गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
मर्दों तैं जनान्युं पर्स भितर किलै नि दिखण चयेंद ?
चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती (s = आधी अ )
जब तलक बजार मा पर्स नि ऐ छया तब तलक कुटरी , खीसा , छवटि -म्वटि थैलि पर्स को काम करदा छा। अब पर्स याने बटुवा आण से दुनिया मा सन चालीस से विज्ञान की एक नयी शाखा बि ऐ गे जै तैं बैगोलौजी बुल्दन। बैगोलौजी मने विज्ञान की वा शाखा जो पर्स , खासकर जनान्युं पर्स सम्बन्धी विज्ञान अर मोनोविग्यान को अध्ययन।
अचकाल जनान्युं परसौ दगड़ बजार मा हैंड बैगोलौजी की छवटि छवटि किताब बि मिलदन।
अजकाल जनान्युं पर्स निर्माता त करोड़ो रुपया बैगौलौजी पर खर्च करदन।
जनानी भैर जांद दै पर्स किलै लिजांदी इख पर भौत काम हुंयुं च।
जीव विज्ञान को हिसाब से जनानि पृथ्वी रूप च अर जब जनानी भैर पार्टी मा जान्दि तो अपण लघु पृथ्वी दगड़ लिजाण नि बिसरदि।
कुछ बुल्दन बल जनानी जीव विज्ञान को हिसाब से 'जीन केरियर' (क्रोमोजोम लिजाण वळ) च तो पर्स या हैंडबैग जन केरियर लिजाण एक मूलभूत जनानी लक्षण च। मै लगद लाटों छ्वीं होलि! हैं ?
अछा! कति चकडैत मर्द बुलदन बल चूँकि जनानी नि चांदन कि वा अपण बच्चा या समान खुकलि मा उठावो त वा बड़ो पर्स उठांदि अर झक मारिक पतिदेव तैं बच्चा या समान उठाण पोड़द। पण यो तो चकडैतुं चकचक च।
कथगा बुलदन बल जनानी पर्स इलै लिजांदी कि जनान्यु तै दिखाणो रोग च अर अगर जब जनानी बुड्याण बिसे जांदी तो आकर्षक हैंड बैग लिजाण मिसे जांद जां से कि मरदों समणि वींको आकर्षण कम नि ह्वावो। पण जख तलक मेरो ज्ञानौ सवाल च बल आकर्षण जनानी मा नि होंद किलै कि कै जनानी पर आकर्षित होण तो मर्द की आंख्युं काम च। तबि त ग्वारो चिट्टू मजनू काळि लैला पर आकर्षित ह्वे छौ।
कुछ वैज्ञानिकों बुलण च बल हैंड बैग या पर्स औकात दिखाणो एक ख़ास माध्यम च। इखमा मि सहमत छौं किलैकि गढ़वाळि मा कहावत बि छन बल भितर नि आलण अर भैर नचणि बादण! या रुस्वड़ मा लूण-बाड़ी खावो अर चौक मा भातौ टींड दिखैक कुकुर जोर जोर से भट्यावो।
कुछ अन्वेषक बुल्दन बल कथगा जनानी हैंड बैग इलै लिजांदन बल लोग वूं तैं सचमुच मा जनानी मानन, किलैकि लेडीज पर्स जनानी हूणो पक्की निसाणी च । मि असहमत छौं। ह्वे सकुद च भैर देशों मा जनान्यूँ अर मर्दुं कपड़ो अर कट्याँ बाळु मा फरक नि होंद त बिचारि जनान्युं तैं पर्स से सिद्ध करण पोड़द कि वो जनानी छन या जननी छन। हमर इख अबि इथगा बुरि हालत नि ह्वै कि कपड़ा या कट्याँ बाळु से मरद अर जनान्यु मा भेद नि ह्वे सको।
कुछ साइंटिस्ट बुल्दन बल पर्स या हैंडबैग अपण असली चरित्र दिखाणो एक जरिया च अर पर्स या हैंडबैग का रंग, आकार, मोटाई आदि से हम पर्स धारक को चरित्र जाणि सकदवां। पण मि ईं वैज्ञानिक सोच से कतै बि सहमत नि छौं। हम हर बकत, हर क्षण अपण असली चरित्र ढकण माँ हि लग्याँ रौंदवाँ, अपण चरित्र तै लुकाण -छुपाणो बान बनि बनिक स्वांग -ढोंग -ढंट करणा रौंदां; अपण चरित्र छुपाणो बान हम अपण सरा जिंदगी ख़तम करी दींदा तो फिर इन कनकै ह्वै सकुद कि जनानी अपण असली चरित्र या लक्षण दिखाणो बान हैण्ड बैग खरीदो।
एक वैज्ञानिक सिद्धांत च बल चूँकि जनानी भविष्य का प्रति मर्दों से भौति जादा सचेत हूंदी तो जनानी पर्स लिजांदी . या बात जादा तर्क संगत च। मर्द असल मा लबाड़ जाति जानवर ही च। जब कि जनानी भविष्योन्मुखी होंद तो वा अपण हैंडबैग मा भविष्य की सबि कामै चीज धरदी जन कि आंखुं सुरमा-मंजन, मेक अप का समान, कंघी -ऐना , पिन -आलपिन-हियरपिन-स्यूण-धाग, बटण -सटण, चकु, चिमटी, चाबी , चाबी -गुच्छा , गहना, कैमरा , सेल फोन , नेलकटर,टूथपिक्स, दवै-दारु, थर्मामीटर , बनि बनिक कार्ड -कागजात, चेकबुक, पेन -पेन्सिल, खाणो समान, रक्षा को कुछ समान, सिलाई कढ़ाइ को समान, टिस्यू पेपर , आदि , आदि . इतिहास बथांदो बल पैल प्रेम पत्र बि हैंड बैग मा होंदा छा पण अब प्रेम पत्र नि लिखे जांदन अब त एसऐमऐस या नेट चैटिंग काफी च।
हाँ एक बात सच च आज जनानी बगैर हैंडबैग को इनि दिख्यान्दि जन बुल्यां बगैर सींगौ को बल्द, बगैर कळगी को मुर्गा.
जनान्युं हैण्ड बैग खोया -पाया विभाग को एक कार्यालय बि च कथगा दें जब बिंदी जरूरत ह्वावो तो हर बार मुर्खल मिल्दन अर जब मुर्खलूँ आवश्यकता ह्वावो तो हर्च्यां आलपिन मिल जांदन अर जब सरदर्द की गोळि जरुरत ह्वावो तो कुछ ख़ास कामौ गोळि मिल्दन ना कि सरदर्द की गोळि ।
या बात बि सच ही होलि कि जन जन जनान्युं उम्र बढ़द जांद तन तन हैंडबैग को आकार बि बढ़न्द जांद।
अर क्या क्वी जनानी बथालि कि मर्दों तैं जनान्युं पर्स भितर किलै नि दिखण चयेंद ?
Copyright @ Bhishma Kukreti 12/06/2013
(यह लेख सर्वथा काल्पनिक है )
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं हौंस,चबोड़,चखन्यौ
मर्दों तैं जनान्युं पर्स भितर किलै नि दिखण चयेंद ?
चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती (s = आधी अ )
जब तलक बजार मा पर्स नि ऐ छया तब तलक कुटरी , खीसा , छवटि -म्वटि थैलि पर्स को काम करदा छा। अब पर्स याने बटुवा आण से दुनिया मा सन चालीस से विज्ञान की एक नयी शाखा बि ऐ गे जै तैं बैगोलौजी बुल्दन। बैगोलौजी मने विज्ञान की वा शाखा जो पर्स , खासकर जनान्युं पर्स सम्बन्धी विज्ञान अर मोनोविग्यान को अध्ययन।
अचकाल जनान्युं परसौ दगड़ बजार मा हैंड बैगोलौजी की छवटि छवटि किताब बि मिलदन।
अजकाल जनान्युं पर्स निर्माता त करोड़ो रुपया बैगौलौजी पर खर्च करदन।
जनानी भैर जांद दै पर्स किलै लिजांदी इख पर भौत काम हुंयुं च।
जीव विज्ञान को हिसाब से जनानि पृथ्वी रूप च अर जब जनानी भैर पार्टी मा जान्दि तो अपण लघु पृथ्वी दगड़ लिजाण नि बिसरदि।
कुछ बुल्दन बल जनानी जीव विज्ञान को हिसाब से 'जीन केरियर' (क्रोमोजोम लिजाण वळ) च तो पर्स या हैंडबैग जन केरियर लिजाण एक मूलभूत जनानी लक्षण च। मै लगद लाटों छ्वीं होलि! हैं ?
अछा! कति चकडैत मर्द बुलदन बल चूँकि जनानी नि चांदन कि वा अपण बच्चा या समान खुकलि मा उठावो त वा बड़ो पर्स उठांदि अर झक मारिक पतिदेव तैं बच्चा या समान उठाण पोड़द। पण यो तो चकडैतुं चकचक च।
कथगा बुलदन बल जनानी पर्स इलै लिजांदी कि जनान्यु तै दिखाणो रोग च अर अगर जब जनानी बुड्याण बिसे जांदी तो आकर्षक हैंड बैग लिजाण मिसे जांद जां से कि मरदों समणि वींको आकर्षण कम नि ह्वावो। पण जख तलक मेरो ज्ञानौ सवाल च बल आकर्षण जनानी मा नि होंद किलै कि कै जनानी पर आकर्षित होण तो मर्द की आंख्युं काम च। तबि त ग्वारो चिट्टू मजनू काळि लैला पर आकर्षित ह्वे छौ।
कुछ वैज्ञानिकों बुलण च बल हैंड बैग या पर्स औकात दिखाणो एक ख़ास माध्यम च। इखमा मि सहमत छौं किलैकि गढ़वाळि मा कहावत बि छन बल भितर नि आलण अर भैर नचणि बादण! या रुस्वड़ मा लूण-बाड़ी खावो अर चौक मा भातौ टींड दिखैक कुकुर जोर जोर से भट्यावो।
कुछ अन्वेषक बुल्दन बल कथगा जनानी हैंड बैग इलै लिजांदन बल लोग वूं तैं सचमुच मा जनानी मानन, किलैकि लेडीज पर्स जनानी हूणो पक्की निसाणी च । मि असहमत छौं। ह्वे सकुद च भैर देशों मा जनान्यूँ अर मर्दुं कपड़ो अर कट्याँ बाळु मा फरक नि होंद त बिचारि जनान्युं तैं पर्स से सिद्ध करण पोड़द कि वो जनानी छन या जननी छन। हमर इख अबि इथगा बुरि हालत नि ह्वै कि कपड़ा या कट्याँ बाळु से मरद अर जनान्यु मा भेद नि ह्वे सको।
कुछ साइंटिस्ट बुल्दन बल पर्स या हैंडबैग अपण असली चरित्र दिखाणो एक जरिया च अर पर्स या हैंडबैग का रंग, आकार, मोटाई आदि से हम पर्स धारक को चरित्र जाणि सकदवां। पण मि ईं वैज्ञानिक सोच से कतै बि सहमत नि छौं। हम हर बकत, हर क्षण अपण असली चरित्र ढकण माँ हि लग्याँ रौंदवाँ, अपण चरित्र तै लुकाण -छुपाणो बान बनि बनिक स्वांग -ढोंग -ढंट करणा रौंदां; अपण चरित्र छुपाणो बान हम अपण सरा जिंदगी ख़तम करी दींदा तो फिर इन कनकै ह्वै सकुद कि जनानी अपण असली चरित्र या लक्षण दिखाणो बान हैण्ड बैग खरीदो।
एक वैज्ञानिक सिद्धांत च बल चूँकि जनानी भविष्य का प्रति मर्दों से भौति जादा सचेत हूंदी तो जनानी पर्स लिजांदी . या बात जादा तर्क संगत च। मर्द असल मा लबाड़ जाति जानवर ही च। जब कि जनानी भविष्योन्मुखी होंद तो वा अपण हैंडबैग मा भविष्य की सबि कामै चीज धरदी जन कि आंखुं सुरमा-मंजन, मेक अप का समान, कंघी -ऐना , पिन -आलपिन-हियरपिन-स्यूण-धाग, बटण -सटण, चकु, चिमटी, चाबी , चाबी -गुच्छा , गहना, कैमरा , सेल फोन , नेलकटर,टूथपिक्स, दवै-दारु, थर्मामीटर , बनि बनिक कार्ड -कागजात, चेकबुक, पेन -पेन्सिल, खाणो समान, रक्षा को कुछ समान, सिलाई कढ़ाइ को समान, टिस्यू पेपर , आदि , आदि . इतिहास बथांदो बल पैल प्रेम पत्र बि हैंड बैग मा होंदा छा पण अब प्रेम पत्र नि लिखे जांदन अब त एसऐमऐस या नेट चैटिंग काफी च।
हाँ एक बात सच च आज जनानी बगैर हैंडबैग को इनि दिख्यान्दि जन बुल्यां बगैर सींगौ को बल्द, बगैर कळगी को मुर्गा.
जनान्युं हैण्ड बैग खोया -पाया विभाग को एक कार्यालय बि च कथगा दें जब बिंदी जरूरत ह्वावो तो हर बार मुर्खल मिल्दन अर जब मुर्खलूँ आवश्यकता ह्वावो तो हर्च्यां आलपिन मिल जांदन अर जब सरदर्द की गोळि जरुरत ह्वावो तो कुछ ख़ास कामौ गोळि मिल्दन ना कि सरदर्द की गोळि ।
या बात बि सच ही होलि कि जन जन जनान्युं उम्र बढ़द जांद तन तन हैंडबैग को आकार बि बढ़न्द जांद।
अर क्या क्वी जनानी बथालि कि मर्दों तैं जनान्युं पर्स भितर किलै नि दिखण चयेंद ?
Copyright @ Bhishma Kukreti 12/06/2013
(यह लेख सर्वथा काल्पनिक है )
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments