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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, September 15, 2017

स्विट्जरलैंड अर गढ़वाल (लीलाधर जगूड़ी, युगबाणी से क्षमा सहित )

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती    
           क्वी ब्वादो बल गढ़वाल स्विट्जरलैंड जन च , क्वी ब्वादो बल गढ़वाल स्विट्जरलैंड से अधिक बिगरैल च तो कत्ति बुल्दन बल आखिर स्विट्जरलैंड मा क्या च जु हमम नी च।  
 म्यार स्विट्जरलैंड घुम्यूं च , स्विट्जरलैंड पर अध्ययन कर्युं च अर गढ़वाल थुड़ा भौत दिख्युं बि च। 
           स्विट्जरलैंड अर गढ़वाल मा सबसे बड़ो अंतर च बल स्विट्जरलैंड आल्पस की पहाड्यूं मा च , गढ़वाल हिमालय मा च अर आल्पस मा लाखों साल पैल भळक (लैंड स्लाइड ) आंद छा अब नि आंदन त हिमालय मा भळकुंन आणि रौण।  इलै अबि बि गढ़वळयुं तै गाड याने नदी छाल पर कूड़ नि बणान चयेंद।  मि लीलाधर जगूड़ी की बात नि करणु छौं जौन होटल भगीरथी छाल पर बणायूं च अर सरकार पर भगार लगांदन बल म्यार होटल किलै बगद ?
     स्विट्जरलैंड ताल तल्लयाओं देस च त गढ़वाल बि पर जख स्विट्जरलैंड का ताल तल्लया पर्यटक भट्यांदन उखी गढ़वाल का ताल तल्लया मेमानों तै डरांदन। अबि तक हम गढ़वाळयूं मध्य बहस इ चलणी च टिहरी डाम से क्या फैदा उठाण।  स्विट्जरलैंडी जु छ वैसे फैदा उठाणम विश्वास करदन त गढ़वळि जु खतम ह्वे गे वैक बान सदियों तक रुणम विश्वास करदन , गढ़वळि जु छ वै छोड़ि जु नी च वांकी लालसा मा जिंदगी बर्बाद करणम विश्वास करदु। स्विस लोग वर्तमान से  भविष्य संवारदन त गढ़वळि भूत अर भविष्य की चिंता मा वर्तमान बिगाड़दन । 
   स्विस लोगुं तै पता चल गे छौ कि पर्यटन से स्विट्जरलैंड को भलो होलु त वूंन होटल अर टूर मैनेजमेंट का स्कूल खोलिन जु दुनिया का पैला किस्माक स्कूल छा।  हम गढ़वळि अबि तक यां पर इ अटक्यां छां कि पर्यटन बढ़ाये जावो कि पर्यावरण बचाये जावो। 
     स्विस लोग एक दैं नियम बणै दींदन त फिर वै नियमक पालन करदन अर हमर  भारतीय नेता तो संसद मा GST बिल पास करदन किन्तु जनता का बीच बुल्दन GST एक बीमारी च।  इनि गढ़वळयूं बि हाल छन हम नियम पालन ना नियम तुड़नम विश्वास करदां। 
    स्विट्जरलैंड रचनाधर्मिता पर विश्वास करद अर तबि त एक घड़ी रिपेयररन घड़ी निर्माण कार अर पहाड़ी जगा लैक घड़ी निर्माण की पौ धार ।  हम अबि बि बहस करणा छां कि घराटों से आटो पिसे जावो कि घराटों तै खतम करे जावो। हम घराट इलै चांदा कि हमर संस्कृति प्रतीक बची रावो।  जब हम घराट तैं प्रगति का साधन नि बणै सकदा त प्रगति की आसा इ किलै करे जावो ?  
    हम पर्यटन उद्यम तै बढाण चांदा किन्तु जब बि सरकार पर्यटन संबंधी बैठक पांच सितारा होटलम करदी तो हमर पत्रकार , बुद्धिजीवी सरकार की खाल खैंचि दींदन।  यूँ पत्रकारों, बुद्धिजीवियूं तै पता इ नी कि पर्यटन अर फिलम ग्लैमर बिजिनेस च तो तड़क भड़क का काम करण इ पड़द। 
    स्विटजरलैंडी वर्तमान मा रौंदन।  हम अजीब सी दुनिया मा रौंदा।  एक दै उत्तराखंड सरकारन औली पहाड़ मा अंततर्राष्ट्रीय स्कीइंग पर्तिस्पर्धा का वास्ता  अर देहरादून मा कृत्रिम स्कीइंग स्टेडियम पर खर्चा कार त युगवाणी  (मासिक , देहरादून  ) मा लेख छप कि इथगा पैसा यूं उद्यमों पर खर्चा हूणु च अर देहरादून मा परेड ग्राउंड को रिपेयर किलै नी होणू च।  जै क्षेत्र मा सुधीर कोठियाल (युगवाणी )  सरीखा पत्रकार ह्वावन जौं तै अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन विकास अर परेड ग्राउंड रिपेयर मा अंतर इ नि पता हो वे क्षेत्र मा पर्यटन ख़ाक विकसित होलु ?
    स्विट्जरलैंड का प्रशासन कंटीन्यूटी , निरंतरता पर विश्वास करद जु पर्यटन विकास की पैली शर्त च पर उत्तराखंड का राजनीतिज्ञ तो स्वार्थी छन अर हर समय कंटीन्यूटी ब्रेक करणम विश्वास करदन।  नारायण दत्त तिवारी जीक समय टूरिज्म इंडस्ट्री डेवलपमेंट पर एक बेहतरीन ब्लू प्रिंट बणी छौ अर मि बोली सकुद कि यदि वे ब्लू प्रिंट पर चलदा तो आज पर्यटन मा क्रान्ति आणो चांस छौ किन्तु पैथराक सरकारोंन वे ब्लू प्रिंट तै इ जळै दे तो पर्यटन ख़ाक विकसित होलु। 
  इनि स्विस अर गढ़वाल मा भौत सा मूलभूत अंतर छन जु मि कबि बतौल। 

  
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16 /9 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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