणि रौंदि। भैर खटाखट घौंण , सब्बळ , कुलाड़ि चलणै आवाज आणी रौंदि।
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सर्वाधिकार - मूल लेखक कु प्रकाशक आदि
यु नाटक केवल नाट्य प्रशिक्षण का वास्ता अनूदित करे गे ।
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