घपरोळया , हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ = अ , क , का , की , आदि )
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कालिदास पर आधुनिक साहित्यकारुं भारी दबाब पोड़ खासकर सेक्युलर साहित्यकारुं को प्रेसर छौ कि इक्कीसवी सदी का हिसाब से मेघदूत की रचना हूण चयेंद। कालिदास सद्यनि सत्ता नजीक रौण वाळ साहित्यकार जि छ तो पद्म विभूषण अर साहित्य अकादमी अध्यक्ष पद पाणो खातिर कालिदास तैं आधुनिक मेघदूतम की रचना करण पोड़। आधुनिक मेघदूत का कुछ अंश
आषाढ़ आयि अर तिहाड़ जेलम ओए ए.राजा तैं मसूरी मा अपण रखैल सुवा यानी बरसात का वास्ता धरीं प्रेमिका याद ऐ गे। ओए ए राजा जब केंद्रीय मंत्री छौ त जनि आषाढ़ आंद छौ गुजरात की भूतपूर्व राजयपाल महोदया की तरां क्वी ना क्वी सरकारी काम उरै दींद छौ अर
ओए ए.राजा सरकारी हैलीकॉप्टर मा बैठिक मसूरी चल जांद छौ। अब चूँकि ओए ए.राजा तिहाड़ जेल मा आराम से त छन किन्तु अब विभिन्न शहरूं मा अपण रखैलूं तैं नि मील सकदन आषाढ़ आण पर भूतपूर्व मंत्री ओए ए.राजान पेरोल पर जाणै अर्जी बि दे किन्तु जब बिटेन अच्छे दिन वळु सरकार आई ओए ए.राजा तैं अर संजय दत्त तैं पेरोल पर छूट नि मिलदी।
आषाढ़ आण पर ओए ए.राजा तैं मसूरी मा धरीं रखैल प्रेमिका की याद सताण मिसे गे। अचकाल कुछ इन सज आयि कि मोबाइल से MSM का जरिया अपण खैरि एक दूसर से नि लगै सकणा छा। तिहाड़ जेल से एक इज्जतदार डाकू मेमान तैं छै साल बाद पेरोल छुटि मील त ओए ए.राजान वै भलमानस डाकू तैं मसूरी जाणो पटाइ अर मसूरी कनकै जाण कु बाटु बताइ -
हे कर्म से डाकू किन्तु हम सरीखा आर्थिक जल्लादों की तुलना मा अति सरल ह्रदय डाकूदूत अब अलकापुरी नि जाण। एक त अलकापुरी आपदाओं , सड़कुं टुटण से सरा जम्बूद्वीप , क्षमा भारत , माफ़ी हिन्दुस्तान , सो सॉरी इण्डिया से कट गे फिर अब पहाडुं मा लोग नि रौंदन अर अब लोग देहरादून , मसूरी रौण लग गेन। इख तलक कि जु लेखक , कवि पहाड़ों से पलायन पर लेख या कविता लेखिक पद्मश्री गति प्राप्त ह्वे गेन या जु NGO का मालिक पहाड़ों से पलायन रुकणो वास्ता लाखों डॉलर की सालाना विदेशी सहायता लीणा छन वो बि पहाड़ों मा ना दिल्ली या देहरादून कोठी बणैक स्वर्ग जन जीवन यापन करदन। इसलिए मेरी सुवा त्वै तैं ग्रामीण अंचल मा नि मीलली। अब रखैल प्रेमिकाएं शहरूं मा आलिशान बंगलो या फ्लैटों मा कैद छन। हे डाकूदूत मि झूट नि बुलणु छौं। आज का वित्त मंत्री अर ब्याळै विरोधी नेता अरुण जेटली तैं पुछि ले जौन खुलेआम कॉंग्रेस तैं धमकी दे छौ कि यदि मि चिट्ठा खुलण मिसे जौं त पॉलिटिकल कॉरिडॉर मा सैकड़ों नारायण दत्त तिवाड़ी अर सुखरामुँ नाम समिण ऐ जाल।
म्यार बुलणो मतलब च कि अच्काल रखैल प्रेमिकाऊं तैं मसूरी , शिमला जन मनमोहक जगा मा धरे जांदन।
हे डाकूदूत ! अब जनि तू तिहाड़ जेल से भैर निकळलि त कदाचित गेट पर त्वै तैं आप पार्टी का सदस्य मिल जावन तो ऊंक झांसा मा नि ऐ। यी लोग न्यूज मा रौणो बान त्वै से अफु पर श्याही फिंकवे सकदन। तो तू यूँ से बचिक रै।
तिहाड़ जेल गेट पर मै सरीखा सैकड़ों नेता जु इख जेल मा छन ऊंक रिस्तेदार बि दिख्याल ऊँ से मिलणै जरूरत नी च।
अब जरा टक लगैक सूण कि दिल्ली से मसूरी कनकै जाण ! सोरग जाण सरल च किन्तु दिल्ली से मसूरी जाण सरल नी च। इख तलक कि त्वै सरीखा सरल हृदयी मानव तैं तिहाड़ जेल से दिल्ली का अंतर्देशीय बस अड्डा जाण बि भौत औसंद (कठिनाई , थकावट भर्युं ) कु काम च। जरा तिहाड़ जेल से आईटीबीटी तक कनकै जाण का बारा मा ध्यान से मेरी बात सूण।
डाकूदूत याने आधुनिक मेघदूतक ड्यारादूण ( देहरादून ) जाण -भाग - 2 में पढ़ें कि डाकूदूत किस तरह तिहाड़ जेल गेट से अन्तर्देशीय बस अड्डा पंहुचा। ………।
Copyright@ Bhishma Kukreti 6/8/ 2014
*लेख में घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
*लेख में घटनाएँ , स्थान व नाम काल्पनिक हैं ।
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