(गढ़वाल, उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग -206 )
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -206)
By: Bhishma Kukreti
Dr. Lakshmi Datt Bhatt published a few Garhwali poems. He created poems of varied subjects. Dr. Lakshmi Bhatt was born in Nathuwala, Dehradun in 1975.
ऐगे -ऐगे रे बसन्त (गढ़वाली कविता )
रचना -- डा लक्ष्मी भट्ट
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ऐगे -ऐगे रे बसन्त
छैगे -छैगे रे बसन्त
डांडी डांडी चौछेड़ी
हरयळि लैगे रे बसन्त।
कुंगळा हैरा -भैरा पात
मौळदी कोंपळयूं का गात
रंगीलू पिंगळु रे बसंत।
ऐगे -ऐगे रे बसन्त।
लय्या पय्यां का फूल कन
फ्यूंळी -बुरांश बि खिल्यां छन
खिल्दु खिल्दु रे बसन्त
छैगे -छैगे रे बसन्त।
चौछ्वड़ि फुलार ऐ ग्याई
जिकुड़ि खुदेण लै ग्याई
बौड़ि बौड़ि रे बसन्त
ऐगे -ऐगे रे बसन्त।
खेला फूलों की होरी
पिचकर्यूं माँ रंग भोरी
नचदु ख्यलदु बसन्त
छैगे -छैगे रे बसन्त।
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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