गढ़वाली हास्य व्यंग्य
अपराध जगत तै राजनीतिज्ञों से बचाणों आन्दोलन
चबोड्या: भीष्म कुकरेती
हौंसि हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
(s=-माने आधा अ )
ब्याळि खुन्कार अपराधी मटका छुर्रा अपण दगड्या हफ्ता सुपारी दगड़ मील त मुख पर दया, निराशा अर करुणा भाव देखिक मीन पुछि,"कनो औन लाइन लौटरी से बिजिनेस डाउन चलणु च कि मुर्दार सूरत बणै घुमणा छां ."
मटका छुर्रान ब्वाल,' नै रे ! ऑनलाइन से हम फर कुछ फरक नि पड़दो .हम चिंतित छंवां कि हमर साफ़ -स्वच्छ अपराधी समाज मा राजनीतिज्ञोंन घुषपैठ कौरि आल अर हम अब एक कमीसन बिठाळणा छंवां जु हमार अपराध जगत मा पौलिटिकल नेक्सस को पता लगालु अर पता लगालु कि अपराध जगत से राजनीतिज्ञों तै कै तरां से भैर करे जावु ."
मीन खौंळेक ब्वाल," औ ! त तुम चांदा बल अपराध्युं अर राजनीतिज्ञों अपवित्र रिश्ता खतम ह्वाओ ."
हफ्ता सुपारिन ब्वाल," हां ! राजनीतिज्ञों अपराध जगतम आण से हम अपराध्युं आचार -विचार -अनुशासनबद्धता इ खतम ह्वे गे। अब हरेक अपराधी हमर बणईं आचार संहिता तै तोड़ण गीजि गेन ."
"पैल हम अपराध्युं एकी साफ़ स्वच्छ छवि छे बल हम निर्दयी छंवां अर अपण जवान का पक्का छंवां पण जब बिटेन हमर अपराध जगतम राजनीतिग्य ऐन आम लोग हम तै बि लुच्चा-लफंगा-लबाड़; अणभर्वस्या; क्या बुन्या-क्या कन्या; दोगला- धोखेबाज समजण बिसे गेन।" अपराधी मटका छुर्रान अपणी विपदा सुणाइ .
हफ्ता सुपारिन दुखि ह्वेक बोलि," अरे अब त व्यापारी अर प्रशासनिक अधिकार्युं बि अपराध्युं दगड़ संबंध ह्वे गेन ! यो खतरनाक मेल -मिऴवाक भारतम स्वच्छ -साफ़ -पवित्र-स्वस्थ अपराधीकरण विकास का वास्ता बड़ो खतरनाक च"
मटका छुर्रान ब्वाल," पैल हम अपराधी कैक बि आंखों मा आंख मिलैक बात करदा छया पण अब नेतौं दगड़ संबंध होण से शरमैक बात करदवां। हम अपराध्युं तै बड़ी शरम लगदी जब लोग रस्ता चलदा हम पर फबसी कसदन बल -स्यु द्याखो जघन्य अपराधी ह्वेक बि तैक संबन्ध धुर्या राजनीतिज्ञों दगड़ छन . अब त हम खुले आम रस्ताम बि नि चौल सकदां ."
हफ्ता सुपारिन ब्वाल ," अपराध जगतम हरेक अपराधी एकी बात से परेसान च कि अपराध को राजनीतिकरण ह्वे ग्यायि।"
मटका छुर्रान ब्वाल ," हमर पूर्वजुन जब अपराधी संघ बणै छौ त साफ़ साफ़ अघोषित -अलिखित संविधान बणै छौ बल अपराध जगतम राजनीतिग्य-उद्योगपति-अर प्रशासकीय अधिकारी नि आवन पण हम मादे कुछ लोभि अपराध्युंन राजनीतिज्ञों दगड़ संबंध बणैक सरा अपराध जगतौ भविष्य इ खतम कौर दे।अब हम स्वच्छ साफ़ अपराध्युं तै पता इ नि चल्दो कि यो राजनीतिग्य च या अछकि अपराधी।अपराध को राजनीतिकरण होण से पाक साफ़ अपराध पर यो बडो काळो धब्बा लगि गे।"
हफ्ता सुपारिन रुंदी सूरतम ब्वाल," राजनीतिज्ञोंन अपराध जगत से इथगा गाढ़ा संबंध बणै ऐन कि क्या बोले जावो . जरा कै बि राजनीतिज्ञों ऑफिसम जावदि उख तुम तै जवान गुंडा अर अण्डरवर्ल्ड क छोरा इ मीलल।"
मटका छुर्रान दुखभरी दास्तान सुणाइ ,"पैल हम अपराध्युं क ग्राहकों दगड़ सीधो संबंध छौ अब ग्राहक राजनीतिज्ञों द्वारा 'सुपारी' दींदो अर हम अपराधी राजनीतिज्ञों द्वारा ग्राहक खुज्यान्दा . हम अपराध्युं यां से बड़ी बेज्जती क्या ह्वे सकदी कि हम तै काम खुज्याणो बान रोज राजनीतिज्ञों ऑफिसों चक्कर लगाण पोड़द . राजनीतिज्ञों ऑफिस क्रिमिनल इम्पलौयमेंट एक्सचेंज ऑफिस ह्वे गेन ."
हफ्ता सुपारिन ब्वाल," अब हमन एक उच्च स्तरीय कमिसन गठित कौरि आल जो अपराधम राजनीतिज्ञों पता लगालु अर तब हम अपराध जगत तै राजनीतिग्य मुक्त करला।"
इथगाम मटका छुर्राक मोबाइल बज अर दुसर तर्फान आवाज आयि," हेलो ! मटका सुपारी ! मि त्यार मुहल्लाक बड़ो नेता बुलणु छौं , मीन त्यार मटका ब्यापार पर कब्जा कौरि आल . जु अपण जिंदगी चान्दि त ये शहर छोड़ी दे .' मटका छुर्रा बेहोश ह्वे ग्यायि
इना हफ्ता सुपारिक फोन बज , "हलो ! हफ्ता सुपारी ! मि त्यार मुहल्लाक बड़ो नेता बुलणु छौं। मीन त्यार हफ्ता उगराणि अर सुपारी लेक कतल करणों ब्यापार पर कब्जा कौरि आल .जिन्दगी चांदी त ये शहर छोड़िक अबि चलि जा ." सुणिक हफ्ता सुपारि बि बेहोश ह्वे गे छौ।
Copyright@ Bhishma Kukreti 15/01/2013
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