(गढ़वाल, उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 202)
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -202)
By: Bhishma Kukreti
Jay Prakash Panwar is more famous for his Paharnama (Mountain Channel) where he is anchor and takes interviews of various types of personalities and discusses various burning issues.
Jay Prakash Panwar was born in Tehri Garhwal in 1971. Panwar created a few Garhwali poems. Most of his poems are related to social concerns.
- मेरो हिमालय (गढ़वाली कविता )
By जय प्रकाश पंवार
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म्यारा ऊँचा हिमालय
तै शांत रैण द्या ।
नि पौंछावा सड़की
पुंगड़ी -कूड़ी नि दब्यौण द्या,
म्यारा ऊँचा हिमालय
तै शांत रैण द्या ।
नि बांधा बगदि गंगा तैं
यूं पंडों का गौं अठूर -टीरी पाणी मा
नि समौंण द्या
म्यारा ऊँचा हिमालय
तै शांत रैण द्या ।
नि चैंदी /तुम्हारी राजधानी गैरसैण मा
हम चमोली का ढेबरा /पौड़ी का सलाणी
ख़ास पट्टी का खस्या /बंगाण का बंगाणी
जोशीमठ का भोट्या मारछा
पिथौरागढ़ का तोलछा /गंगाड़ का गंगाड़ी
जौनसार का जौनसारी /जौनपुर का जौनपुरी
कुमौं का कुंमय्याँ ,
गढ़वाल का गढ़वाळी
हम तै
हमीं रैंण द्या
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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