गढ़वाली हास्य व्यंग्य
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
उत्तराखंडक भूतपूर्व मुख्यमंत्र्युं आत्मकथा
चबोड्या: भीष्म कुकरेती
(s=-माने आधा अ )
भारतम राजनीतिग्य आत्मकथा कमि लिखदन . एक त इख क्वी बि नेता राजनीति बिटेन रिटायर नि होंद जु यूं तै आत्मकथा लिखणो समौ मील साको , अफार अपण लाल कृष्ण अडवाणी जी तै इ देखि ल्यावदी इख आत्मकथा लिखणो बगत च त अडवाणी जी उख प्रधानमंत्री बणणो खटकरमुम व्यस्त छन .
अब सवाल आंदो बल उत्तराखंडऔ मुख्यमंत्र्युंन उत्तराखंड बाबत अबि तलक आत्मकथा किलै नि लेखी होलु /
सि भग्यान नित्यानंद स्वामी लेखि सकदा छ बल उन त वो हरियाणो छया पण बुबा जीs फौरेस्ट रिसर्च इंस्टिच्यूटम होण से ऊंन देहरादून तै अपण कर्मस्थली बणाइ . पेल जनसंघऔ प्रत्यासी ह्वेक विधान सभा चुनाव हरदा छा। फिर कोंग्रेस माँ गेन . कुमया अर गढ़वाऴयूं आपसी मनभेद अर मतभेद हूण से अध्यापकीय सीट से उत्तर प्रदेश विधानपरिषद सदस्य बणदा छा . कुमयों अर गढ़वाऴयूं आपसी मनभेद अर मतभेद पर स्वामी जी दसेक अध्याय लेखि सकदा छा अर गैर कुमया गढवाऴयूं लोगुं तै बथै सकदा छा बल बस कुमयों अर गढ़वाऴयूं तै लड़ान्दा जावा , बन्दरबांट करदा जावा अर सत्ता का उच्च पद पर पदासीन होंद जावो .
स्वामी जी अपण आत्मकथाम देहरादुना गढ़वाळयूं मजाक बि कौर सकदा छा कि देहरादूनम गढ़वाळयूं बहुमत च पण गढ़वाळयूंम एका नि हूण से देहरादून विधान सभा सीट गढ़वाली नि जीत सकुद .स्वामी जी अपण आत्मकथाम लेखि सकदा छा देहरादूनs गढ़वाळयूंम अपण भाषा या कौमs प्रति क्वी उत्साह इ नी च त उख देहरादूनम दिखे जावो त गैर गढ़वाळयूं राज च। स्वामी जी अपण आत्मकथाम फिर से बथै सकदा छा बल कुमयों अर गढ़वाऴयूं आपसी मनभेद अर मतभेद का वजै से इ एक गैर कुमया-गढ़वळी उत्तराखंड राज्यौ पैलो मुख्यमंत्री बौण। जख तक एक नाकमयाब मुख्यमंत्री हूणों सवाल च स्वामी जी ईं बात तै लुकै दींदा बल नित्या नन्द स्वामी एक निहयती
नाकामयाब मुख्मंत्री सिद्ध ह्वे .नित्यानंद स्वामी जीन अपण आत्मकथाम इन नि लिखण छौ बल एक नयो राज्यौ नयो नयो मुख्यमन्त्री अपण राज्य तै एक नयो दिशा दीन्द एक नयो रस्ता बथांद . नित्या नन्द स्वामी आत्मकथाम इन बि नि लिखदा बल चूंकि 'कवों भागन घीयक घौड़ फुट '(बिल्ली की भाग से छींका फूटा ) वजै से वों मुख्यमंत्री बणिन त ऊं तै क्या पड़ी छे जु राज्यौ बाराम कुछ सोचदा .
जु भगत सिंह कोशियारी जी आत्मकथा लिखदा त हिंदी मा लिखदा अर कखिम बि कुमाउनी शब्द नि रौंदा किलैकि कुमया शब्दों से राष्ट्रीय छवि कमजोर ह्वे जाणों डौर रौंदी . जु भगत सिंह कोशियारी जी आत्मकथा लिखदा बि त उंकी आत्मकथाम निराशा वळि छ्वीं लिखीं रौणी छे । अब कोशियारी जी इन बि त नि लेखि सकदा छ बल ना ही ओ एक कामयाब मुख्यमंत्री सिद्ध ह्वेन ना ही ऊंमा इथगा तागत,पुन्यात,सक्यात च कि वो उत्तराखंडों एकछत्र -एकमात्र नेता ह्वे सौकन।
अहा जु अपणा नारायण दत्त तिवारी जी आत्मकथा लिखदा त भारत तै नयो जमानो वात्सायन मिल्दो जो नयो -कामसूत्र लिखदो। तिवाड़ी जी अंग्रेजी मा बतांदा बल अस्सी सालो उपरान्त बि अपण जवानी कनकैक बरकरार रखण .तिवाड़ी जीक कामसूत्री आत्मकथा अमेरिका म बि खूब बिकदी। पण चूँकि तिवाड़ी जी अबि बि रिटायर नि ह्वेन अर अबि बि वो बिगरैलि बांदो पर खोज करणा छन त तिवाड़ी जीम आत्मकथा लिखणो टैम नी च।
जख तलक रमेश निशंक जीक आत्मकथौ सवाल च मै लगद डा रमेश जी तै अफिक अपण आत्मकथा लिखणो जर्वत इ नी च . जब बि निशंक जी तै आत्मकथा लिखणो इच्छा ह्वेली वो लिख्वारो तै पैसा देकी अपण नाम से दसियों आत्मकथा छ्पाला . हाँ वूं आत्मकथाम कुमाउनी अर गढ़वाळी भाषा बचाणों बात कखिम बि नि होलि पण संस्कृत भाषा बचाणों दसियों अध्याय होला फिर उखमाँ अपणी खूब बड़ाई अफिक कारल कि कन ऊंन संस्कृत तै उत्ताराखंडै राजभाषा घोषित करी। रमेश जीक आत्मकथाम एक दुःख पर कथगा इ अध्याय होला कि ऊंको राजमा कुम्भ मेला बढिया ढंग से सम्पन ह्वे अर ऊं तै नोबल पुरुष्कार नि मील .
अब भुवन चन्द्र खंडूरीs आत्मकथौ सवाल च त आत्मकथाम सड़को छोडिक कुछ ख़ास नि होलु . चूंकि आत्मकथाम अपणी प्रशंशा अर मन्शा पर जोर हूंद त खंडूरी जी कोटद्वार विधान सभा चुनाव किलै हारिन पर कुछ नि लिख्युं मीलल . अब खंडूरी जी बेवकूफ थुका छन जो अपणी कमजोरी लोगुं तै बथाला .
हाँ जु उत्तराखंडौ ब्याळै मुख्यमंत्र्युं आत्मकथा सवाल च कैं बि आत्मकथाम उत्तरखंडम पहाड़ो विकास पर एक बि छ्वीं नि होलि किलैकि यूं ब्याळै मुख्यमंत्र्युं तै उत्तरखंडम पहाड़ो विकासौ बारम कुछ अता पता हूंद त यि अपण मुख्यमंत्री कालम कुछ त करदा जां से पता चलदो बल यूं भलमानसु तै पहाड़ की चिंता च . कैक बि आत्मकथाम कुमाउनी अर गढ़वाळी भाषा अर संस्कृति छ्वीं नि होलि .
उन एक रैबार म्यार बि च जै बि भूतपूर्व मुख्यमंत्री तै आत्मकथा लिखाण हो त बन्दा हाजिर च .
Copyright@ Bhishma Kukreti 12/01/2013
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