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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, January 6, 2013

गढ़वळिs केंडोकरण (मानकीकरण )


   भीष्म कुकरेती
अचकाल गढ़वळि चित्वळ (सचेत) लिख्वार संदीप रावत जी गढ़वळि केंडोकरण (मानकीकरण ) जणगरा लिख्वारो दगड छवीं बथ करी एक कामै बहस करणा छन बल गढ़वळि केंडोकरण हूण चयेंद बल या ना अर गढ़वळि केंडोकरण हूण चयेन्द त कनै हूण चयेन्द ?
स्टैंडर्ड भाषा वा हॊन्दि जैंक बोलीम गातम /सरैलम /स्वरूपम इकसनिपन /एकरूपता ह्वाओ .
कै बि भाषा तै स्टैंडर्ड बणानो बान तौळै बात जरुरी होंदन -
1- एक शब्दकोष हूण चयेन्द जै तै सबि मानन
2- इन व्याकरण हूण चयेंद जै तै सबि बुलेंदर या लिखनेर मानन
3-बुलणम एकसनिपन ह्वाओ
4-क्वी ख़ास सर्वमान्य संस्थान ईं भाषा तै मान्यता द्याओ जन की कोर्ट , सरकार , शिक्षा संस्थान
5- लोग ईं भाषा तै मन्यता दयावान अर बचळयाणम सौंग ह्वाओ
6- समाजमा या भाषा प्रचलित ह्वे जाओ
7- कामै लिपि
त अब सवाल च बल गढ़वळि केंडोकरण (मानकीकरण ) बान क्या क्या उपाय करे जावन ?
                           केंडोकरण/मानकीकरण कैकुणि कन ?

मानकीकरणा 
धड़वैयुं तै यु जबाब पैल दीण चएंद बल गढ़वळिs यु मानकीकरण कैकुण करण ?
लिख्वारो खुणी ?
आम जनता कुण ?
अर जब केंडोकरण/मानकीकरण ह्वे बि ग्याइ त यीं भाषा तै आम जनता बीच प्रचार प्रसारो बान हमम क्या क्या ब्यूंत /साधन छन ?

                                                    शब्दकोश
अब तलक हमम मास्टर जय राम वर्मा , मॉल चन्द रमोला अर रमाकांत बेंजवालो गढ़वाली हिंदी शब्द कोश छप्यां छन . डा अचलानंद जखमोलौ शब्द कोश (गढ़वळि-हिंदी अंग्रेजी ) छपणो तयारीम च . कन्हयालाल डंडरियालो शब्द कोश (गढ़वळि-हिंदी ) शैलवाणी , कोटद्वार बटि सतवाडाम (साप्ताहिक ) छप्याणु च
भीष्म कुकरेतीs अंग्रेजी -गढ़वळि शब्दकोश जल्दी शैलवाणी कोटद्वार बटिन छपेण वाळ च
जख तलक वर्मा जी अर रमोला जीक शब्द कोशुं सवाल च यी कोष छ्वटा छन . रमाकांत जीक शब्द कोशम मथि मुलक्या (उत्तर गढ़वाल ) बोलि प्रभाव जादा च
डा . अचलानंदो शब्द कोष जब बजारम आलो तबि छ्वीं लगि सकदन
कन्हयालाल डंडरियालो शब्द कोशो कमी च इखमा डंडरियाल जीन हिंदी , संस्कृत अर अंग्रेजी शब्द बि डऴयां छन .
भीष्म कुकरेतीs शब्द कोशो भाषा टुप मल्ला ढांगू बामणु गौं बोलिम च।
त सबसे पेल यांक छांट निराळ करण पोड़ बल कै शब्द कोश तै सर्वमान्य माने जावु -रमाकांत जीको या डा जखमोला जीक ?
फिर सबि शब्द कोशुम एक कमि च बल शब्दु ब्वे बाबु बाराम क्वी खबर /जानकारी नी च
गढ़वळि भाषाs खाशियत च ध्वनि प्रबलता ये मामलाम मै नि लगद क्वी बि शब्द कोष पूरो च
                      व्याकरण
अबि तलक तीन चार जणगरू काम समणि च
1- अबोध बंधू बहुगुणाs - गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा
2- रजनी कुकरेतीs - गढ़वाली व्याकरण
3-गढ़वाल सभा देहरादूनs -गढ़वाली व्याकरण
4- भीष्म कुकरेतीs -कुमाउनी -गढ़वाली -नेपाली व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन (इंटरनेटम )
अब विद्वानु तै छाण निराळ करण पोड़ल बल कै पोथि तै सर्वमान्य माने जावु
                      संस्थान
अब इखम बि निरासपंत च बल ना त सरकार ना इ कै कामौ संस्थानन यु काम करण जांन सर्वमान्य भाषा लोगुंम प्रचलित ह्वाओ
                             कामै लिपि
एक बडो सवाल च बल ध्वनियुं तै लिखणों बान कुछ नया आखर /चिन्हों तै कनै जोड़े जावु
त मानकीकरणै छ्वीं ईनि फोकटम नि लगण चयेंदन बल्कणम मथ्या सवालुं जबाबो दगड इ छ्वीं लगण चयेंदन
म्यरि हथजुडै च मानकीकरण बथ करण त गम्भीर रूपम सबि सवालों जबाब बि ढुंढयावों /खुज्याओ   

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