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छज्जा कलाकार दलित जाति में कैसे आये ?
छज्जा बणाण वळ दलित जात मा कनै ऐन ?
चबोड़्या , चखन्यौर्या , हंसोड्या - भीष्म कुकरेती
कैरा -घोघड़ सौकार जी ! क्या हाल छन ?
घोघड़ - हाल पुछणु छै कि मजाक उड़ाणि छे ?
कैरा -ह्यां ! न त तू म्यार स्याळ , ना जीजा अर ना इ समदी त मजाक किलै करण ? हैं ?
घोघड़ - तू सच बता कि त्यार हाल पुछणो मतबल क्या च ?
कैरा - हाल चाल माने हाल चाल ! परिवार कन च , परिवार मा क्या हाल छन, अर जिमदर कन चलणु च।
घोघड़ -उंं , अच्काल त लंडेर कुत्ता बि म्यार दगड़ मजाक करण मिसे जांद अर पुछुद कि - घोघड़ जी ! क्या हाल छन ?
कैरा -क्वी बिमारी ? पैल त लंडेर कुत्ता त जाणि दे गांवक नया नया बण्या चौहान , अस्वाळ थोकदार , पधान बि तुम खश्यौं समणि जवान नि ख़ुल्दा छा ?
घोघड़ -अरे अब त चाकरी करण वाळ खैकर बि आँख घुरै दींद।
कैरा -खैकर ? जु भैर देस बिटेन अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं का खेत खोदिक बणान्दन अर हौळ जोळ चलांदन अर बदला मा असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेती यूँ तैं कुछ पुंगड़ खेती करणो दे दींदन। वी खैकर चाकर अब ते सरीखा खांद -पींद खश्या की मजाक , मसखरी उड़ाणा छन ?
घोघड़ -हाँ अब त पता च जौं तैं भैर देस बिटेन अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं डूम बुल्दन वु मजदूर बि हमकुण बुलणा छन कि हमर जमात मा ऐ जावा !
कैरा -हैं ? डूम मतबल मजदूर अब शिपलकारुं तैं ताना दीणा छन ? मतबल क्वी गंभीर मसला च ? है ना ?
घोघड़ -हाँ तबि त मि बुलणु छौं कि हाल चाल पुछणु छै कि मजाक उड़ाणु छे ?
कैरा -औ तो बात नि रै गे या बात अब त अब समस्या बण गे ?
घोघड़ -हाँ समस्या बण गे। समस्या क्या , द्वी बगतौ आलणो बि समस्या ह्वे गे। जु हम यूं देसी भैर देस बिटेन अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं समिण हथ नि फैलांद छा अब छाच, आलण अर लूणो बान यूंक द्वार पर खड़ा रौंदा।
कैरा -हैं ? छज्जा निकाळण वाळ , जंदर -घट्ट कु पाट बणाण वाळ घोघड़ सौकार मंगत्या ह्वे गे ? घोघड़ सौकार ! क्या बुलणि छै ?
घोघड़ -केक घोघड़ सौकार ? अब त हमर जनानी बि डूमुं तरां भैर देस बिटेन अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं का द्वार समणि तमाखू , छाछ - आलण मांगणो खड़ा रौंदन। अर ज़रा मनियारस्यूं , अस्वाल्स्युं , ढांगू , उदयपुर मा यी कांड लग्यां छन।
कैरा -पर ह्वे कनै च ?
घोघड़ -अरे इथगा जल्दी हम सौकार शिल्पकारुं तैं इन दिन दिखण पोड़ल ! हम तै सुपिन मा बि नि छौ पता।
कैरा -हाँ तुमरि पूछ तो शिरिनगर मा बोल्दां बदरीनाथ तक छे। मतबल रज्जा बि तुमर समिण नतमस्तक रौंद छौ।
घोघड़ -अरे वैइ रज्जाक त कोट -महल घाम लग।
कैरा -हैं ! अरे तुम छज्जा निकाळण वाळुक पूछ तो मंत्रियुं से बि बिंडी छे , कैतैं बि कूड़ बणाण हो तो छज्जा तुम निकाळदा छया , जंदर तुम बणान्दा छया , तिबारी का सीर मोर, सिंगार , द्वारुं का सीर मोर, सिंगार तुमि पख्यड़ खोदिक बणान्दा छया। सरा क्षेत्र मा तुमारी इ जय जैकार हूंदी छे। इक तलक कि चौथ का बामण बि उनियाल , नौटियाल , बहुगुणा , डिमरी तुम तै संस्कृत सिखांद छा।
घोघड़ -हाँ कि जाँसे हम तिबार्युं , महलों का छज्जाओं , द्वार सिँगारुं पर वूंक नाम लेखि सकां।
कैरा -हाँ , वी त मि बुलणु छौं। कि जौंकी पूछ बोल्दां बद्रीनाथ का दरबार मा ह्वावो वो मजदूरूं तरां बेळि माँगल तो भेमाता (पृथ्वी कु रचनाकार) तैं बि विश्वास नि आलु।
घोघड़ -अरे यु सब बोल्दां बदरी नाथक याने रज्जाक छद्म भेद से ही ह्वे।
कैरा -बोल्दां बदरी नाथक याने रज्जाक छद्म भेद से तुम रचनाकार हरिजनुं गाणी मा ऐ गेवां ? महान शिल्पकार जात अर दलित जात मा ?
घोघड़ -हाँ ! पैल त बोल्दां बदरी नाथन याने रज्जान हम खश्याओं तैं कमजोर करणो बान भैर देस से अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं तैं जमीन दे तो खश्या बस मजदूर हि ह्वे गे छया।
कैरा -हाँ ! पर तुम रचनाकारुं पूछ तब बि राइ च। तुम दलित वर्ग मा तब बि नि छया। म्यार दादा बतांद छा कि तुम छज्जा बणाण वळुन सरा भारत मा नाम कमाई अर काम्बोज देस (कम्बोडिया , थाईलैंड आदि ) तक तुमारी हाम च।
घोघड़ -हाँ पर जब भैर देस से अयाँ असवाळ , चौहान, नैथाणी , कुकरेत्यूं तैं घौर बणाणो जरूरत ह्वे तो यूँन बढ़ई पटैन अर मकान बणानम छज्जा पत्थर की जगा लकड़ी प्रयोग करवाई अर अब त मकान बणानम कखिम बि छज्जा पत्थरो प्रयोग नि हूंद इख तक कि छज्जा बि अब लकड़ी का बणना छन, लागत बि भौत कम च, अर दिखेणम बि मकान सुंदर लगदन।
कैरा -हाँ , नई तकनीक से अब मकान इन बणन लग गेन कि कखिम बि छज्जा पत्थरो जरूरत इ नी च।
घोघड़ -अर यीं नई तकनीक से हम छज्जा बणाण वळ अब बेकार ह्वे गेवां। हमर रोजी रोटी नई तकनीक खै गे। हम दलित वर्ग मा ऐ गेवां।
कैरा -हाँ पर , जब काष्ठ कला कु प्रादुर्भाव हूण शुरू ह्वे तो तुम पाषाण कलाकारुं तैं सुचण चयाणु छौ कि काष्ठ कला की और जाँदा।
घोघड़ -हाँ पर हम तैं त घमंड छौ कि हजारों साल से हम पाषाण कलाकार मजा करणा छंवां तो वा छुटि -मुटि काष्ट कला हमारी क्या बिगाड़ लेली। पर यु घमंड हम तैं खै गे। हमन नई तकनीक का तरफ ध्यान नि दे कि नई तकनीक हमर हुनर तैं खाणि च। अर जब हम तैं समज मा आयि तब तलक तो सरा गढ़वाळ मा काष्ठ कला फैली गे अर हम अमीर से फकीर ह्वे गेवां।
कैरा -कलियुग मा या एक बड़ी समस्या च तकनीक जल्दी जल्दी बदल्दि अर यदि पुरण तकनीक का कलाकार नई तकनीक का विकल्प नि लाला तो पुरण तकनीक का कलाकारों की तकदीर बदल्दि देर नि लगदि।
घोघड़ -हाँ , पर अब हम छज्जा याने पाषाण कलाकारों तैं क्या करण चयेंद ?
कैरा -तुम काष्ठ कला कु विकल्प ख्वाजो।
घोघड़ -विकल्प ?
कैरा -हाँ ! बस अब तुम वर्तमान कला का विकल्प ख्वाजो अर वर्तमान कला तैं औचित्यहीन साबित कारो जन काष्ठ कलान पाषाण कला तैं औचित्यहीन साबित कर दे अर तुम धनी पाषाण कलाकारों तैं दलित हूण पर मजबूर कर दे।
घोघड़ -तीन सही ब्वाल। मि अब सरा परिवार सहित काष्ठ कला का विकल्प खुजण मा लग जांद। कलियुग को असली अर्थ ही विकल्प खुजण च।
कैरा -जी हाँ ! कलियुग माने हर समय विकल्प की खोज !
16/3/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने हेतु उपयोग किये गए हैं।
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