(गढ़वाल,उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग - 189)
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(Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -189)
By: Bhishma Kukreti
Brij Mohan Sharma Vedwal is Garhwali drama activist of Delhi. Brij Mohan Sharma published a few Garhwali Poems.
Brij Mohan Vedwal was born in 1960, in Panchur, Mawalsyun of Pauri Garhwal.
Most of poems by Brijmohan Sharma Vedwal are sharp satire and criticize the crook nature found in human beings, greed of human beings.
कट्टा ( जबरदस्त चोट करती कविता )
रचना -- बृजमोहन शर्मा बेदवाल
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द्वी बजी पौंछयूं नजीमाबाद
सुबेर बजि गैन छः
उड़दो रकर्याट
कै थै लगौं धै
एक डबा पुटग
भै बन्द आवत असनौ
एक से एक छुंयाळ
रंग बिरँगु कुमौ गढ़वाळ
बर्दी वळो की काख पर दब्यूं टी० वी०
हैंकी सीट मा साबै मैक्सी वळी बीवी
क्वी ब्यावो सामान लिजाणू
दैज रुपी स्कूटरों
ड्राफ्ट बणाणू छ
मिन बोली क्या बात च साब ?
स्कूटर ही दे द्यावदि
कनु: सड़क नि छीं
बुन बैठि न जि न
युत सैब छैं छ
पर पेट्रोल पंप नि छन
अर हैंकु भुला
गिचै गिचा पुटग गाणू छ
अर बक्सा से बड़ु डैक लिजाणू छ
फजल लेकि किल किल
क्रेता कम बिक्रेता ज्यादा
सब्या कना छिन अपणु वादा
समन्या साब
उन त इबरि नी छ बट्टा
पर तीस किलू से कम नी कट्टा
एकदम ताज़ी गोभी छ
मिल ब्वाल तेरी सड़ीं भुज्जि खाण
घार जौंला /अपण सग्वडै भुज्जि खौंला
ब्वन बैठ भुज्जि क्य खैल्या
पिछ्नै जरूर पछतैल्या
हूंदा करदा कट्टा ले द्या
डुट्याळ कार घार लै ग्याय
जन कन कै काळू पाणी प्याय
दूध नी छ पुछणै हिम्मत नि ह्वे
ब्वे को बबड़ाट कुछ नि ल्या
उल्लू पट्ठा /न न मिल ब्वाल
स्यु कन लयूं कट्टा
जब खोलि त एक फूल
बाकी सब ताळ पत्ता
बुन बैठ द ळोळा /सद्यन्या कु लाटू रै गै
जसि भैर रैकि ऐ गै
त्वी सोच कट्टा वळु
कतगा हुश्यार ह्वैगै
तू भैर ही रैगै /अर
वु त्यारु चुल्खंदा तक ऐगै
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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