(गढ़वाल, उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग -219 )
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -219)
By: Bhishma Kukreti
Less is known about Sadho Singh Negi.
क्य कुमौ क्य गढ़वाळ (गढ़वाली कविता )
रचना -- साधो सिंह नेगी
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रौड़िगे मेरु पहाड़
क्य कुमौ क्य गढ़वाळ
जैकु बोलि कि ,टेक लगांदी
वैन पैलि मारि दे फाळ ,
खाणि की पटाळ छै ज्वा
धूरी मा पुजेन्दी छै ज्वा ,
पहाडै आस छै ज्वा ,
दानि आंख्यूं कि .. . भ्वाळ छै ज्वा।
डाँड्यूं बटी रौड़ि दौड़ि
बणिगै गाडै गंगलोड़ि
पौंछिकी देवाळु मा ,
कणाणी च खुट्टी तौळ
क्य कुमौ क्य गढ़वाळ
(Ref-Angwal,2013)
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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