गढ़वाली हास्य -व्यंग्य
अछूतुं ड्यार प्याड़ा-पक्वड़ि खाण मा दिक्कत कब आंद?
चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ, आधी अ//s= क, का , की,, कु के ,को आदि)
सन 1998 (दिल्ली )
जॉर्ज - ये जी , शरद जी! मि तैं सोरग से भि आनन्ददायक , सवादी खाणौ खसबू आणि च भै।
शरद - हाँ जॉर्ज जी इन लगणु च कखि राजसी , राजबीजी (राजबंशी ) भोजन बणणु च .
नीतेस - हाँ मि तैं बि गंध आणि च आस पास राजशक्ति , राजयचर्स का बल पर सुपाच्य , दीर्घ आनन्द दायक रसोई बणी च राजसी भोजन की अति -सुगन्धित सुगंध से मेरी तो भूख बढी गे।
जार्ज अर शरद - चलो जरा पता लगाये जाव कि कख राजसी रसोई बणणु च। जरा हम बी राजसी भोजन को मजा लींदा धौं।
नीतेस - हाँ कब तलक राज विरोध को वजै से सूखा भोजन करे जावो ?
सबि -चलो दिखे जावो कि कख राजशाही भोजन उपलब्ध च अर अब त हम सब राजसी भोजन का बान भोजन -व्यग्र छंवाँ
शरद - हैं यो तो भाजापा को राजसूयी यज्ञs फौड़(सामूहिक भोजन खाना) च। अरे इख इथगा पकवान?
जॉर्ज - इन लगणु च 182 मंडल जितणो उपलक्ष मा भाजापा वाळुन यू राजसूयी यज्ञ उरायुं च।
जॉर्ज - हाँ! नीतेस ! देखो राजसी सोना चांदी के थाऴयूँ मा राजभोग सज्युं च।
शरद - हां राजसी कुर्सी लगीं छन।
नीतेस - राजसेवक, राजकर्मचारियों, राजभ्रितों की फ़ौज ततप्रयता से सेवा करणा छन।
शरद -राज-भाइयों वास्ता गगनचुम्बी वातानाकूलित राजमहल बण्या छन।
जॉर्ज - राजभोगियों बान इना उना जाणो बान रथ , चित्ररथ अर बनि बनिक उड़न खटोला छन।
नीतेस -अहा राजभोज मा सत्ता को भात, राजगद्दी की दाळ, राजत्व की भुजि, राजलक्ष्मी को छौंका ,अधिकार युक्त मलाईदार खीर -मिठाई , पावर /शक्ति नामक घी मा बण्या पूड़ी-भूड़ी-पक्वड़ी आदि आदि।
शरद - अरे भै पण पता च हम तो राजनैतिक सवर्ण छंवां अर भाजापा तो च निखालिस अछूत च। भाजपा पर भिड्याणो अर्थ च हमन सेक्युलर नि रै जाण।।
जॉर्ज - शरद जी ! तुम बि ना पुरण समाजवादियों तरां पागलपन की बात करदां। अरे भाजपा अछूत च तो क्या ह्वाइ खाणक त राज्भोग्या च कि ना अर फिर वो द्याखदि महान राजनैतिक सवर्ण ममता बैणि , वरिष्ठ सेक्युलर सवर्ण करुणानिधि, जवान सेक्युलर -सवर्ण नवीन पटनायक,सेकुलरधिराज चन्द्रा बाबू नायडू अर खानदानी सेक्युलर फ़ाउख अब्दुला सबि त राजभोग, राजसी भोजन सपोड़णा छन।
शरद - नीतेस ! क्या हम सेक्युलर सवर्णों वास्ता अछूतों ड्यार भोजन खाण वाजिब च?
नीतेस - अछूतों ड्यार खाणक खाण बरोबर बाजिब च। जब अछूतों से हम तै सत्ता युक्त भात मिलणु च , शक्ति दायक रसमलाई मिलणि च . अधिकार युक्त मावा मिलणु च, अछूतुं इख भोजन करण से राजगद्दी मिलणि च त अछुतुं इख खाणक खाण, पाणि पीण अर सीण मा झिझक नि होण चयेंद। चलो भाजापा जन अछूत को राजसूयी यग्य मा राजभोग, राज-सत्ताभोग , राज-शक्तिभोग , राज-अधिकारभोग , को आनन्द लिए जावो।
मई , सन 2013 (पटना )
शरद - नीतेस जी ! इ क्या बुलणा छंवाँ/ बल भाजापा जन अछूत को दगुड़ अब नी सयाणु च, तुम तैं अब ये अछूत से घीण लगणि च? ये अछूतौ साथ से तुम तै फगोस (दम घुटना ) हूणि च? यु अछूत अब तुमकुण असह्य ह्वे ग्यायि?
नीतेस - हाँ! अब ये अछूत से हम तै कुछ नि मिलण तो ये अछूत तैं छुड़ण माँ ही फायदा च। यु राजनैतिक अछूत हम तै अब राजसुख नि दे सकदो। यु अछूत चुस्युं आम च। जावो तुम प्रेस कौन्फ्रेसं मा ब्वालो कि हम तो सेक्युलर स्वर्ण छंवाँ अर हम इन अछूतों दगड़ नि रै सकदवां। जोर से ब्वालो, घ्याळ लगैक ब्वालो। जंघड़ ठोकिक चिल्लाओ बल जु हम यूं अछुतुं भिड्यूं पाणि प्योला तो जनता तै ह्वे जाला।
शरद - ह्याँ पण पिछ्ला सत्रह सालों से मि बुलणु रौं , तुम बि बुलणा रौंवा कि भाजपा एक सेक्युलर सवर्ण च अर अब लोगुं तै कनकै बुथ्याण कि भाजपा धर्म निरपेक्ष पार्टी नी च?
नीतेस - झूट को अडसारो से लोगुं तैं कब्जा मा कारो । मिथ्या राग , असत्य बाणी की झंझरी (जाळ ) से जनता को फंसाओ। बेशरमी बतचल; बेहया बकवास, निर्ल्लज बखानो से लोगुं तैं बस मा कारो। बेहयाई, बटेरबाजी की बातो से जनता तैं बेवकूफ, मुर्ख बणाओ; जनता तैं भ्कावो ।औरुं पर तोहमत को ताड़ मारो।
Copyright @ Bhishma Kukreti 17/06/2013
(यह लेख सर्वथा काल्पनिक है )
सौज सौज मा मजाक मसखरी
हौंस,चबोड़,चखन्यौ
सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं हौंस,चबोड़,चखन्यौ
अछूतुं ड्यार प्याड़ा-पक्वड़ि खाण मा दिक्कत कब आंद?
चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s = आधी अ, आधी अ//s= क, का , की,, कु के ,को आदि)
सन 1998 (दिल्ली )
जॉर्ज - ये जी , शरद जी! मि तैं सोरग से भि आनन्ददायक , सवादी खाणौ खसबू आणि च भै।
शरद - हाँ जॉर्ज जी इन लगणु च कखि राजसी , राजबीजी (राजबंशी ) भोजन बणणु च .
नीतेस - हाँ मि तैं बि गंध आणि च आस पास राजशक्ति , राजयचर्स का बल पर सुपाच्य , दीर्घ आनन्द दायक रसोई बणी च राजसी भोजन की अति -सुगन्धित सुगंध से मेरी तो भूख बढी गे।
जार्ज अर शरद - चलो जरा पता लगाये जाव कि कख राजसी रसोई बणणु च। जरा हम बी राजसी भोजन को मजा लींदा धौं।
नीतेस - हाँ कब तलक राज विरोध को वजै से सूखा भोजन करे जावो ?
सबि -चलो दिखे जावो कि कख राजशाही भोजन उपलब्ध च अर अब त हम सब राजसी भोजन का बान भोजन -व्यग्र छंवाँ
शरद - हैं यो तो भाजापा को राजसूयी यज्ञs फौड़(सामूहिक भोजन खाना) च। अरे इख इथगा पकवान?
जॉर्ज - इन लगणु च 182 मंडल जितणो उपलक्ष मा भाजापा वाळुन यू राजसूयी यज्ञ उरायुं च।
जॉर्ज - हाँ! नीतेस ! देखो राजसी सोना चांदी के थाऴयूँ मा राजभोग सज्युं च।
शरद - हां राजसी कुर्सी लगीं छन।
नीतेस - राजसेवक, राजकर्मचारियों, राजभ्रितों की फ़ौज ततप्रयता से सेवा करणा छन।
शरद -राज-भाइयों वास्ता गगनचुम्बी वातानाकूलित राजमहल बण्या छन।
जॉर्ज - राजभोगियों बान इना उना जाणो बान रथ , चित्ररथ अर बनि बनिक उड़न खटोला छन।
नीतेस -अहा राजभोज मा सत्ता को भात, राजगद्दी की दाळ, राजत्व की भुजि, राजलक्ष्मी को छौंका ,अधिकार युक्त मलाईदार खीर -मिठाई , पावर /शक्ति नामक घी मा बण्या पूड़ी-भूड़ी-पक्वड़ी आदि आदि।
शरद - अरे भै पण पता च हम तो राजनैतिक सवर्ण छंवां अर भाजापा तो च निखालिस अछूत च। भाजपा पर भिड्याणो अर्थ च हमन सेक्युलर नि रै जाण।।
जॉर्ज - शरद जी ! तुम बि ना पुरण समाजवादियों तरां पागलपन की बात करदां। अरे भाजपा अछूत च तो क्या ह्वाइ खाणक त राज्भोग्या च कि ना अर फिर वो द्याखदि महान राजनैतिक सवर्ण ममता बैणि , वरिष्ठ सेक्युलर सवर्ण करुणानिधि, जवान सेक्युलर -सवर्ण नवीन पटनायक,सेकुलरधिराज चन्द्रा बाबू नायडू अर खानदानी सेक्युलर फ़ाउख अब्दुला सबि त राजभोग, राजसी भोजन सपोड़णा छन।
शरद - नीतेस ! क्या हम सेक्युलर सवर्णों वास्ता अछूतों ड्यार भोजन खाण वाजिब च?
नीतेस - अछूतों ड्यार खाणक खाण बरोबर बाजिब च। जब अछूतों से हम तै सत्ता युक्त भात मिलणु च , शक्ति दायक रसमलाई मिलणि च . अधिकार युक्त मावा मिलणु च, अछूतुं इख भोजन करण से राजगद्दी मिलणि च त अछुतुं इख खाणक खाण, पाणि पीण अर सीण मा झिझक नि होण चयेंद। चलो भाजापा जन अछूत को राजसूयी यग्य मा राजभोग, राज-सत्ताभोग , राज-शक्तिभोग , राज-अधिकारभोग , को आनन्द लिए जावो।
मई , सन 2013 (पटना )
शरद - नीतेस जी ! इ क्या बुलणा छंवाँ/ बल भाजापा जन अछूत को दगुड़ अब नी सयाणु च, तुम तैं अब ये अछूत से घीण लगणि च? ये अछूतौ साथ से तुम तै फगोस (दम घुटना ) हूणि च? यु अछूत अब तुमकुण असह्य ह्वे ग्यायि?
नीतेस - हाँ! अब ये अछूत से हम तै कुछ नि मिलण तो ये अछूत तैं छुड़ण माँ ही फायदा च। यु राजनैतिक अछूत हम तै अब राजसुख नि दे सकदो। यु अछूत चुस्युं आम च। जावो तुम प्रेस कौन्फ्रेसं मा ब्वालो कि हम तो सेक्युलर स्वर्ण छंवाँ अर हम इन अछूतों दगड़ नि रै सकदवां। जोर से ब्वालो, घ्याळ लगैक ब्वालो। जंघड़ ठोकिक चिल्लाओ बल जु हम यूं अछुतुं भिड्यूं पाणि प्योला तो जनता तै ह्वे जाला।
शरद - ह्याँ पण पिछ्ला सत्रह सालों से मि बुलणु रौं , तुम बि बुलणा रौंवा कि भाजपा एक सेक्युलर सवर्ण च अर अब लोगुं तै कनकै बुथ्याण कि भाजपा धर्म निरपेक्ष पार्टी नी च?
नीतेस - झूट को अडसारो से लोगुं तैं कब्जा मा कारो । मिथ्या राग , असत्य बाणी की झंझरी (जाळ ) से जनता को फंसाओ। बेशरमी बतचल; बेहया बकवास, निर्ल्लज बखानो से लोगुं तैं बस मा कारो। बेहयाई, बटेरबाजी की बातो से जनता तैं बेवकूफ, मुर्ख बणाओ; जनता तैं भ्कावो ।औरुं पर तोहमत को ताड़ मारो।
Copyright @ Bhishma Kukreti 17/06/2013
(यह लेख सर्वथा काल्पनिक है )
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments