(गढ़वाल, उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 220)
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -220)
By: Bhishma Kukreti
Very less is known about Priyavrat Rawat
त क्य बोलण भै ?(गढ़वाली कविता )
रचना -- प्रियव्रत रावत
बबा कि कमै
नौनान गंवै
त क्य बोलण भै ?
दारु पेकि वु म्वार
अर मुरण से पैलि बोलगे
मी तैं फूकि अयां हरद्वार
त क्य बोलण यार ?
पाड़ से /देखो ऊंको प्रेम
पाड़ आणा खुण
ऊँ तैं मिल्दो नी टैम
त क्य बोलण कैम ?
नौना तैं /ब्वारीन बिगाड़ी
त क्य बोलण याड़ी ?
वु -बड़ी गरीबी का दिन काटणा छन
पैलि अंग्रेजी पींदा छा
अब ठर्रा पीणा छन
त क्य बोलण हमन ?
उन त उ निर्मस्या छन
पर देवी खुण
बुगठ्या जरूर कटदन
सिरप परसाद मा चखदन
त अब क्य जि ब्वन !
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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