गढ़वाली हास्य व्यंग्य
चबोड्या : भीष्म कुकरेती
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
फिकर नि कारो -द्वी चीजुं पूरो इंतजाम च
(s=-माने आधा अ )
ब्याळि गांमा कुटुमै बोडि गुजरि त सुबेर सुबेर सुन्दुर भैजिs फोन ऐ बल ब्वे खतम ह्वे गे। कुंडुम लिजाणै परेशानी त नी च . अचकाल बस अड्डा तलक मुरदा जनक्याणो नेपाळी या बिहारी खार्युं मिल जांदन अर उख मड़घटम बि लखड लाणों बि नेपाळी या बिहारी मिलि जांदन पण मड़घटम पचास साठ मुडै नि राला त गां -गौळम (समाजम ) नाक कटि जालि .
पैलि जब बस अर नेपाळी या बिहारी नि छ्या त हमर गांवक मुर्दा लिजाणों सहेलि जन सहकारिताs प्रदर्शन होन्दु छौ अर गांवक अर न्याड़ -ध्वारो गांवक लोग शंख बजदि खेती पाति से कैजुअल लीव लेकि मुर्दा लिजाणों मुडै बणनम पुण्य समजदा छा। अब बस, नेपाळी या बिहार्युं आण से लोग बाग़ मुडै बणनम ठसठस लगदन। महादेव चट्टी बस नि जान्दि त अब हमर गांवक मड़घट बि महादेव चट्टी घाट से सात मील दूर फूलचट्टी घाट शिफ्ट ह्वे ग्याइ।फूलचट्टी माने हिंवल अर गंगा जी संगम .
सुन्दुर भैजिन पूछ , " भीषम ! पचास साठ मुडै कखन लाणन ?"
"भैजि ! गां मा तुम छंवां। मि मुंबई मा रैक क्या बथों ?" मीन जबाब दे अर अग्वाड़ी ब्वाल ," ब्वाडा जीन सरा अडगें (क्षेत्र ) मुर्दा बोकिन त बोडिs जनाजा मा किलै नि लोग आला ?"
"भई अब जमानो बदलि गे ." सुन्दुर दाs जबाब छौ
मीन ब्वाल ," सि घौरम अपण मुंडीतौ रामु का च, बंसी भैजि च . ऊंकुणि बोल बल लोगुं तै भट्यावन।"
सुन्दुर भैजिक जबाब छयो ," अरे दुयुं दगड कुट्टी हुंईं च . हम एक हैकाक दगड नि बचऴयांदा ."
मीन पूछ ," किलै ?"
" रामु का तै महा गरीब (बीपीओ ) बणन छौ त मेरि गवाही चयाणी छे .इनि बंसी भैजि तै सुदि मुदि सरकारी लोन चयाणु छौ अर मेरि गवाही जरूरी छे . म्यार दिलन गवाही नि दे अर मीन दुयुंक परपंचम गवाही नि दे त द्वी नरक्याँ (नराज ) छन ." सुन्दुर दान बोलि .
मीन ब्वाल ," क्वै ना क्वै त तरकीब होलि कि गां अर न्याड़ -ध्वारो गांवका लोग बोडि तै कंधा दीणों ऐ जावन ."
सुन्दुर दान पुळेक ब्वाल ," हाँ छैं च . तीम गां अर न्याड़ -ध्वारो गांवका सौएक लोगुं फोन नम्बर त छैं छन ना ?"
मीन बोलि ," हाँ फोन नम्बर छैं छन ."
" त तू इन कौर तख मुम्बै बिटेन सब्युं कुण फोन कौर अर आखिरें जोर लगैक जरुर टक लगैक , जोर लगैक बोलि बल मुर्दा फुकेणों परांत द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च. मुर्दा फुकेणों परांत द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च बुलण नि बिसरण हां !" सुन्दुर भैजिन आदेस दे .
मीन पूछ भैजि बल यो द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च को मतबल क्या च .
सुन्दुर दान ब्वाल ," तू बस फोन कौर। मीम या बात समजाणो टैम नी च .डांडी , कफनौ इंतजाम बि करण। तू बस सब्युं कुणि फोन कौर अर द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च बुलण नि बिसरि"
मीन मुम्बै बिटेन गां अर न्याड़ -ध्वारो गांवका सौएक लोगुं तै फोन कार बल बोडि गुजरि गे अर आखिरैं जोर लगैक ब्वाल बल मुर्दा फुकेणों परांत द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च।
सब्युंन पुळेक जबाब दे बल जब द्वी चीजुं पूरो इंतजाम च त मि सुंदुरु ब्वे तै कंधा दीणों अर लखड़ दीणों जरूर जौलु .
मेरि समजम अबि बि नि आयि बल पैल मुड्वैयुं तै परसाद खिलान्दा छा त अब या दुसर नै चीज क्या आयि
दुफरा परांत सुन्दुर भैजिक फोन आयि ," थैंक यु भीषम ! म्यरो बाई हार्ट ब्लेसिंग च , आशीर्वाद च बल जब तू मोरलि त हजारो लोग त्वे तै कंधा दीणों ऐन ." मि घंगड़े ग्यों अर मेरी समज मा नि आयि बल यो आशिर्बाद च या क्या च। फिर सुन्दुर दाक आवाज बि लड़बड़ाणि छे . मीन घड़याइ बल सैत च ब्वे मोरणों दुःख अब होणु होलु
मीन ब्वाल , भैजि मीन त सौएक लोगुं तै फोन कार छौ . लकड़ी दीणों क्वी नि आयि क्या ?"
सुन्दुर दान जबाब दे ," अरे न्है रे त्यार फोनों बदौलत ब्वे तै लखड़ दीणों द्वी सौ आदिम ऐन . इथगा आदिम त कैक सप्ताहम बि नि आन्दन . अर सौब इखम बखत्वारौ होटलम बैठ्यां छन "
मीन पूछ , " भैजि यि 'द्वी चीजुं पूरो बरोबर इंतजाम च' मतबल क्या च ? पैल त मुड्वैयुं तै परसाद खिलान्दा छा अब या नै चीज क्या च ?"
सुन्दुर दाक जबाब छौ ," अबे लाटा ! अब परसादो जमानो नि रै गे . द्वी चीजो इंतजाम माने शिकार अर शराब ."
मीन खौंळेs ब्वाल ," क्या ! मुरदा फुकणो बाद -शराब अर शिकार ?"
सुन्दुर दान बोलि ," हाँ ! मीन बि छै बुगठ्या अर बीस पचीस मुर्गा मर्वैन अर कुज्याण कथगा बोतळ दारु धौं ! अबि बि मुडै शिकार अर शराब का मजा लीणा छन ."
मीम बुलणों कुछ रयुं बि नि छौ
Copyright@ Bhishma Kukreti 9/01/2013
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