गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
मुर्दौं अळग खड़ ह्वेक स्व -प्रशंसा गीत गाण
(मुर्दों के ऊपर खड़े होकर स्व -प्रशंसा के गीत गाना )
चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती (s = आधी अ, आधी अ//s= क, का , की,, कु के ,को आदि)
घरवळिन तून दींद बोलि- तुम से भलो तो वो सर्वा नन्द ही ठीक छौ। उ त बुबा जिन ही ना बोलि दे निथर सर्वानन्द का बुबा जी ड्वाला ख़ुद उठाणो तयार छा।
मीन पूछ - अरे यू सर्वानंद क्वा च?
म्यार बड़न जबाब दे - पापा ये देहरादून में हैं। नेता हैं। नेतागिरी से पहले आगरा पागलखाना में थे।
मीन घरवळि पूछ - त फिर कौरि लींदी वै पागलौ दगड़ पलाबन्द।
घरवळि- बुबा जी बड़ जाति बामण बोलीक पागलौ दगड़ म्यार ब्यौ करणों तयार छ्या पण टकों ब्यौ करणों तयार नि छया।
मि - टकों ब्या किलै? दानौ ब्यौ मा क्या खराबी छे?
म्यार नौनु -पापा आप समझे नही उस समय सर्वानन्द अंकल पागलखाना में ही थे।
घरवळि-डाक्टर सर्वानन्द तै द्वी दिनों छुटी दे दींदा त आज मीन यी दिन थुका दिखण छौ
मि - ह्यां आज शादी तीस सालौ बाद त्वे तैं पागल सर्वानन्द की याद किलै आयि?
घरवळि-दिखणा छा विजय बहुगुणा जिठा जीन कथगा बड़ो , बिगरैल बिज्ञापन दे।
मि - तो?
घरवळि- तो क्या जु तुम बि जसपुर ग्राम सभा का प्रधान हूंदा त तुम बि बड़ो, बिगरैल विज्ञापन दींदा ...
मि - अरे मि कनकैक ग्राम प्रधान बौण सकुद छौ। चालीस साल ह्वे गेन मीन गाँ नि देखि तो ग्राम प्रधान बणन क्वी भलि बात च?
घरवळि-जौं विजय जिठा जी तैं यी बि नि पता कि गौळ मा अर सीढ़ी मा क्या अंतर होंदु अर इन मनिख उत्तराखंड को मुख्यमंत्री बौण सकदन तो तुम अपण गाँवक प्रधान किलै नि बौण सकदा?
मि - ह्याँ पण जु मि गांवक प्रधान बौणि बि जांदु त क्या ह्वे जांदु?
घरवळि-कनो ? गाँ मा ये साल शताब्दी की बड़ी बरखा , पांच शताब्दी को बड़ो भळक (भूस्खलन) नि आंद क्या?
मि - तो ?
घरवळि-तो क्या? दसियों पगार उजड़दा, कुछ मकान भेळ जोग हूंदा, कुछ लोग मरदा, कुछ डुबदा, मवेशी (पशु ) मरदा, बड़ो भारी नुकसान होंदु।
मि -मतलब तू चांदी बल म्यार ग्राम प्रधान बणन पर गान पर इथगा विपत्ती आंदी?
घरवळि-चूंकि तुमर समज मा तो आंदो ना की पहाड़ की ईं समस्या से कनै निबटाये जावो तो फिर राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार की मेहरबानी, सहायता से कुछ लोगुं तैं , कुछ मवेस्यूं तैं बचाए जांद
मि - अरे क्या बखणि छे?
घरवळि-फिर मुरदौं तै कट्ठा करे जांद , मर्याँ मवेस्युं तैं बि एक जगा कट्ठा करे जांद
मि - फिर ?
घरवळि-फिर तुम मर्यां म्वेस्युं अळग खड़ा होंदा अर अपण प्रशंसा करदा कि तुमारो प्रशासन मा इथगा मवेस्युं तैं बचाए ग्यायी अर इथगा मवेस्युं तैं ऊंका धर्मानुसार मुखाग्नि दिए जाणि च।
मि - क्या मवेस्युं तैं धर्मानुसार मुखाग्नि?
घरवळि- फिर तुम मुर्दौं चिता अळग खड़ा ह्वेक अपण बडां (प्रशंसायुक्त गीत ) गांदा कि तुमर प्रशासन कथगा कामयाब प्रशासन च।
मि -ह्याँ पण?
घरवळि-फिर तुम मुर्दौं चिता अळग अर मर्यां म्वेस्युं अळग खड़ ह्वेक जोर जोर से स्व-प्रशंसा गीत गांद फोटो खिचांदा।
मि - ह्याँ पण इन दुःख की घटना मा स्व-प्रशंसा गीत ?
घरवळि-फिर तुम यूँ फोटो तैं विज्ञापन मा बदलदा अर उत्तराखंड का हरेक समाचार पत्रुं मा विज्ञापन छ्पवांदा अर विज्ञापन की हेड लाइन होंद -मैंने और मेरे प्रशासन ने कमर कस कर प्राकृतिक आपदा से लड़ा है
मि - मि कबि बि ये ग़मगीन माहौल मा स्व-प्रशंसा का विज्ञापन नि दींदु।
घरवळि-हाँ , पण म्यार सर्वानन्द जरुर इन स्व-प्रशंसा का विज्ञापन दींदो।
मि - हाँ अवश्य! पागल ही इन दुखी वातवरण मा अपण प्रशंसा का विज्ञापन छपवै सकुद
घरवळि-अरे ! तुमर मतलब च कि विजय बहुगुणा जिठा जी पागल छन जौन ब्याळी अपण प्रशंसा का विज्ञापनों मा करोड़ों रुपया खर्च करिन
मि -हाँ ! इन विपदा समौ पर जू बि इन स्व -प्रशंसा का विज्ञापन द्यावो वै तैं क्रूर पागल ही बुले जालु
Copyright @ Bhishma Kukreti 26/06/2013
सौज सौज मा मजाक मसखरी दृष्टि से
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं हौंस,चबोड़,चखन्यौ
(मुर्दों के ऊपर खड़े होकर स्व -प्रशंसा के गीत गाना )
चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती (s = आधी अ, आधी अ//s= क, का , की,, कु के ,को आदि)
घरवळिन तून दींद बोलि- तुम से भलो तो वो सर्वा नन्द ही ठीक छौ। उ त बुबा जिन ही ना बोलि दे निथर सर्वानन्द का बुबा जी ड्वाला ख़ुद उठाणो तयार छा।
मीन पूछ - अरे यू सर्वानंद क्वा च?
म्यार बड़न जबाब दे - पापा ये देहरादून में हैं। नेता हैं। नेतागिरी से पहले आगरा पागलखाना में थे।
मीन घरवळि पूछ - त फिर कौरि लींदी वै पागलौ दगड़ पलाबन्द।
घरवळि- बुबा जी बड़ जाति बामण बोलीक पागलौ दगड़ म्यार ब्यौ करणों तयार छ्या पण टकों ब्यौ करणों तयार नि छया।
मि - टकों ब्या किलै? दानौ ब्यौ मा क्या खराबी छे?
म्यार नौनु -पापा आप समझे नही उस समय सर्वानन्द अंकल पागलखाना में ही थे।
घरवळि-डाक्टर सर्वानन्द तै द्वी दिनों छुटी दे दींदा त आज मीन यी दिन थुका दिखण छौ
मि - ह्यां आज शादी तीस सालौ बाद त्वे तैं पागल सर्वानन्द की याद किलै आयि?
घरवळि-दिखणा छा विजय बहुगुणा जिठा जीन कथगा बड़ो , बिगरैल बिज्ञापन दे।
मि - तो?
घरवळि- तो क्या जु तुम बि जसपुर ग्राम सभा का प्रधान हूंदा त तुम बि बड़ो, बिगरैल विज्ञापन दींदा ...
मि - अरे मि कनकैक ग्राम प्रधान बौण सकुद छौ। चालीस साल ह्वे गेन मीन गाँ नि देखि तो ग्राम प्रधान बणन क्वी भलि बात च?
घरवळि-जौं विजय जिठा जी तैं यी बि नि पता कि गौळ मा अर सीढ़ी मा क्या अंतर होंदु अर इन मनिख उत्तराखंड को मुख्यमंत्री बौण सकदन तो तुम अपण गाँवक प्रधान किलै नि बौण सकदा?
मि - ह्याँ पण जु मि गांवक प्रधान बौणि बि जांदु त क्या ह्वे जांदु?
घरवळि-कनो ? गाँ मा ये साल शताब्दी की बड़ी बरखा , पांच शताब्दी को बड़ो भळक (भूस्खलन) नि आंद क्या?
मि - तो ?
घरवळि-तो क्या? दसियों पगार उजड़दा, कुछ मकान भेळ जोग हूंदा, कुछ लोग मरदा, कुछ डुबदा, मवेशी (पशु ) मरदा, बड़ो भारी नुकसान होंदु।
मि -मतलब तू चांदी बल म्यार ग्राम प्रधान बणन पर गान पर इथगा विपत्ती आंदी?
घरवळि-चूंकि तुमर समज मा तो आंदो ना की पहाड़ की ईं समस्या से कनै निबटाये जावो तो फिर राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार की मेहरबानी, सहायता से कुछ लोगुं तैं , कुछ मवेस्यूं तैं बचाए जांद
मि - अरे क्या बखणि छे?
घरवळि-फिर मुरदौं तै कट्ठा करे जांद , मर्याँ मवेस्युं तैं बि एक जगा कट्ठा करे जांद
मि - फिर ?
घरवळि-फिर तुम मर्यां म्वेस्युं अळग खड़ा होंदा अर अपण प्रशंसा करदा कि तुमारो प्रशासन मा इथगा मवेस्युं तैं बचाए ग्यायी अर इथगा मवेस्युं तैं ऊंका धर्मानुसार मुखाग्नि दिए जाणि च।
मि - क्या मवेस्युं तैं धर्मानुसार मुखाग्नि?
घरवळि- फिर तुम मुर्दौं चिता अळग खड़ा ह्वेक अपण बडां (प्रशंसायुक्त गीत ) गांदा कि तुमर प्रशासन कथगा कामयाब प्रशासन च।
मि -ह्याँ पण?
घरवळि-फिर तुम मुर्दौं चिता अळग अर मर्यां म्वेस्युं अळग खड़ ह्वेक जोर जोर से स्व-प्रशंसा गीत गांद फोटो खिचांदा।
मि - ह्याँ पण इन दुःख की घटना मा स्व-प्रशंसा गीत ?
घरवळि-फिर तुम यूँ फोटो तैं विज्ञापन मा बदलदा अर उत्तराखंड का हरेक समाचार पत्रुं मा विज्ञापन छ्पवांदा अर विज्ञापन की हेड लाइन होंद -मैंने और मेरे प्रशासन ने कमर कस कर प्राकृतिक आपदा से लड़ा है
मि - मि कबि बि ये ग़मगीन माहौल मा स्व-प्रशंसा का विज्ञापन नि दींदु।
घरवळि-हाँ , पण म्यार सर्वानन्द जरुर इन स्व-प्रशंसा का विज्ञापन दींदो।
मि - हाँ अवश्य! पागल ही इन दुखी वातवरण मा अपण प्रशंसा का विज्ञापन छपवै सकुद
घरवळि-अरे ! तुमर मतलब च कि विजय बहुगुणा जिठा जी पागल छन जौन ब्याळी अपण प्रशंसा का विज्ञापनों मा करोड़ों रुपया खर्च करिन
मि -हाँ ! इन विपदा समौ पर जू बि इन स्व -प्रशंसा का विज्ञापन द्यावो वै तैं क्रूर पागल ही बुले जालु
Copyright @ Bhishma Kukreti 26/06/2013
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments