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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, June 30, 2013

प्रलय क्या होता है, ये हमने जाना है

 प्रलय क्या होता है ये हमने जाना है 
   आपदा क्या होती है ये हमने भोगा है
   पहाड़  टूटकर हमें दफ़न करने चले 
    नदियाँ  उफनकर हमें बहाने चली
     हजारों दब गए,बह गए,मरखप गए 
     हम अभी जिन्दा हैं मगर लाशों की तरह
       क्यों आया ये प्रलय यह नहीं मालूम 
      मगर देवभूमि में राक्षसों का राज लगता है
     जो फंसे थे मेहमान वे निकाले जा चुके 
     सुध हमारी लेने वाला यहाँ अभी कोई नहीं
     श्मशान जैसा पड़ा सूना है हमारे गाँव में 
     हम थपेड़े खा रहे हैं भूखे प्यासे दर बदर
     चले गए जो हमारे बीच से लौटकर न आयेंगे 
     अब हम करें भी क्या बस याद करते रो रहे हैं
     इस गमगीनी में चाह जीने की कहाँ गुम हो गई 
     फिर भी आश में विश्वास प्रभु का हम कर रहे
     हर थपेड़े को सहते हुए कष्ट में आज तक हम तपे 
     सब भूलकर फिर से कोशिश बसने बसाने की कर रहे
             नरेन्द्रगौनियालcopyright.narendragauniyal@gmail.com

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