भीष्म कुकरेती
उत्तराखंड में आई भूस्खलन विपदा से कई प्रश्न समाज और देस के सामने खड़े हुए हैं।
एक प्रश्न हर आपदा के समय उपजता है कि आपदा राहत सहायता में राजनैतिक दल और सामजिक संस्थाएं प्रोपेगेंडा भी करती हैं। सामजिक संस्थाओं के प्रचार प्रसार को आम मनुष्य बुरा नही मानता किन्तु राजनैतिक दलों के प्रचार प्रसार को बुरा माना जाने लगता है।
प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह व श्रीमती सोनिया गांधी जब हवाई दौरे पर गये तो फेस बुक/सोसल मीडिया में कइयों ने इनके कारण रहत कार्य में बिलम्ब होने को 'शर्मनाक' कहा।
इसी तरह नरेंद्र मोदी के राहत कार्य को उनके विरोधी पचा नही पा रहे हैं।
जहां तक आपदा राहत सहायता में प्रचार प्रसार का प्रश्न है यह प्रचार प्रसार अति आवश्यक है।
श्रीमती सोनिया गांधी और श्री मनोहन सिंह का उत्तराखंड दौरा अति आवश्यक था। इनके कारण यदि राहत कार्य में थोडा बहुत देरी भी हुयी तो वः जायज है 'शर्मनाक ' तो कतई नही है।
यूपीए चेयरपरसन और प्रधान मंत्री के आपदा निरीक्षण से कई तरह के लाभ मिलते हैं।
उच्च पदासीन लोगों जैसे प्रधान मंत्री, यूपीए चेयरपरसन, मुख्यमंत्री के दौरों से उन्हें यथास्थिति की जानकारी मिल जाती है जो इस तरह की आपदा राहत हेतु अत्यंत आवश्यक है।
उच्च पदासीन लोगों जैसे प्रधान मंत्री, यूपीए चेयरपरसन, मुख्यमंत्री के दौरों से सभी तरह के लोगों तक समाचार पंहुच जाता है जो आपदा राहत कार्यों के लिए जरूरी उपादान होता है।
उच्च पदासीन लोगों जैसे प्रधान मंत्री, यूपीए चेयरपरसन, मुख्यमंत्री के दौरों से यह समाचार समाचार नही रह जाता है अपितु एक मुद्दा बन जाता है। आपदा राहत कार्यों में घटना का मुद्दा बनना लाभकारी सिद्ध होता है।
उच्च पदासीन लोगों जैसे प्रधान मंत्री, यूपीए चेयरपरसन, मुख्यमंत्री के दौरों से जिन पर आपदा आई है , जो लोग प्रभावित हुए हैं और जिन्होंने आपदा प्रबंधन में सहयोग देना है सभी को एक भरोसा एक विश्वास मिलता है जो इस तरह की विपत्ति संघार के लिए निहायत ही जरुरी है।
उच्च पदासीन लोगों के दुर्घटनास्थल के दौरों से आपदा राहत कार्य में संलग्न लोगो को प्रोत्साहन मिलता है।
राजनैतिक, सामजिक या धार्मिक नेता जब इस तरह के कार्यों में जुटते हैं और अपना प्रचार प्रसार करते हैं तो इस प्रचार प्रसार से उनके कार्यकर्ताओं , अन्य संस्थानों के कार्यकर्ताओं , आम लोगों आदियों को इस आपदा राहत सहायता के लिए आगे आने का प्रोत्साहन मिलता है। इसलिए नरेंद्र मोदी जी , राहुल गांधी जी के उत्तराखंड भ्रमण को जायज माना जाना चाहिए। इस तरह के प्रसिद्ध लोगों के आपदा राहत सहायता में आगे आने से अन्य सोये लोग भी आगे आते हैं। लोगों को एक प्रेरणा मिलती है कि आपदा सहायता में यथोचित योगदान दिया जाय।
इस आपदा रहत सहायता में जितना अधिक राजनैतिक , सामजिक व धार्मिक प्रोपेगेंडा होगा उतना अधिक राहत सहायता में लोग जुड़ेंगे
अत:राजनेताओं , सामजिक संस्थाओं , धार्मिक संस्थाओं व व्यापारिक संस्थानों के राहत सहायता के प्रोपेगेंडा को सकारात्मक घटनाए मानी जानी चाहिए ना कि नकारत्मक घटनाएँ।
Copyright @ Bhishma Kukreti 25/06/2013
उत्तराखंड में आई भूस्खलन विपदा से कई प्रश्न समाज और देस के सामने खड़े हुए हैं।
एक प्रश्न हर आपदा के समय उपजता है कि आपदा राहत सहायता में राजनैतिक दल और सामजिक संस्थाएं प्रोपेगेंडा भी करती हैं। सामजिक संस्थाओं के प्रचार प्रसार को आम मनुष्य बुरा नही मानता किन्तु राजनैतिक दलों के प्रचार प्रसार को बुरा माना जाने लगता है।
प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह व श्रीमती सोनिया गांधी जब हवाई दौरे पर गये तो फेस बुक/सोसल मीडिया में कइयों ने इनके कारण रहत कार्य में बिलम्ब होने को 'शर्मनाक' कहा।
इसी तरह नरेंद्र मोदी के राहत कार्य को उनके विरोधी पचा नही पा रहे हैं।
जहां तक आपदा राहत सहायता में प्रचार प्रसार का प्रश्न है यह प्रचार प्रसार अति आवश्यक है।
श्रीमती सोनिया गांधी और श्री मनोहन सिंह का उत्तराखंड दौरा अति आवश्यक था। इनके कारण यदि राहत कार्य में थोडा बहुत देरी भी हुयी तो वः जायज है 'शर्मनाक ' तो कतई नही है।
यूपीए चेयरपरसन और प्रधान मंत्री के आपदा निरीक्षण से कई तरह के लाभ मिलते हैं।
उच्च पदासीन लोगों जैसे प्रधान मंत्री, यूपीए चेयरपरसन, मुख्यमंत्री के दौरों से उन्हें यथास्थिति की जानकारी मिल जाती है जो इस तरह की आपदा राहत हेतु अत्यंत आवश्यक है।
उच्च पदासीन लोगों जैसे प्रधान मंत्री, यूपीए चेयरपरसन, मुख्यमंत्री के दौरों से सभी तरह के लोगों तक समाचार पंहुच जाता है जो आपदा राहत कार्यों के लिए जरूरी उपादान होता है।
उच्च पदासीन लोगों जैसे प्रधान मंत्री, यूपीए चेयरपरसन, मुख्यमंत्री के दौरों से यह समाचार समाचार नही रह जाता है अपितु एक मुद्दा बन जाता है। आपदा राहत कार्यों में घटना का मुद्दा बनना लाभकारी सिद्ध होता है।
उच्च पदासीन लोगों जैसे प्रधान मंत्री, यूपीए चेयरपरसन, मुख्यमंत्री के दौरों से जिन पर आपदा आई है , जो लोग प्रभावित हुए हैं और जिन्होंने आपदा प्रबंधन में सहयोग देना है सभी को एक भरोसा एक विश्वास मिलता है जो इस तरह की विपत्ति संघार के लिए निहायत ही जरुरी है।
उच्च पदासीन लोगों के दुर्घटनास्थल के दौरों से आपदा राहत कार्य में संलग्न लोगो को प्रोत्साहन मिलता है।
राजनैतिक, सामजिक या धार्मिक नेता जब इस तरह के कार्यों में जुटते हैं और अपना प्रचार प्रसार करते हैं तो इस प्रचार प्रसार से उनके कार्यकर्ताओं , अन्य संस्थानों के कार्यकर्ताओं , आम लोगों आदियों को इस आपदा राहत सहायता के लिए आगे आने का प्रोत्साहन मिलता है। इसलिए नरेंद्र मोदी जी , राहुल गांधी जी के उत्तराखंड भ्रमण को जायज माना जाना चाहिए। इस तरह के प्रसिद्ध लोगों के आपदा राहत सहायता में आगे आने से अन्य सोये लोग भी आगे आते हैं। लोगों को एक प्रेरणा मिलती है कि आपदा सहायता में यथोचित योगदान दिया जाय।
इस आपदा रहत सहायता में जितना अधिक राजनैतिक , सामजिक व धार्मिक प्रोपेगेंडा होगा उतना अधिक राहत सहायता में लोग जुड़ेंगे
अत:राजनेताओं , सामजिक संस्थाओं , धार्मिक संस्थाओं व व्यापारिक संस्थानों के राहत सहायता के प्रोपेगेंडा को सकारात्मक घटनाए मानी जानी चाहिए ना कि नकारत्मक घटनाएँ।
Copyright @ Bhishma Kukreti 25/06/2013
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