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Sunday, June 30, 2013

मानसून के पहुँचने का पूर्वानुमान मौसम विभाग ठीक नहीं लगा पाया था

मानसून के पहुँचने का पूर्वानुमान मौसम विभाग ठीक नहीं लगा पाया था*****
तीस जून तक दिल्ली में मानसून के पहुँचने का दिया था पूर्वानुमान *****
पहाड़ में बारिश शुरू होने के बाद ही मानसून आने की  खबर लग पाई****

     उत्तराखंड राज्य में के हिमालयी क्षेत्र विशेषकर केदारघाटी में भारी बारिश के साथ बादल फटने से प्रलय की तरह तबाही मच गयी। सब कुछ तबाह हो गया।इसके अतिरिक्त बदरीधाम,उत्तरकाशी,पिथौरागढ़ ,श्रीनगर सहित कई इलाकों में भी बाढ़ का कहर झेलना पडा।14 जून से बारिश शुरू होकर 15 से मूसलाधार होकर 16,17,18 तक विकराल रूप में चलती रही।तीन दिन तक केदारघाटी में यह हालात बनी रही कि वहाँ कोई राहत कार्य नहीं हो पाया। चौथे दिन से सेना की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो पाया। हजारों लोग सैलाब में दबकर,बहकर काल कवलित हो गए। 

     आपदा से निबटने के लिए राष्ट्रीय आपदा की तरह कोशिश में निश्चित रूप में राज्य तथा केंद्र सरकार सफल नहीं रही।अभी भी हजारों की लाशें केदारघाटी में बिखरी पड़ी हैं।हजारों स्थानीय लोग बेघर हो गए हैं।ग्रामीण इलाकों में अभी तक सरकार नहीं पहुँच पायी है।सड़कें छिन्न भिन्न हैं। ग्रामीणों तक खाने पीने की सामग्री नहीं पहुँच पा रही है।सेना ने शुरूवाती दौर का राहत कार्य निबटा दिया है। अब राज्य और केंद्र सरकार की बड़ी जिम्मेदारी सामने है। लचर व्यवस्था के जरिये खानापूरी करने की कोशिश जारी है।

      सबसे महत्वपूर्ण सवाल खडा होता है कि क्यों नहीं इस तरह की भीषण आपदा,बादल फटने, सैलाव आने का पूर्वानुमान हमारा राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर का मौसम  विभाग समय पर  लगा पाया।राज्यस्तर के मौसम विभाग ने तब अलर्ट किया जब तबाही शुरू होने लगी थी। वह भी बादल फटने या इस तरह की तबाही का कोई पूर्वानुमान नहीं दिया गया था। चौदह जून से पहले तो मौसम विभाग तीस जून तक मानसून दिल्ली में  पहुँचने की संभावना जता रहा था। चार धाम आने वाले सभी श्रद्धालु तीस जून से पहले सुरक्षित समय का लाभ लेना चाहते थे, इसलिए भी इन दिनों अधिक संख्या में लोग चारधाम यात्रा पर आये। अचानक जब घने बादल  घिरने लगे,पहाड़ों पर कोहरा घिरने लगा,बारिश होनी शुरू हो गयी तब मौसम विभाग की आँख खुल पायी।हम पहाड़ के लोग तो कोहरा,हौल,कुयेड़ी देखकर पहले ही समझ गए थे कि मानसून आ गए हैं,लेकिन विभाग ने तीस जून तक की रट लगा रखी थी। हाथी मुह के आगे आ  जाये और तब कोई  चिल्लाये कि हाथी आ गया तो फिर क्या किया जा सकता है।आपदा  मुंह के आगे आने के बाद अलर्ट जारी करने का कोई फायदा नहीं हो सकता। आपदा से निबटने  के लिए राज्य और केंद्र सरकार की कार्यशैली बेहतर नहीं मानी जा सकती है,लेकिन मानसून के आने का पूर्वानुमान समय पर नहीं लगा पाने में मौसम विभाग की विफलता भी बहुत बड़ी है। अब तो  कम से कम ऐसा कोई सिस्टम राज्य में लगे जिस से इस तरह की आपदाओं का पूर्वानुमान लग सके।    

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