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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, February 3, 2015

हरिद्वार इतिहास संदर्भ में वीर अनार्य।/दास राजा

Anarya or Das Kings  Vishishipra , Vrita in context Haridwar, Bijnor, Saharanpur History 

                                हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में वीर अनार्य।/दास राजा 

                                                            History of Haridwar Part  --52    

                                                         हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -52                                                                                      
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती    

                                             अनार्य /दास नरेश विशिशिप्र 
       ऋग्वेद में दास नरेश विशिशिप्र नरेश का उल्लेख हुआ है।  विशिशिप्र का युद्ध मनु से हुआ था और वीर गति प्राप्त की थी। यह युद्ध चिरकाल तक चला था।  सोमदेव ने दस्युजनो से घिरे मनु की रक्षा की थी। अंत में अग्नि की सहायता से मनु ने दस्यु जनो पर विजय प्राप्ति की थी।  मनु ने फसलों , खेतों ,वनो पर आग लगाते दस्यु विजय प्राप्त की थी। 
                                                        वृत्र - दास नरेश
              वृत्र नामक दास नरेश का वर्णन शंबर समान वर्णन ऋग्वेद में हुया है। इंद्र की सहायता से मनु ने वृत्र के 99 दुर्गों का नाश किया था। वृत्र हत्या के बाद मनु को बहुत धन -धान्य मिला।  अनेक गायें , घोड़े , अन्न लुटेरे मनु को मिला। वृत्र की हत्या आर्य नरेश मनु ने शरद ऋतू में की थी। 
     वृत्र हत्या बाद इंद्र ने प्रसन्न होकर सोमपान किया था। वृत्र का क्षेत्र हरयाणा के उत्तर में सिरमौर की पहाड़ियों को माना जा सकता है (डा डबराल )
                                       अज्ञात वीर दास नरेश 
                    दिवोदास से पहले कई दास नरेशों ने आर्यो आक्रान्ताओं  से लोहा लिया था।  ऋग्वेद में  इन दास नरेशों का नाम नही उल्लेख है किन्तु वीरता का वर्णन अवश्य है। आर्य नरेश पुरुरवा , कुत्स , त्रेतन , बभ्रु , नहुष आदि ने दास नरेशों की हत्या की थी। आर्य संगठित नही थे।  अनार्य या दास लोग गरम मैदानी इलाकों में आने को तैयार नही थे। अतः युद्ध चिरकाल तक चलता रहा। 
                                          कुलितर 

      पर्वतीय दास या अनार्य नरेशों में कुलितर का उल्लेख तो है किन्तु अधिक वर्णन नही है।  कुलितर काल में आर्य व अनार्यों के मध्य शान्ति रही।  प्रसिद्ध पर्वत, अनार्य  नरेश शंबर कुलितर का पुत्र था। 
*संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज 
Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 30 /1/2015 

Contact--- bckukreti@gmail.com  
History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 53 
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