गढ़वाली हास्य व्यंग्य
चबोड्या : भीष्म कुकरेती
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
मंत्री जीक डेलिगेसनो दगड़ उन्नादेस (विदेस ) जाण
उन मंत्री जी उत्तराखंड क्या देसम कखि बि नि दिखेंदन .वैदिन मंत्री जी परदेस बिटेन एक हवाई जाज बिटेन भैर ऐन अर फिर दुसर जाज से डेलिगेसनो दगड हैंको देस चली गेन . इखमा मंत्री जीक क्या दोष ?अब जब पैत धर्युं ह्वाओ, वीसा बण्यु होउ त मंत्री जी तै भ्युं उतरदा इ दुसर देसै जात्राम जाणि पोड़द। आज कुज्याण कनै मंत्री जी ड्याराडूणम दिखे गेन।
मीन पूछ बल मंत्री जी आज क्या बात ड्याराडूण पर इथगा मेरबानी किलै ? तुम इख देसम किलै?
ऊंन बोलि बल मुख्यमंत्री जीक साडु भायौ भैजिक साडु भायिक बड़ो नौनौ ब्यो च त विदेस जात्रा बिचिम छोड़िक आयुं छौं . डेलिगेसन उखि विदेसम इ च .
-अच्छा त डेलीगेसन उखि विदेस जात्रौ मजा लीणु च .
- चुप ! मजा ना !डेलीगेसन उख उत्तराखंडम कनों विकास हूण चयेंद जन विषयुं अध्ययन करणु च .
- माफ़ कर्याँ मंत्री जी , जीब रौडि गे . उख विदेसम रैक आपौ डेलीगेसन विकासौ बान क्या क्या अध्ययन करणों च ?
-अब कुछ समौ पैल मि अर म्यरो डेलीगेसन उन्नादेसु ( विदेस ) जात्राम गे छा त मीन अर म्यार दगड़ो डेलीगेसनन कथगा बात सीखिन अर फिर मुख्यमंत्री तै अध्ययन की ख़ास खास बात बतैन .
-जन कि ?
-जन कि म्यरो डेलीगेसन को अध्ययनों बदौलत उत्तराखंडम नयो मूल निवासी क़ानून बौणि।
-पण यांक बान उन्नादेसु (विदेस) जात्रौ जरूरत क्या च ? इलाहाबादम जनम ल्याओ , सरा जिन्दगी भैर रावो अर रिटायरमेंटो मजा लीणो उत्तराखंडौ मुख्यमंत्री बौणि जावो त अफिक गैर उत्तराखंड्यु तै मूल निवासी बणानो तरकीब ऐ ई जांद .
-हाँ तुमर बात सै च पण म्यार डेलीगेसनन मुख्यमंत्री तै ढाढस दे बल एक दै क़ानून बणै द्याओ त फिर क्वी घंटा बि नि उखाड़ सकदु .
-पण मंत्री जी ! बेशरमी, बिलन्चपन, सिखणो बान आप तै डेलीगेसन लेकि उन्ना देस जाणै क्या जरूरत ? इखि डा रमेश निशंक से सीखि लींदा बल धुर्या, खुट्या , दुराचारी , बेदर्द , शराबौ दलाल , शराबो ठेकेदारौ गुलाम,हत्या करणों जन मानसिकता वळो नामधारी तै उत्तराखंडो अल्पसंख्यक आयोगौ अध्यक्ष कनै अर किलै बणये जांद।
- हाँ ! हम कोंग्रेसी बि डा निशंक से भौत सा ऊलजलूली बात सिखणा इ रौंदा पण याँखुंण बि डेलिगेसनो दगड़ उन्नादेसौ जात्रा जरूरी च .
-अछा ! उन्नादेसौ जात्रा से हौर क्या क्या सीख आपन अर आपक डेलीगेसनन ?
- अब सि उर्दू तै उत्तराखंडम अग्वड़ि बढाणो बान उर्दू अकादमी की सिफारस बि मीन अर म्यरो डेलीगेसनन इ दे छौ
-हाँ ! अपुण मड़घट जोग हुयां बीमार ब्वे बाबु तै छोड़िक दुसरो ब्वे बाबु सेवा करण सिखणो बान उन्नादेसू जात्रा बि जरूरी च . द्वी हजार साल पुराणि कुमाउनी, गढ़वळि भाषा मोरणि छन वांक कै तै चिंता नी पण उर्दू अकादमीs बड़ी चिंता च .
-आप बुद्धिजीवी हर बात की काट करदां। अरे म्यर अर म्यरो डेलीगेसनन उर्दू अकादमीक कनै खुलणो बान कुज्याण कथगा देसूं सैर कार धौं अर तुम छंवां बल कुमाउनी, गढ़वळि रुण रूणा !
- पण मंत्री जी यो सिखणो बान उन्नादेसौ जात्रा जरूरी नि छे . यी त तुम डा। रमेश निशंक का कुउदेस्यों से सीखि सकदा छा कि जौंन कुमाउनी, गढ़वळि छोड़िक संस्कृत तै उत्तराखंडौ राजभाषा घोषित कौर .
-हां ! हां ! हम डा निशंक का सौब कुकर्मी, कुउदेस्यी ब्यूंत/तकनीक त सिखणा इ छंवां पण यूं ब्यूंतो तै कनैक कार्यावनित करण सिखणो बान मि तै मय ड़ेलेगेसन उन्नादेस जाणि पोड़द।
-एक बात बथाओ तुमर ड़ेलेगेसनौ सदस्य कु कु छन ?
-इखमा क्या च ? जन सरा भारतम हूंद तनी च . म्यरो सरकारी विदेसी जात्राक डेलीगेसन मा मि छौं, मेरि कज्याण च, परिवार च , ससुरालौ भौत सा लोग छन . और क्या ?
-औ! इखम आप पूरो विशुद्ध भारतीय नेता छंवां जु अपण परिवार तै सरकारी डेलिगेसनो नाम पर विदेश भ्रमण करांद
Copyright@ Bhishma Kukreti 7/01/2013
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments