Devasur War in context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur
हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में देवासुर संग्राम
History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur Part --58 हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -58
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
आर्यों से पर्वतीय असुरों ने कई युद्ध किये और वैदिक काल के सैकड़ों साल तक उनकी वीरता की गाथाएं समाज में गाती जाती रहीं थीं। अतः इनका वर्णन परवर्ती वैदिक साहित्य में आना आश्चर्य नही दिलाता।
देवासुर संग्राम
प्रजापति दक्ष का राज्य उत्तराखंड से लेकर मध्य प्रदेश तक फैला था। दक्ष राजधानी कनखल (हरिद्वार ) थी। दक्ष की तेरह कन्याओं विवाह कश्यप से हुआ था। इन कन्याओं में से - अदिति , दिति , दनु और खसा से देवता , दैत्य , दानव , यक्ष , रक्ष संतति हुए।
दानवों में सौ भाई हुए जिनमे हिरण्यक शिपु , हिरण्याक्ष वृषपर्वा अति वीर हुए है। असुरों में तेरह महाबली -व्यंश , शल्य आदि हुए। असुर -दानवों की संख्या लाखों -करोड़ों में थी।
देवता दानवो -असुरों -दैत्यों के सौतेले भाई थे। वीरता और समृद्धि में दैत्य बढ़चढ़कर थे कि के लिए इंद्र को आना पड़ता था और विष्णु को अवतार पड़ते थे।
देवासुर संग्राम हिमालय में हुआ था। जिसमे देवताओं को कई कष्ट सहने पड़े थे।
पराक्रमी व अस्त्र सश्त्रों से सुस्सज्जित थे।
असुरों में निम्न वीरों का पराक्रम प्रसिद्ध हुयें हैं -
नमुचि
शंबर
कुजम्भ
वित्र
वृषपर्वा
असुर पर्वतीय माया के विशषज्ञ थे। पर धातु से बने थे।
असुरों चरित्र वास्तव में सभ्य चरित्र वाला था।
महाभारत में गंगाद्वार (हरिद्वार , कनखल , भृगुश्रृंगी -भृगुखाल (हरिद्वार से सटा उदयपुर पट्टी , पौड़ी गढ़वाल ) वर्णन विस्तार से हुआ है। भेद की पराजय के बाद हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर व उत्तराखंड में ऋषियों का पदार्पण हुआ और उन्होंने यहां कई आश्रम बनाये थे।
** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 11 /2/2015
वैदिक इंडेक्स
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