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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 13, 2013

साला ! दांत तोड़ी द्योल हाँ

गढ़वाली हास्य -व्यंग्य 
 सौज सौज मा मजाक मसखरी  
  हौंस,चबोड़,चखन्यौ     
  सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं   

                              साला ! दांत तोड़ी द्योल  हाँ !   

                  चबोड़्या - चखन्यौर्याभीष्म कुकरेती (s = आधी  )

      दांत जब खाणक खाणों जगा खाण बिसे जावो तो वै जमानो मा  बि बड़ी बेचैनी होंद छे अर आज बि जब दांत भोजन की जगा खाण बिसे जावन त ज्यू बुल्यांद कि काश दांतु तै अबि तोडि दिए जावो तो  ठीक च।
जब दांत खावो तो ज्यु बुल्यांद कि क्वी दुसमन ही ऐ जावो अर जनि बि ह्वावो दांत तोडि जावो त सेळि  पोड़ी जावो।
  अचकाल तो जगा जगा हरेक गली मा दांतुं डाक्टर छन पण एक जमानो छौ जब घुणदौ जलुड़ दीण वाळौ  द्वी पाळि  दांत नि होंद छा किलैकि वैबरि दांतु वैदगिरी डिग्री नि बंटे जांदी छे बलकणम घुणदो जलुड़ो ज्ञानी तबि अपण ज्ञान अपण नौनु या च्याल़ा तैं दींद छौ जब वैद तै यकीन ह्वे जांद छौ कि अब वैन (वैद जीन ) नि बचण। इलै इ तुमन देखि ह्वाल कि वै जमानो मा गां मा कबि बि बाब-बेटा या सासु-ब्वारि  दगडि घुणदो जलड़ नि दींदो छौ। बेटा भगवान से या ब्वारि भेमाता से प्रार्थना  करदा छा कि कब स्यु बुड्या या बुडड़ि म्वार अर डेंटिस्ट कि गद्दी ऊं तैं मील। पण घुणदौ वैद बि भगवान से मिन्नत मांगदो छौ कि मेरी उमर कम से कम सौ साल हूण चयेंद अर इन मा घुणदो जलड खुज्याण वाळ झड़नाती देखि मर्दा छा।
   अब घुणदौ क्वी खेती पाती त होंद नि छे कि वो रात विश्राम कार अर दिन मा हि दांत खावन। दांत त कबि बि रात मा बि खाण मिसे जांद छा।
  जब हम छ्वट छया तो हमर बगत पर दाँत खाणो बाद कुछ क्रमगत उपचार का नियम छा।
जनि दांत खाण बिस्यावो तो सबसे पैल उपचार होंद छौ कि दांतु बीच लूणै गारि धौर द्यावो। दांतु बीच लूणै गारि धरणै कला सबि ददि, ब्वे , बौ , बैण्यु मा सुलभ छे तो हरेक बचपन मा या जवानी मा कै ना कैक मदद से लूणै गारि धरण सीखि लींद छौ।
अब यो तो घुणद दिवता पर पर निर्भर करदो छौ कि वो लूणै गारि से संतुष्ट च कि ना। यदि घुणद लूण से मानि गे तो ठीक निथर उपचार को अगलों पायदान की तरफ बढ़े जांद छौ।
 लूणै गारि यदि असफल ह्वे गे त काळि मर्च की बारी आंद छौ। यदि घुणद काळि मर्च से मानि ग्याइ त ठीक निथर उपचार की अगली सीढ़ी चढ़ण पोड़द छौ।
उपचार की अगली सीढ़ी लौंग का फूल होंद थौ। यदि लौंग का फूल बि असफल ह्वे जावो तो फिर तीन चार रस्ता समणि होंद छा।
 घुणदौ जलुड़ लीणो वै मा जावो जैक द्वी पाळि  दांत नि ह्वावन।
टिमरू छाल पीसिक दांत पुटुक धरि द्यावो।
बड़ी स्यूण  लाल गरम  कारो अर उखम डामि द्यावो जखम डा (दर्द ) होणु ह्वावो।
दगड़ मा बाकी/बकि नवर मा जै बि दिवता नाम ल्यावो वै दिवता पुजणो उठाणु गाडी ल्यावो।
अब जब दिवता बि नि मानन तो फिर औपरेसन लहुलुहान ही अंतिम पर्याय बची जांदो छौ।
दांतु औपरेसन लहुलुहान एक लोमहर्षक , लोमहर्पणीय, रोमांचकारी घटना होंदी छे। एक रक्तरंजना युक्त औपरेसन दिखणो बान सरा गाँ का लोग मुक्त भाव से आंद छा।
क्षेत्र का सबसे बड़ो ढीठ कारपेन्टर या ओड जु सब्बळ से पत्थर गाडदु छू वो औपरेसन लहुलुहान का करता धर्ता होंद थौ। वो जमूरा से दांतौ दुख्यरौ दांत अधा पौण घंटा तलक दांतुं पौ खपचांदो छौ या ख्त्यान्दो छौ पण आखिरै दांत टूटी जांद छौ। दुख्यर को रूण से द्वी चार गाऊँ बच्चा छळे जांदा छा। फिर दुख्यर तैं पांच छै दिन अंध्यर दिये जांद छौ (अँधेरे कमरे में रखना )। 
उन अजकाल बि ऊनि होंद खालि पेन किलर या अनेस्थेटिक दवाईयों बदौलत अब दुख्यर डा -दर्द नि चितांदो।
पण कुछ दर्द तो अबि बि दांत दींदी छन।
टीवी मा सरा  दिन भर अलग अलग टूथ पेस्टो विज्ञापन दांतुं दर्द त नि भगांदन पण सरदर्द जरुर दे जांदन कि लूण मिल्युं टूथ पेस्ट ठीक च या लौंग मिल्युं टूथ पेस्ट ठीक च ?
फिर जरा डेंटिस्ट मा जावो अर तुमर दांतो मा भयंकर दर्द होणु ह्वावो अर तब रिसेप्सिनिस्ट ब्वाल -हैपी डे सर ! तो दांतौ दर्द गुस्सा मा बदली जांद कि क्यांक हैपी डे?
हाँ एक बात च कि दांतु औपरेसन लहुलुहान अब कॉमेडी सर्कस मा जरूर बदली गे। मीन कथगा इ डेंटिस्टों औपरेसन  थियेटर देखिन त पायी कि औपरेसन  थियेटर की सीलिंग पर जोकरूं फोटो लगीं रौंदन अर यी फोटो दुख्यर तै हंसाणो कोशिस करदन या सैत च चिरड़ाणै कोशिस बि करदा होला कि साले ! पहले ही दांतों के देखभाल करता तो इस डेंटिस्ट के पास तो न आता!    
   
Copyright @ Bhishma Kukreti  14/06/2013     

(यह लेख सर्वथा काल्पनिक है )

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