Anarya or Das King Shambar Pratap (context Haridwar, Bijnor, Saharanpur History)
हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में दास नरेश शम्बर प्रताप
शंबर द्वारा पर्वतीय संघ का संगठन
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History of Haridwar Part --53
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -53
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -53
इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
दास नरेश कुलितर का पुत्र शंबर प्रताप प्रतापी राजा था। ऋग्वेद में शंबर के ऐश्वर्य, पराक्रम , सैनिक संगठन शक्ति , आतंक का वर्णन कई बार आता है। ऋग्वेद में शम्बर नरेश का जिक्र 21 बार किया गया है।
शंबर वृहतपर्वत याने हिमालय पर्वत नरेश था। ऋग्वेद विवरण विवेचना से विद्वानो ने अनुमान लगाया कि शंबर कांगड़ा , हिमाचलप्रदेश का अधिपति था।
शंबर के पास सौ अभेद्य पत्थर के दुर्ग थे। शंबर के पास अनेकों खरक (गोठ ) थे जिनमे उसके अश्व , पशु सम्पति रहती थी। स्थायी दुर्गों के अतिरिक्त शंबर के पास जलवायु अनुसार ग्रीष्म व शीतकालीन दुर्ग भी थे।
आर्य नरेश वध्रयश्व ने अपनी सीमा पश्चिम की ओर सरस्वती की ओर बढ़ा ली थी। सरस्वती की अनुकम्पा से वध्रयश्व दिवोदास नामक पराक्रमी पुत्र प्राप्त हुआ।
दिवोदास को आजीवन पर्वत नरेश शंबर से 40 वर्षों तक निरंतर युद्ध करना पड़ा था।
आर्य नरेश बार बार पर्वतों पर अधिकार जमाने का प्रयत्त्न करते थे और पशु सम्पति आदि लूटा करते थे। आर्यों के आक्रमण रोकने हेतु शंबर ने पर्वत नरेशों व अधिपतियों का संघ बनाया। सभी पर्वत राजाओं ने आर्यों को रोकने हेतु संगठित कार्य किया था।
निम्न नरेशों का नाम शंबर मित्र नरेश अथवा शंबर के सेनापतियों का नाम ऋग्वेद में इस प्रकार आये हैं -
परमसहायक -
चुमुरी
धुनि
पिप्रु
शुष्ण
कुयव
वृत्र
सहायक -
अशुष
व्यंस
रुध्रिका
कुछ को शंबर का सेनापति माना जा सकता है परन्तु वर्चिन अवश्य ही शंबर समकालीन अनार्य नृप था जिसके पास अनेक दुर्ग लाख के करीब सेना व पशु सम्पति थी।
आर्य संघ
आर्यों के लिए पश्चिम की ओर बढ़ना /प्रसार मुश्किल था। पूर्व की ओर हरयाणा , सहारनपुर , हरिद्वार बिजनौर की ओर जाना भी कठिन था। अतः उन्हें हिमाचल की पहाड़ियों व नजदीकी पहाड़ियों पर अधिकार करना अत्यावश्यक था। पर्वत नरेश संगठित हो चुके थे तो प्रतिक्रियास्वरूप आर्य नरेशों को भी संगठित होना पड़ा था।
*संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India 31 /1/2015
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