(गढ़वाल, उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 216)
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -216)
By: Bhishma Kukreti
Balwant Singh Negi belongs to Syunsi Baijron , Dhoundiyalsyun Pauri Garhwal. Balwant Singh published a couple of Garhwali poems.
सब्यूंन बुड्या हूण (गढ़वाली कविता )
रचना -- बलवन्त सिंह नेगी
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ज्वान कैल नि रैणू
सब्यूंन बुड्या हूण रै
सोच बिचारि बि क्य कन
सब्यूंन बुड्या हूण रै।
जेका दांत राला
वू बुखण बुखाला
निर्दन्त्या हैंका देखि रंगताला
कंदूड़ वळा सूणला
बिना कंदूड़ का रंगताला रै।
आंख्यूं वळा द्याखला
बिना आंख्यूं वळा टपराला
गात वळा काम कारला
बिना गात वळा पछताला रै।
खुट्टों वळा त हिटिक जला
बिना खुटों का त रकर्याला रै
जैका होलि पुछड़ी पंखुड़ी
वू अफी सज समाळ कारल रै।
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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