घपरोळया , हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
" नरेंद्र मोदी जी ! जागो ! जागो ! बिजी जावो ! तुमर हनीमून ओवर हूण वाळ च। "
" हैं इथगा चौड़ , इथगा जल्दी ?"
" हाँ तीन मैना हूण वाळ छन। हम तैं अच्छे दिन की आश नि हूंद त हम दुसर दिन ही बोल दींदा कि -भय्ये नरेंद्र ! त्यार हनी मून खतम। तू जरा सुळज्यूं मनिख छे त त्वे तैं साठ दिन मिल गेन। "
" हे राम दा ! मि इथगा मजा मा छौ कि ज्यु बुल्याणु छौ कि या हनी मून साठ साल कि ह्वे जावो। "
" पर क्वी बि पॉलिटिकल हनी मून साठ साल कु नि हूंद। अब जावो पता लगावो कि भारतीय मनिखों क्या हाल छन। मोदी जी तुमन जब शपथ ले छे तो भारतौ भलाकुण शपथ ले छे। "
"पर कै बि प्रधान मंत्री तैं कनकै पता चौलल कि हनी मून का दिन समाप्त ह्वे गे। "
" जब जनता पुछण लग जावो कि प्याज का भाव त बढ़दा छा पर टमाटर का भाव स्वर्गारोहण किलै करणा छन तो समझी ल्यावो कि तुमर पॉलिटिकल हनी मून ओवर ह्वे गे। जब जनता तुमसे टमाटर सौ की जगा दस रुपया किलो की मांग करण लग जाव तो समझो कि तुमर हनी मून इज ओवर "
"हाँ पर अनावृष्टि अर अतिवृष्टि पर म्यार जोर थुड़ा चल सकद ?"
" मोदी जी ! अनावृष्टि अर अतिवृष्टि तो सोनिया गांधी , ओ क्षमा ! मनमोहन सिंग जीक टैम पर बि छौ पर तुमन त सोनिया गांधी सो सॉरी मनमोहन सिंग की छांछ छोळ दे छौ कि मैंगाई पर मनमोहन जी काबू नि करणा छन , अब टमाटर का भाव तौळ लावो। "
" अच्छा ! पॉलिटिकल हनी मून ओवर हूणों हौर लक्षण क्या क्या छन ?"
"जब लोग तुम नेताओं से प्रेम करदन तो वो तुमर बातुं पर विश्वास करण मिसे जांदन। अब यदि लोग बुलणा छन कि नरेंद्र मोदीन अच्छे दिन लाणो बोल छौ पर दिन त कॉंग्रेसी ही दिन दिखेणा छन तो समझो की तुमर हनी मून खतम। "
" पर यु त मीडिया की देन च कि लोग बुन्ना छन कि मि कुछ नि करणु छौं। मि एक दूरदर्शी , भलु , अनुशासन प्रिय नेता छौं किंतु मीडिया फिस्कल डेफिसिट , बेरोजगारी , ऊँची ब्याज दर , अनावृष्टि , अतिवृष्टि अर पता नि क्या क्या बात करणा छन धौं !"
" मोदी जी ! अब प्रेस मीडिया क्वी स्वतंत्रता आंदोलन नी चलाणा छन । मीडिया शो बिजिनेस मा छन तो वो नकारात्मक बातुं से अपण मीडिया बिचणा छन अर सकारात्मक बातु पर आजौ मीडिया नजर नि जांदी। अच्छा मोदी जी अब उठा अर ये हनी मून कमरा छ्वाड़ो। मीन यु कमरा साफ़ करण। "
"पता च मेरो हनी मून मा कैन बिघन डाळ ?"
"कैन ?"
"कॉंग्रेसन अर कैन ?"
"हैं ? अब त तुमर राज च जो मर्जी का नाच नचणाइ स्यु नाचो। "
" अरे पर कॉंग्रेस का काम तैं अग्वाड़ी नि बढांदा तो सब कुछ रुक जालो अर कॉंग्रेसक उर्यायुं काम तैं अग्वाड़ी बढ़ौन्दा तो गाळी खांदु जन रेल भाड़ा वृद्धि , डीजल की कीमत वृद्धि आदि। समज मा नि आणु कि अच्छे दिन कनकै लौंलु। "
" पर मोदी जी ! चुनावी भाषणो मा त तुम बुलणा छा क़ि एक चुटकी बजाते ही सब समस्याएं खतम ह्वे जाल। "
" हाँ पर मीन समज कि भारत मा शासन करण बि गुजरात जन च किन्तु भारत तो भारत जन च। "
" मोदी जी ! मि कुछ नि जाणदो आप अब हनी मून रूम खाली कारो। अर एक राय दे द्यूं ?"
"हाँ "
"मोदी जी !जु तुम अच्छे दिन नि लैल्या ना तो जनता बड़ी होस्यार च। महाराष्ट्र , हरियाणा का चुनाव बताला कि अच्छे दिन का वादा अर वादाखिलाफी क्या हूंद। "
" यां पण एक साल तो द्यावो कि मि सिद्ध करी द्यूं कि अच्छे दिन ऐ सकदन। "
Copyright@ Bhishma Kukreti 4/8/ 2014
*लेख में घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
*लेख में घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
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