Aryans Capturing Pasture /Grazing Land of Das/Anaryans
History of Haridwar Part --50
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -50
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
आर्यों द्वारा दास, बच्चों का स्त्री अपहरण
आर्यों द्वारा अनार्य /दास भूमि अधिकार
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -50
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
किरतादि जन हिमालय की तलहटी स्थित शिवालिक , भाभर तराई भागों में रहते थे। आर्यों से आने से पहले ही इन लोगों का अधिकार तराई -भाभर -शिवालिक वनों पर था। पंजाब का तराई भूभाग गंगा पूर्व के भाभर -तराई से अधिक स्वास्थ्यकर रहा होगा। आर्य लोग तराई -भाभर के चराई क्षेत्र व पहाड़ी क्षेत्रों में पशु चराने धमकते आ थे।
आर्य अनार्य लोगों का अपहरण करते रहते थे। कोल मुंड , द्रविड़ स्त्रियों के मुकाबले किरात व खस स्त्रियां अधिक गोरी पीली व आकर्षक थीं .
आर्य दास प्राप्ति हेतु प्रार्थना करते थे। छीने दास जन को भृत्य या सेवक/सेविका बनाया जाता था। सेविकाओं को प्राप्त करना पशु धन प्राप्ति के समान था। आर्य गोरी दास नारियों को रखैल भी बनाते थे और उनसे उत्पन पुत्रों को ऋषि बनने में कोई दिक्क्त भी नही होती थी।
कई अवसरवादी किरात दास अपने शत्रु बांधवों के बच्चे व स्त्री आर्यों को सौंप देते थे और ऐसे समय में अपनी दास स्त्रियां अश्त्र -शस्त्र भी चलाने लगे थे।
*संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 21 /1/2015
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
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History of Haridwar to be continued in हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास -भाग 51
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